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जैविक कचरा प्रबंधन को ले कोर्ट ने चार सप्ताह में मांगा जवाब
पटना : राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों समेत प्राइवेट नर्सिंग होम से निकलने वाले जैविक कचरा और उससे हो रहे प्रदूषण को लेकर पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इस संबंध में […]
पटना : राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों समेत प्राइवेट नर्सिंग होम से निकलने वाले जैविक कचरा और उससे हो रहे प्रदूषण को लेकर पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों समेत प्राइवेट नर्सिंग होम से जो कचरा निकलता है उसे अस्पताल प्रशासन द्वारा खुले आकाश के नीचे फेंक दिया जाता है.
इससे जनता को परेशानी होती है. जैविक कचरे के दुष्परिणाम को रोकने की कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. सरकार द्वारा इसे नष्ट करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
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