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बिहार : महिलाओं के लिए स्टेटस सिंबल बने हथियार, नेता-अफसरों की पत्नियां इसकी शौकीन

पटना : पटना में आर्म्स लाइसेंस लेने में महिलाओं की रुचि भी बढ़ी है. हाल के दिनों में तैयार हो रहे डेटाबेस के मुताबिक पूर्व से जिन 700 से अधिक महिलाओं के पास लाइसेंस हैं, उनके पति या पिता जनप्रतिनिधि, मंत्री या वरीय अधिकारी हैं. इनमें ऐसी कोई भी महिला नहीं मिली है, जो सामान्य […]

पटना : पटना में आर्म्स लाइसेंस लेने में महिलाओं की रुचि भी बढ़ी है. हाल के दिनों में तैयार हो रहे डेटाबेस के मुताबिक पूर्व से जिन 700 से अधिक महिलाओं के पास लाइसेंस हैं, उनके पति या पिता जनप्रतिनिधि, मंत्री या वरीय अधिकारी हैं. इनमें ऐसी कोई भी महिला नहीं मिली है, जो सामान्य घर से वास्ता रखती हो. अधिकारियों के मुताबिक स्वतंत्रता के बाद से जिले में 30 हजार से अधिक लोगों के पास आर्म्स लाइसेंस था, लेकिन इसमें कई लोगों का निधन हो गया. कई ने जिला व राज्य बदल लिया और दोबारा से लाइसेंस का रिन्युअल नहीं कराया हैं.
पटना जिले में थाना स्तर पर 8071 लाइसेंसधारियों का डेटाबेस तैयार हो गया है, इसके बाद जिला आर्म्स कार्यालय ने विज्ञापन जारी कर 15 मार्च तक का समय दिया है कि जिनके पास लाइसेंस है और उसका रिन्युअल किसी कारण से नहीं करा पाये हैं, तो उसके यूआइएन नंबर के लिए आवेदन कर लाइसेंस का सत्यापन करा लें. वरना उनका लाइसेंस रद्द होे जायेगा.
नये आवेदन की प्रक्रिया शुरू
आर्म्स लाइसेंस लेने के लिए नये आवेदन लिये जा रहे हैं. नये आवेदकों व पुराने लाइसेंसधारियों को मिला कर आर्म्स लाइसेंस का जब डेटाबेस मार्च तक पूरा हो जायेगा, तो उसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जायेगा.
लाइसेंसधारियों को 15 मार्च तक मिला समय
नया डेटाबेस बनाने के बाद जेंडर के मुताबिक लाइसेंसधारियों की पहचान को अलग किया जायेगा. पूर्व से लाइसेंसधारियों को 15 मार्च तक का समय दिया गया है. इसके बाद उनका लाइसेंस रद्द हो जायेगा.
मनोज कुमार, प्रभारी शस्त्र शाखा
आत्मरक्षा के अलावा पेट पालने का जरिया बने आर्म्स
पटना : लाइसेंसी हथियार अब आत्मरक्षा के लिए ही नहीं परिवारों के पेट पालने का जरिया भी बन गया है. सिक्यूरिटी एजेंसियाें में नौकरी पाने के लिए लाइसेंसी हथियार गारंटी है. लाइसेंसी हथियार की श्रेणी के हिसाब से वेतन तय किया जाता है. इन दिनों पटना समेत प्रदेश में नौकरी के लिए लाइसेंसी हथियार चाहनेवालों की लंबी सूची है. मजे की बात ये है कि सभी लाइसेंस आत्मरक्षा के नाम पर लिये जाते हैं. लाइसेंसी हथियार रखने का यह नया ट्रेंड पिछले पांच सालों से चरम पर है.
जानकारी के मुताबिक कुछ समय पहले तक आर्म्स रखना लोगों के लिए स्टेटस सिंबल था. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में जब सुरक्षा एजेंसी के माध्यम से आर्म्सधारियों को मोटी रकम में सुरक्षाकर्मी की नौकरी मिलने लगी, तो रोजगार की ओर मुड़ गयी. अधिकारियों की मानें, तो बंदूक व राइफल लेनेवाले अधिकांश लोग रिटायर्ड फौजी या नेता होते हैं.
आर्म्स लेने के लिए युवा व रिटायर्ड फौजी अच्छी संख्या में आ रहे
आत्मरक्षा व बतौर स्टेटस सिंबल के लिए लाइसेंस लेनेवाले लोगों की संख्या काफी कम हो गयी है, अब वे सिर्फ पिस्टल या रिवाॅल्वर लेते हैं. हाल के दिनों में राजधानी में चलनेवाले अच्छे सुरक्षा एजेंसियों में बंदूकधारी को आठ घंटे काम के बदले 16 हजार से अधिक रुपये मिलते हैं. उसके बाद आम सुरक्षाकर्मी, जो डंडा लेकर सुरक्षा करते हैं, उनको 12 घंटे नौकरी के बाद आठ से दस हजार रुपये तक मिलते हैं. ऐसे में आर्म्स लेनेवालों की संख्या भी बढ़ गयी है.
315 बोर, दो नाली राइफल, डीबीबीएल गन आदि अहम राइफलें हैं. इन ब्रांड के हिसाब से सिक्यूरिटी एजेंसियां वेतन देती हैं. एडीएम आर्म्स मनोज कुमार ने बताया कि आर्म्स लेने के लिए अब युवा और रिटायर्ड फौजी अच्छी खासी संख्या में आ रहे हैं. बड़ी बंदूकें ली जा रही हैं.

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