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बिहार : मधेपुरा रेल फैक्ट्री से 28 फरवरी को निकलेगा पहला इलेक्ट्रिक इंजन, प्रधानमंत्री दिखा सकते हैं हरी झंडी

पटना : मधेपुरा रेल इंजन कारखाने से बनकर 12 हजार हॉर्स पावर का पहला इलेक्ट्रिक इंजन 28 फरवरी 2018 को निकलेगा. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाकर रवाना कर सकते हैं. साथ ही रेल मंत्री पीयूष गोयल के भी आने की संभावना है. इंजन को कारखाने से निकालने के लिए ट्रैक बिछाया जा चुका […]

पटना : मधेपुरा रेल इंजन कारखाने से बनकर 12 हजार हॉर्स पावर का पहला इलेक्ट्रिक इंजन 28 फरवरी 2018 को निकलेगा. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाकर रवाना कर सकते हैं.
साथ ही रेल मंत्री पीयूष गोयल के भी आने की संभावना है. इंजन को कारखाने से निकालने के लिए ट्रैक बिछाया जा चुका है. वित्त वर्ष 2017-18 में केवल एक इलेक्ट्रिक इंजन देश को समर्पित किया जायेगा. साथ ही वित्त वर्ष 2018-19 में चार, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में 100 इलेक्ट्रिक इंजन देश को समर्पित किये जाने की योजना है. यह इंजन ट्रैक पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है.
रेलवे के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस इंजन को बनाने में फ्रांस के एल्सटॉम कंपनी के 35 इंजीनियर व कर्मी लगे हैं. भारत सरकार के साथ एल्सटॉम के हुए समझौते के अनुसार इस कंपनी को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया करवा दी गयी हैं. इनमें इस रेल कारखाने के लिए कारखाने के लिए जमीन, बिजली, रेल पटरी, सड़क कनेक्टिविटी जैसी आधारभूत संरचनाएं शामिल हैं.
साथ ही कारखाना परिसर में 40 कमरों का हॉस्टल और फिटिंग लाइन भी बनायी गयी है. इस रेल इंजन कारखाने की लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपये है. एल्सटॉम के साथ भारत सरकार के समझौते के अनुसार 800 इलेक्ट्रिक रेल इंजन 11 साल के अंदर तैयार कर यह कंपनी भारतीय रेल को सौंपेगी. परियोजनाएं पूरी तरीके से एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) पर आधारित है.
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
इस कारखाने में इंजन निर्माण क्षमता बढ़ने पर इसके आसपास कल-पुर्जे बनाने वाली छोटी-छोटी इकाइयां भी स्थापित होने की संभावना है. इससे इस क्षेत्र का आर्थिक विकास तो होगा ही, साथ ही बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
राजेश कुमार, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल
2007 में हुअा था शिलान्यास
इस कारखाने का शिलान्यास साल 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने किया था, लेकिन उसके बाद यहां कोई काम नहीं हुआ. एक नवंबर, 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी ने मधेपुरा पहुंचने पर यहां की लंबित इस रेल इंजन परियोजना को गति देने की बात कही थी. इसके बाद यहां काम शुरू हुआ.

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