लालू प्रसाद मामले में पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं की राय
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लालू को हाईकोर्ट से नहीं भी मिल सकती है जमानत, जाना पड़ सकता है सुप्रीम कोर्ट
लालू प्रसाद मामले में पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं की राय पटना : रांची की सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को सजा सुनाये जाने के बाद अब उनको हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से ही राहत मिल सकती है. पिछली बार चारा घोटाले से संबंधित […]
पटना : रांची की सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को सजा सुनाये जाने के बाद अब उनको हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से ही राहत मिल सकती है. पिछली बार चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में सजा मिलने के बाद लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट से ही जमानत मिली थी. रांची हाईकोर्ट ने उनको जमानत देने से इन्कार कर दिया था. चूंकि अभी तक कोर्ट का एक ही मामले में अलग-अलग अभियुक्तों को भिन्न भिन्न तरह की सजाएं दी गयी हैं.
ऐसी स्थिति में यह कहना उचित नहीं होगा कि लालू प्रसाद को हाईकोर्ट से जमानत मिल ही जायेगी. सीबीआई की अदालत द्वारा दी गयी सजा के विरुद्ध पहले लालू प्रसाद को हाईकोर्ट में अपील दायर करनी होगी. और उसी अपील में इन्हें अदालत से अनुरोध करना होगा कि इनको जमानत पर जेल से रिहा किया जाये. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हाईकोर्ट लालू प्रसाद को जमानत दे ही दे. नियमानुसार हाईकोर्ट अभियुक्तों के द्वारा दायर की गयी अपील के सभी बिंदुओं को देखने के बाद ही जमानत देने या न देने पर विचार कर सकता है. अभियुक्तों द्वारा दायर अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करना अदालत की बाध्यता है.
lजब तक सजा से मुक्त नहीं होंगे, चुनाव नहीं लड़ सकेंगे
lपटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता राम सुरेश राय ने कहा की सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को जो सजा दी है, इसमें उन्हें हाईकोर्ट से आसानी से जमानत मिल जायेगी. जमानत खारिज करना एक अपवाद के रूप में होता है और न्यायाधीश किसी भी सजायाफ्ता की जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज करते हैं कि कहीं वह सजा मिलने के बाद भाग न जाये. लेकिन लालू प्रसाद के साथ ऐसा कुछ नहीं है.
lअधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कहा की जब तक आॅर्डर की काॅपी नहीं मिल जाती है तब तक तो सही-सही बता पाना मुश्किल है. लालू प्रसाद अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए जमानत के अलावा सजा पर रोक के लिए भी हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर सकते हैं.
l चुनावी मामलों के जानकार अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कहा की लालू प्रसाद को सीबीआई की विशेष अदालत ने जो सजा सुनायी है. इस कारण जब तक सजा से मुक्त नहीं होते हैं, तब तक इनको चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा. किसी भी मामले में सजा होने के बाद सजा की अवधि पूरी कर लेने के छह वर्षों बाद ही वह चुनाव लड़ने के योग्य होंगे. लालू प्रसाद तो पूर्व में ही एक मामले में पांच साल की सजा पा चुके हैं. मामला अदालत में अभी
भी लंबित है.
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