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ऊंचे गुंबद में बनेगी 52 शक्तिपीठ के स्वरूप की अनुकृति
अमिताभ श्रीवास्तव पटना सिटी : सिद्धशक्ति पीठ छोटी पटनदेवी के जीर्णोद्धार कार्य में मंदिर में 52 शक्तिपीठों के स्वरूप की अनुकृति स्थापित होगी, तो गर्भगृह का निर्माण व साज सज्जा की योजना है. मंदिर का गुबंद भी 108 फुट ऊंचा करने की योजना है. सिद्ध शक्तिपीठ श्री छोटी पटनदेवी जी में गौ मानस सेवा संस्थानम […]
अमिताभ श्रीवास्तव
पटना सिटी : सिद्धशक्ति पीठ छोटी पटनदेवी के जीर्णोद्धार कार्य में मंदिर में 52 शक्तिपीठों के स्वरूप की अनुकृति स्थापित होगी, तो गर्भगृह का निर्माण व साज सज्जा की योजना है. मंदिर का गुबंद भी 108 फुट ऊंचा करने की योजना है.
सिद्ध शक्तिपीठ श्री छोटी पटनदेवी जी में गौ मानस सेवा संस्थानम की ओर से मंदिर के सौंदर्यकरण व विकास कार्य कराया जायेगा. चौक थाना में अशोक राजपथ से हाजीगंज के रास्ते व गुरु गोबिंद सिंह पथ में काली स्थान बाललीला के रास्ते अंदर गली में छोटी पटनदेवी मंदिर आया जा सकता है. नवरात्रि के समय मंदिर में भक्तों की कतार लगती है,नौ दिन भगवती के नवस्वरूप की उपासना होती है. साथ ही हरेक मंगलवार और शनिवार को भी भक्त मंदिर में दर्शन पूजन को आते है.
सुनहरा है इतिहास
पीठाधीश आचार्य अभिषेक अनंत द्विवेदी व बाबा विवेक द्विवेदी ने बताया कि सिद्धपीठ छोटी पटनदेवी 52 शक्तिपीठों में नगर रक्षिका के रूप में छोटी पटनदेवी में पूजा आदिकाल से हो रहा है.
पीठाधीश आचार्य अभिषेक अनंत द्विवेदी बताते हैं कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती पितृ यज्ञ में पति के अपमान को सहन नहीं करते हुए यज्ञ बेदी में कूदकर जीवन लीला समाप्त कर ली थी. इसके बाद क्रोध में भगवान शिव सती के शरीर को कंधे पे उठा तांडव करने लगे. विकट स्थिति देख सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रलय को रोकने की प्रार्थना की. इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित कर दिया. सती के पार्थिव शरीर के जितने खंड हुए उतने स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुई. छोटी पटनदेवी स्थल पर भी सती के पीठ का अंग गिरा था.
मंदिर में स्थापित हैं माता लक्ष्मी, काली व सरस्वती
पीठाधीश ने बताया कि मंदिर में महालक्ष्मी, महाकाली व महा सरस्वती की प्रतिमा स्थापित है. गणेश, शिवलिंग, पार्वती, हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है.
पीठाधीश के अनुसार हर माह में शुक्ल व कृष्ण पक्ष में अष्टमी, नवमी चतुर्थदर्शी व अमावस्या को मंदिर में विशेष उपासना व अनुष्ठान होता है. भक्तों की कतार दर्शन पूजन को जुटती है. निशा पूजा का अनुष्ठान होता है.
मंदिर के जीर्णोद्धार की प्रस्तावित योजना
मंदिर के गर्भ गृह का निर्माण व साज सज्जा.
52 शक्तिपीठ के स्वरूप की अनुकृति की स्थापना
तंत्र साधना की आधारभूत की स्थापना
दस महाविद्या के स्वरूप की स्थापना
108 फूट ऊंचा गुंबद की स्थापना
देश भर से आये भगवत व भागवत के सेवा सत्कार,विश्राम व ठहराव के लिए 25 कमरों का निर्माण.
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