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बिहार : ”आयुष्मान भारत” में फंड बढ़ाये बिना पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा देना संभव नहीं, चाहिए डेढ़ लाख करोड़

पटना : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण के दौरान ‘आयुष्मान भारत’ नामक महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की घोषणा की. इसमें गरीब और आर्थिक रूप से सबसे कमजोर 10 करोड़ परिवारोंं को सरकारी खर्च पर सालाना पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवरेज दिया जायेगा. इस योजना से 50 करोड़ लोगों के […]

पटना : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण के दौरान ‘आयुष्मान भारत’ नामक महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की घोषणा की. इसमें गरीब और आर्थिक रूप से सबसे कमजोर 10 करोड़ परिवारोंं को सरकारी खर्च पर सालाना पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवरेज दिया जायेगा. इस योजना से 50 करोड़ लोगों के लाभान्वित होने का अनुमान लगाया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सरकारी खर्च पर चलने वाली दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ केयर स्कीम कहा है और व्यापक जनहित के आधार पर इस योजना को हर किसी की तारीफ मिली है. लेकिन जानकारों के अनुसार इसके ठीक तरह से लागू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. वे इसकी वजह योजना के लिए आवंटित कम धनराशि को मानते हैं. उनका कहना है कि 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करवाने के लिए 1.5 लाख करोड़ की आवश्यकता है, जबकि इसके लिए केवल 2 हजार करोड़ रुपये ही आवंटित किये गये हैं.
2 से 4 हजार रुपये एक व्यक्ति के बीमा पर खर्च
जानकारों की मानें तो ओरिएंटल इंश्योरेंस की मेडिक्लेम पॉलिसी लेने पर 30 साल के एक व्यक्ति को अपने 4 सदस्यीय परिवार के लिए (25 साल की पत्नी और पांच और सात साल के दो छोटे बच्चे) पांच लाख के फ्लोटर बीमा पर 10,047 रुपया सालाना प्रीमियम देना पड़ता है.
40 साल के व्यक्ति के लिए (35 साल की पत्नी और 15 और 17 साल के दो बच्चे) यही प्रीमियम बढ़ कर 14,599 हो जाता है. 50 साल के व्यक्ति के लिए यही प्रीमियम सपरिवार बढ़ कर 20 हजार के लगभग हो जाता है. इस प्रकार वर्तमान में प्रचलित दरों के आधार पर देखें, तो सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों के पांच लाख के फ्लोटर मेडिक्लेम पॉलिसी का प्रति व्यक्ति प्रीमियम उम्र के आधार पर दो से चार हजार के बीच सालाना पड़ता है.
औसत उम्र के आधार पर गणना करने पर यह प्रति व्यक्ति तीन हजार पड़ेगा. प्राइवेट मेडिक्लेम पॉलिसी लेने पर यही प्रीमियम सवा से डेढ़ गुना तक बढ़ जाता है. ऐसे में 50 करोड़ लोगों का स्वास्थ्य बीमा सरकारी बीमा कंपनियों से करवाने पर 1.5 लाख करोड़ और प्राइवेट बीमा कंपनियों से करवाने पर 1.87 से 2.2 लाख करोड़ के बीच प्रीमियम भरना पड़ेगा.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की लेगा जगह
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की जगह लेगा. हालांकि इसका कवरेज बहुत बड़ा होगा. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में केवल 30,000 रुपये तक के बीमा भुगतान का प्रावधान है. इसके विपरीत आयुष्मान भारत योजना में अस्पताल में चौबीस घंटे से अधिक भर्ती (सेकेंडरी और टर्शियरी हाॅस्पिटलाइजेशन) की स्थिति में प्रति व्यक्ति या परिवार पांच लाख रुपये तक की कैश लेस स्वास्थ्य सुविधा ली जा सकेगी या क्लेम किया जा सकेगा.
लॉस एवरेज बढ़ने से बढ़ेगा बीमा खर्च
पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा करवाने वाले लोगों का रहन-सहन और खान-पान आम लोगों की तुलना में अधिक बेहतर होता है, क्योंकि उच्च मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग के लोग ही आम तौर पर अब तक ऐसी योजनाओं का लाभ लेते रहे हैं. इसके कारण उनके बीमार पड़ने की आशंका कम होती है और कम लॉस एवरेज (3 से 7 फीसदी) के कारण बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा करते समय उनका प्रीमियम भी कम निर्धारित करती हैं. लेकिन अब जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी ऐसे बीमा के दायरे में लाया जायेगा, तो निम्न रहन-सहन, स्वच्छता के मानकों की अवहेलना व कुपोषण के कारण उनके बीमार पड़ने की आशंका अधिक रहेगी.
– केवल 2 हजार करोड़ का प्रावधान: राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में वर्ष 2017-18 में एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. अब वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में इसे बढ़ा कर 2 हजार करोड़ करने की घोषणा की है. लेकिन कवर राशि में जितनी वृद्धि की गयी है उसे देखते हुए बजट में की गयी यह वृद्धि बहुत कम है. ऐसे में बिना बजटीय प्रावधान बढ़ाये आयुष्मान भारत योजना को पूरा करना मुश्किल होगा.

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