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मोकामा टाल में दलहनी फसलों की बंपर पैदावार के हैं आसार

मोकामा : मोकामा टाल क्षेत्र में दलहनी फसलों की बंपर पैदावार के आसार हैं. पिछले दस दिनों से मसूर, मटर की कटाई चल रही है. वहीं, चना की कटाई शुरू होने वाली है. किसान सलाहकारों की टीम उपज का आकलन करने में जुटी है. मसूर का औसतन छह क्विंटल प्रति एकड़ व मटर का सात […]

मोकामा : मोकामा टाल क्षेत्र में दलहनी फसलों की बंपर पैदावार के आसार हैं. पिछले दस दिनों से मसूर, मटर की कटाई चल रही है. वहीं, चना की कटाई शुरू होने वाली है. किसान सलाहकारों की टीम उपज का आकलन करने में जुटी है.
मसूर का औसतन छह क्विंटल प्रति एकड़ व मटर का सात क्विंटल प्रति एकड़ उपज बताया जा रहा है. दलहन की उपज निर्धारित पैदावार के लक्ष्य से अधिक है. किसानों ने जानकारी दी कि टाल इलाके में सर्वाधिक खेती मसूर की हुई है. यहां किसानों की आर्थिक स्थिति मुख्य रूप से मसूर की उपज पर ही निर्भर है. विपरीत मौसम के बावजूद टाल में अच्छी फसल लगी. पिछले साल के मुकाबले इस बार बेहतर पैदावार हुई. मोकामा बीएओ रवींद्र कुमार सिंह ने जानकारी दी कि विभाग ने पटना जिले में प्रति एकड़ मसूर का 4.72 क्विंटल, चने का 6.51 क्विंटल व मटर का 5.75 क्विंटल उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया था.
टाल इलाके में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप उपज हुई है.
सरकार की योजना का मिला लाभ
मोकामा टाल इलाके में उम्दा पैदावार में सरकार की योजना कारगर साबित हुई. दहलन की बुआई शुरू होने के चंद दिनों बाद अचानक बारिश से खेती बिगड़ गयी थी.
इसको लेकर किसानों को दोबारा बुआई की नौबत आ गयी थी, लेकिन अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध होने से किसानों ने राहत की सांस ली. पटवन के लिए भी किसानों को अनुदान उपलब्ध कराया गया. दवा छिड़काव की मशीन व खेती से जुड़े अन्य उपकरण भी बाजार से काफी कम कीमत पर उपलब्ध करायी गयी.
इधर, जैविक दवाओं का प्रयोग भी कई किसानों के लिए वरदान साबित हुआ. इससे किसानों को लागत में कमी आयी. जदयू नेता पवन कुमार ने कहा कि सरकार टाल के विकास के लिए खास योजना पर काम कर रही है.
किसान बेहतर उपज से हैं उत्साहित
वैसे तो टाल इलाके के किसान बेहतर उपज से उत्साहित हैं, लेकिन बाजार में दलहन की कमजोर कीमत से परेशानी हो रही है. खासकर छोटे किसान अनाज का भंडारण में असमर्थ हो रहे हैं. हथिदह निवासी दिलीप कुमार उर्फ टुनटुन का कहना है कि यहां से मसूर की दाल पश्चिम बंगाल भेजी जाती थी, लेकिन इलाके में स्थापित कई दाल मिलें बंद हो चुकी हैं.
इसको लेकर किसानों को मसूर का खरीदार नहीं मिल रहा है. फिलहाल बाजार में मसूर की कीमत तकरीबन तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल है. यह कीमत समर्थन मूल्य से भी काफी कम है.
अन्य दलहनी फसलों की कीमत की भी कमोवेश यही स्थिति है. पचमहला निवासी मोहन सिंह ने कहा कि दलहन की खरीद-बिक्री में बिचौलिये हावी हैं. महाजन का उधार चुकाने के लिए किसान औने-पौने दामों पर उपज बेचने को विवश हैं. कन्हायपुर पैक्स अध्यक्ष उमेश शर्मा ने जानकारी दी कि सरकार धान व गेहूं की तर्ज पर मसूर की खरीदारी के लिए क्रय केंद्र खोलने पर विचार कर रही है. इससे टाल के किसानों को उपज बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

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