रोजाना आते हैं 200 मरीज, लेकिन किसी को भी नहीं मिलती डायबिटीज की दवा
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डायबिटीज का स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लेकिन बाहर से दवा खरीद रहे मरीज
रोजाना आते हैं 200 मरीज, लेकिन किसी को भी नहीं मिलती डायबिटीज की दवा पटना : सुबह के 10 बजे हैं फर्स्ट फ्लोर में अपने कमरे में डॉक्टर साहब बैठे हैं. दरवाजे पर मरीजों की भीड़ लगी है. एक के बाद एक मरीज अंदर जा रहे हैं. अपने पति के साथ शांति देवी नाम की […]
पटना : सुबह के 10 बजे हैं फर्स्ट फ्लोर में अपने कमरे में डॉक्टर साहब बैठे हैं. दरवाजे पर मरीजों की भीड़ लगी है. एक के बाद एक मरीज अंदर जा रहे हैं. अपने पति के साथ शांति देवी नाम की एक महिला भी इलाज कराने पहुंची है. पति टीचर हैं और पत्नी हाउसवाइफ, पत्नी मधुमेह (डायबिटीज) रोग से पीड़ित है. डॉक्टर के चेंबर से बाहर निकलते ही पति नाराज मूड में दिखता है और कहता है इस बार भी तुम्हारी दवा बाहर से लिखी गयी है. छोड़ो बाहर दवा खरीदते हैं. यह सिर्फ नाम का ही मधुमेह का अस्पताल है. हाथ में दवा की पर्ची लेकर पति-पत्नी बाहर दवा लेने जाने लगे. यह वाकया गार्डिनर अस्पताल में देखने को मिला. यहां रोजाना इस तरह के केस सामने आ रहे हैं कि लोगों को मधुमेह की दवा नहीं मिल रही है. अनदेखी के चलते मरीजों को परेशानी हो रही है, सूत्रों की मानें, तो विभाग का ध्यान अस्पताल पर नहीं जा रहा है.
इंसुलिन व बुखार को छोड़ कर नहीं मिलती हैं अन्य दवाएं, दवाओं के लिए यहां बजट का भी चल रहा है घोर अभाव
स्वास्थ्य विभाग की सूची से बाहर है मधुमेह की दवा
सरकार की तरह से 212 तरह की दवाएं खरीदी जाती हैं. उस सूची में मधुमेह की दवाओं को अभी तक शामिल नहीं किया गया है. जबकि अस्पताल प्रशासन कई बार दवाओं को शामिल करने की मांग कर चुका है. सूत्रों की मानें, तो दवाओं के लिए यहां बजट का भी घोर अभाव चल रहा है. जिस न्यूनतम मूल्य पर दवा खरीदने की कोशिश की जा रही है, उसमें कोई भी दवा कंपनी राजी नहीं हो रही है.
किडनी की दवा नहीं, डायलिसिस पर भी संकट : गार्डिनर रोड अस्पताल में किडनी मरीजों की डायलिसिस भी होती है. लेकिन यहां किडनी की दवा नहीं है. इतना ही नहीं यहां एक ग्रेड नर्स के बदौलत मरीजों का डायलिसिस हो रहा है. यहां रोजाना 10 डायलिसिस के गंभीर मरीज आते हैं. इसके अलावा यहां आईसीयू की भी भारी समस्या चल रही है. वहीं गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा का कहना है कि जरूरत के अनुसार यहां दवाएं मंगायी जाती हैं. दो बार टेंडर भी निकाला गया लेकिन कोई भी कंपनी चयनित नहीं हो पायी. हालांकि फिर टेंडर निकाला गया है, मरीजों की परेशानी बहुत जल्द खत्म हो जायेगी.
पटना में 15 प्रतिशत लोग मधुमेह से हैं पीड़ित : डायबिटिक रेटिनोपैथी के स्पेशलिस्ट डॉ सत्यप्रकाश तिवारी ने कहा कि पटना डायबिटीज कैपिटल बनने के कगार पर है. यहां सबसे अधिक डायबिटिक रेटिनोपैथी से जुड़े मरीज आ रहे हैं. डॉ तिवारी ने कहा कि आंखों के लिए डायबिटीज पूरी तरह से घातक है. स्वास्थ्य विभाग डायबिटीज कंट्रोल के लिए काम कर रही एक निजी एजेंसी की डेढ़ दर्जन जिलों में करायी गयी सर्वे रिपोर्ट में डराने वाले आंकड़े
सामने आये हैं.
18 हजार परिवारों में हुए सर्वे में 20 से 25 फीसदी युवाओं को इस रोग का अधिक खतरा है. पटना में 15 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जो डायबिटीज से जूझ रहे हैं. रिपोर्ट की मानें, तो यहां हर पांचवां इंसान मधुमेह रोग से पीड़ित है.
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