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बिहार : …जब जन-धन खातों का हिसाब लेने में आयकर उलझा

पटना : नोटबंदी की घोषणा के बाद राज्य में जन-धन योजना के तहत खोले गये 678 ऐसे बैंक खातों चिह्नित किये गये, जिनमें दो लाख से ज्यादा रुपये जमा किये गये हैं. इसमें बड़ी संख्या में ऐसे खाते भी शामिल हैं, जिनमें खुलने के बाद पहली बार पैसे जमा किये गये थे. ऐसे संदिग्ध खातों […]

पटना : नोटबंदी की घोषणा के बाद राज्य में जन-धन योजना के तहत खोले गये 678 ऐसे बैंक खातों चिह्नित किये गये, जिनमें दो लाख से ज्यादा रुपये जमा किये गये हैं. इसमें बड़ी संख्या में ऐसे खाते भी शामिल हैं, जिनमें खुलने के बाद पहली बार पैसे जमा किये गये थे. ऐसे संदिग्ध खातों की जांच करने में आयकर विभाग जुटा हुआ है लेकिन इनकी जांच में विभाग को खासा मशक्कत करनी पड़ रही है. हालांकि जिन कुछ-एक संदिग्ध जन-धन बैंक खातों में बड़ी संख्या में रुपये जमा किये गये हैं, उनमें अधिकतर से हिसाब लिया गया है.
जिन लोगों ने कोई हिसाब नहीं दिया, उनके खाते भी जब्त किये गये हैं. ऐसे करीब दो दर्जन मामले सामने आये हैं, जिनके खाते में 20 लाख से ज्यादा जमा किये गये और इसका सही हिसाब नहीं देने के कारण इन्हें जब्त कर लिया गया है. अब आयकर विभाग को बचे हुए सभी जन-धन बैंक खातों में जमा किये गये लाखों रुपये का हिसाब लेने में काफी समस्या आने की मुख्य वजह इन खातेदारों की तरफ से इन रुपये के स्रोत का अजीब कारण बताना.
सूत्रों के अनुसार, दो-चार या दस लाख रुपये तक ही जन-धन बैंक खातों में ज्यादातर जमा किये गये हैं. राशि कम होने के कारण सटीक हिसाब लेने में काफी समस्या हो रही है. कोई बता देता है कि उसने गोइठा या दूध बेचकर लाखों रुपये जमा कर लिये हैं. इसका क्रॉस वेरिफिकेशन में समस्या आ रही है. कुछ ने बताया कि उन्होंने कई सालों तक अपने घर में पैसे जमा किये थे, जिसे उन्होंने खाते में जमा कर दिया है.
आयकर विभाग को कुछ लोगों ने बताया कि कृषि, डेयरी, मुर्गीपालन या इस तरह के अन्य प्राथमिक कार्य को करके इन रुपयों को जमा किया है. ऐसी स्थिति में इन रुपयों को आयकर विभाग अवैध या ब्लैकमनी के रूप में साबित नहीं कर पा रहा है.

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