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दो दिन पहले आया है नया कुक, अगलगी से बचाव की तैयारी में जुटी सरकार

पटना : राज्य में वर्ष 2016 में अगलगी के कारण 150 से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी. पशुओं, घरों और फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था. अगलगी से बचाव के लिए तैयारी की शुरुआत की गयी है. यह जानकारी मंगलवार को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (बीएसडीएमए) के उपाध्यक्ष व्यासजी ने दी. वे […]

पटना : राज्य में वर्ष 2016 में अगलगी के कारण 150 से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी. पशुओं, घरों और फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था. अगलगी से बचाव के लिए तैयारी की शुरुआत की गयी है. यह जानकारी मंगलवार को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (बीएसडीएमए) के उपाध्यक्ष व्यासजी ने दी.

वे अगलगी की घटनाओं के रोकथाम के लिए राज्यस्तरीय बैठक के दौरान बोल रहे थे. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य यूके मिश्र ने कहा कि मौजूदा अगलगी की घटनाओं की रोकथाम तकनीक में बदलाव लाया जाये. एक नया कॉन्सेप्ट ऑफ फायर इंजीनियरिंग के जरिये यदि हम अगलगी की घटनाओं को होने से रोक दें तो क्षति कम से कम होगी.

12 जिलों में अगलगी की ज्यादा आशंका : बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य पीएन राय ने कहा कि बिहार अग्निशमन सेवा ने बारह जिलों में सबसे अधिक अगलगी की आशंका जतायी है.

इनमें औरंगाबाद, गया, रोहतास, नालंदा, बेगूसराय, छपरा, वैशाली, मुजफ्फरपुर, पटना, पू चम्पारण, प चम्पारण और मधुबनी हैं. राज्य के सभी 38 जिले अगलगी प्रवण कोटि में शामिल हैं. वर्तमान में राज्य में 124 अग्निशमालय हैं. इसमें अतिरिक्त लगभग 300 थानों में मिस्ट टेक्नोलॉजी युक्त अग्निशमन वाहन आवंटित हैं. अग्निशमन वाहनों की कमी है इसलिए अधिकतम प्रभावित पंचायतों और क्षेत्रों में स्थान चिह्नित कर इन वाहनों की तैनाती वहां पहले से कराये जाने से बहुत लाभ मिलेगा.

अगलगी के प्रमुख कारण

बिजली का शॉर्ट सर्किट.

बिजली के ढीले तारों के टकराने से उत्पन्न चिनगारी.

मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी या गोइठे से खाना बनाने के समय लापरवाही या चूल्हे की आग को नहीं बुझाना.

खाना बनाते समय साड़ी का आंचल या दुपट्टे का ख्याल नहीं रखने से उसमें आग पकड़ने की संभावनाएं

यें अधिक होती हैं. नाइलॉन या सिंथेटिक कपड़े ज्वलनशील होते हैं और आग पकड़ने पर पिघल कर शरीर से चिपक जाते हैं.

– जिन घरों में गैस चूल्हे पर खाना बनता है, वहां खाना पकाने के बाद गैस सिलिंडर की गैस का बंद नहीं होना या लीक होना.

– स्टोव में क्षमता से अधिक तेल भरना.

– बरसात के मौसम में जलावन गीला रहने के कारण खाना बनाने के बाद लकड़ी को सुखाने के लिए चूल्हे पर छोड़ देना.

– चूल्हे के पास अधिक जलावन रखना.

– घरों में ढिबरी के इस्तेमाल में लापरवाही.

– मवेशी घर में मच्छर भगाने के लिए धुआं करने के लिए जलायी आग को बिना बुझाये ही छोड़ देना.

– पेड़ों, खेतों या घरों की छतों से होकर गुजरते बिजली के कमजोर तारों के तेज हवा में टूटना.

– बिजली के उपकरणों के उपयोग में असावधानी.

– गेहूं की दौनी के समय थ्रेशर से निकली चिंगारी के कारण खलिहान में आग लगना.

– गेहूं की कच्ची बाली और खेसारी की छेमी को आग पर (बच्चों/ग्रामीणों द्वारा) खेत के पास ही भूनना.

– गेहूं कट जाने के बाद खेतों में छोड़े गये डंठलों में आग लगा देना.

– शादियों में पटाखों के इस्तेमाल में लापरवाही.

– अवैध रूप से पटाखों का भंडारण और वितरण.

– बीड़ी या सिगरेट पीने के बाद बिना बुझाये यत्र-तत्र फेंक देना.

– पछुआ हवा चलते समय हवन आदि करते समय लापरवाही.

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