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पटना : साढ़े तीन सालों में मात्र 21% वार्ड हुए ओडीएफ

स्वच्छता अभियान : 55% वार्डों में चल रहा काम, एक भी जिला नहीं हो पाया ओडीएफ पटना : केंद्रीय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार भले ही पटना ने खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) के मामले में रैंकिंग में सुधार की है, लेकिन इस संदर्भ में स्थिति अब भी काफी खराब है. प्रदेश में […]

स्वच्छता अभियान : 55% वार्डों में चल रहा काम, एक भी जिला नहीं हो पाया ओडीएफ
पटना : केंद्रीय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार भले ही पटना ने खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) के मामले में रैंकिंग में सुधार की है, लेकिन इस संदर्भ में स्थिति अब भी काफी खराब है.
प्रदेश में अब तक एक भी जिला ओडीएफ नहीं हो पाया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक पूरे राज्य में मात्र 40 फीसदी वार्डों को ओडीएफ करने के लिए काम चल रहा है. पटना जिले में यह आंकड़ा 55 फीसदी है. बीते साढ़े तीन वर्षों में मात्र 21 फीसदी वार्डों को ही ओडीएफ घोषित किया जा सका है. स्वच्छ भारत मिशन और नमामि गंगे योजना के तहत दो अक्तूबर, 2019 तक देश को ओडीएफ घोषित कराने की योजना है. डेढ़ वर्षों में जिला ओडीएफ कैसे बनेगा, यह बड़ा सवाल है.
पटना के 4354 में 951 वार्ड हुए ओडीएफ : पटना जिले जनसंख्या 58 लाख 38 हजार 465 है, जिनमें से अाधी से अधिक आबादी अब भी खुले में शौच जाने को मजबूर है. कई लोगों के पास जमीन नहीं है, तो कई लोग आर्थिक रूप से शौचालय निर्माण करने में सक्षम नहीं हैं.
अब तक पटना जिला के 4354 वार्डों में से 951 वार्डों को कागज पर ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, जबकि अब तक 3403 वार्डों को ओडीएफ घोषित नहीं किया जा सका है.अगर ओडीएफ घोषित पंचायत में जाएं, तो आपको दीदारगंज, सबलपुर, जेठुली, मोजीपुर जाने के बाद गंगा व रेलवे किनारों की गंदगी को देखने के बाद ओडीएफ की पोल खुल जाती है. अधिकारी सरकार के समक्ष रिपोर्ट बना छवि ठीक करने में जुटे हैं.
– ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर हुए
गिरफ्तार, काम में आ रही देरी
शौचालय निर्माण में लापरवाही करने वाले फुलवारी, संपतचक, बिहटा, नौबतपुर, दुल्हिन बाजार, दनियावां, मसौढ़ी, बिक्रम, घोसवरी, धनरुआ के बीडीओ को अंतिम वार्निंग दी गयी है और जिलाधिकारी ने साफ शब्दों में कहा है कि काम में तेजी नहीं आयी, तो प्रपत्र गठित कर विभाग को भेजा जायेगा. बिक्रम, घोसवरी, मसौढ़ी, धनरूआ, दनियावां के ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर को लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
– जमीन, मैन पावर भी है समस्या
जिला में ओडीएफ घोषित करने में आ रही समस्या को लेकर अधिकारियों के अपने तर्क हैं. डीडीसी बताते हैं कि व्यक्तिगत शौचालय निर्माण देने के लिए सबसे जरूरी है कि लाभुक के पास अपनी जमीन रहे. वो नहीं रहने पर हम लोग वहां अनुदान नहीं देते. इसके अलावा मैनपावर की कमी भी व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की समस्या आ रही है. जहां जमीन नहीं है वहां दूसरे चरण में सामुदायिक शौचालय निर्माण होगा.
– पैसा मिलने में भी हो रही देरी
याेजना के तहत पूर्व में शौचालय निर्माण करने के लिए पहले पैसा दिया जाता था, लेकिन शौचालय निर्माण के नाम पर अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट तैयार कर पैसा कमाना शुरू कर दिया था. अब निर्माण कार्य के बाद पैसा दिया जाता है. कई लोगों ने अपने पैसे से शौचालय का निर्माण कराया भी, तो उनको पैसा नहीं मिल पाया है.
– 11 वार्ड ही हुए ओडीएफ
नगर निगम भी ओडीएफ घोषित करने में काफी सुस्त है. लंबे प्रयास के बाद बीते वर्ष 11 वार्डों को ओडीएफ घोषित किया था. अब निगम सुस्त पड़ गया है.
– 322 में 43 पंचायत ओडीएफ
अधिकारी बताते हैं कि जिन पंचायतों में ओडीएफ को लेकर काम किया जा रहा है. और काम की रफ्तार बढ़ चुकी है. वहां सबसे पहले पूरा करने के का लक्ष्य है. फिलहाल पटना जिला के 322 पंचायतों में से 42 पंचायतों को ओडीएफ किया जा चुका है. अधिकारियों अनुसार जिन इलाकों में ओडीएफ हो जायेगा और लोगों को पैसा मिल जायेगा. मोकामा के 10 में केवल दो पंचायत दो ओडीएफ के लिए रह गये हैं.

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