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बिहार : जांच के दौरान मिले प्राइवेट प्रैक्टिस के प्रमाण कार्रवाई से पहले ही डॉ अमरेंद्र का इस्तीफा
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में कार्यरत डॉ अमरेंद्र कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. पिछले दिनों गैस्ट्रो डिपार्टमेंट के हेड व पूर्व डीन डॉ अमरेंद्र कुमार के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायत मिली थी. इसमें कहा गया था कि डॉ अमरेंद्र श्री राम हॉस्पिल में बैठते हैं और संस्थान से मरीज भी […]
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में कार्यरत डॉ अमरेंद्र कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. पिछले दिनों गैस्ट्रो डिपार्टमेंट के हेड व पूर्व डीन डॉ अमरेंद्र कुमार के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायत मिली थी. इसमें कहा गया था कि डॉ अमरेंद्र श्री राम हॉस्पिल में बैठते हैं और संस्थान से मरीज भी ले जाते हैं.
इस शिकायत के आधार पर संस्थान ने आंतरिक जांच करायी, जिसमें प्राइवेट प्रैक्टिस के प्रमाण मिले. इसके बाद कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी. डॉ अमरेंद्र को कार्रवाई की भनक मिल गयी, लिहाजा उन्होंने इसके पहले ही इस्तीफे का आवेदन दे दिया. संस्थान ने डॉ अमरेंद्र के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है. डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर प्रतिबंध लगा है. इसके बावजूद आईजीआईएमएस में कार्यरत कई डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं.
गौरतलब है कि आईजीआईएमएस के दर्जनों डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. इस मामले में प्रभात खबर ने लगातार अभियान चलाया और प्रमुखता से खबर प्रकाशित की. संस्थान के गैस्ट्रो डिपार्टमेंट के हेड व पूर्व डीन डॉ अमरेंद्र कुमार के खिलाफ मिली शिकायत में कहा गया कि डॉ अमरेंद्र श्री राम नर्सिंग होम में बैठ प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. संस्थान के निदेशक डॉ एनआर विश्वास ने बताया कि डॉ अमरेंद्र कुमार ने इस्तीफे का आवेदन दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है.
– बदलते हैं नाम भी
गरीब और असहाय मरीजों की चिंता छोड़ प्राइवेट अस्पताल चला रहे इन डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के कारण इनके हौसले बुलंद हैं. पड़ताल के दौरान पता चला कि जो डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं, उनमें से अधिकतर डॉक्टरों ने अपना नाम बदल दिया है.
डॉक्टर शुरुआत के अक्षर बदल देते हैं और सर नेम अपनी पहचान के लिए रख देते हैं.
– ज्यादातर डॉक्टर करते हैं प्राइवेट प्रैक्टिस
आईजीआईएमएस के पूर्व डीन और गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के हेड डॉ अमरेंद्र कुमार पर लगे प्राइवेट प्रैक्टिस का आरोप पहली बार नहीं है. संस्थान के ज्यादातर डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त हैं. कुछ डॉक्टर शहर के विभिन्न हिस्सों में प्रैक्टिस कर रहे हैं, तो कुछ पटना से बाहर जाकर सेवा दे रहे हैं. यह स्थिति तब है, जब इन डॉक्टरों को सरकार की ओर से एनपीए एलाउंस और मोटी सैलरी दी जाती है.
– दलालों से भी है संबंध
अस्पताल सूत्रों की मानें तो कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं, जिनका संबंध दलालों से है. उनके चेंबर के सामने दलाल सक्रिय रहते हैं और मरीजों को डॉक्टर साहब के घर तक ले जाने के लिए झांसे में डालते हैं. इस दौरान मरीज या उनके परिजनों को हिदायत दी जाती है कि वे डॉक्टर के प्राइवेट प्रैक्टिस के बारे में किसी अन्य को जानकारी नहीं देंगे. ज्यादातर डॉक्टर सादे कागज पर मरीजों को दवा लिखते हैं, जिन पर उनका हस्ताक्षर नहीं होता है. बावजूद अस्पताल प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.
– क्या है नियमावली
आईजीआईएमएस की नियमावली के अनुसार यहां तैनात चिकित्सकों की सेवा शर्तों में यह प्रावधान किया गया है कि वे प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे. इसके लिए उन्हें बकायदा शपथ पत्र दिया जाता है. इसके बदले उन्हें सरकार द्वारा एनपीए दी जाती है. एनपीए में राज्य सरकार को सालाना लगभग दो करोड़ खर्च करना पड़ता है.
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