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ऑटोमेशन सर्विलांस 46 हजार फीट ऊंचाई तक विमानों पर रखेगा नजर

पटना: पटना एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक ऑटोमेशन सर्विलांस सिस्टम लगाया गया है. पांच वर्ष पहले इसे लगाने की योजना बनी थी. दो वर्ष पहले इंस्टॉलेशन शुरू हुआ. अगस्त 2017 में तय मानकों को पूरा करने के बाद इसे इस्तेमाल की अनुमति मिली. लेकिन इसे चलाने का अनुभव पटना एयरपोर्ट के एटीसी के पास नहीं था. अब […]

पटना: पटना एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक ऑटोमेशन सर्विलांस सिस्टम लगाया गया है. पांच वर्ष पहले इसे लगाने की योजना बनी थी. दो वर्ष पहले इंस्टॉलेशन शुरू हुआ. अगस्त 2017 में तय मानकों को पूरा करने के बाद इसे इस्तेमाल की अनुमति मिली. लेकिन इसे चलाने का अनुभव पटना एयरपोर्ट के एटीसी के पास नहीं था. अब 11 दिसंबर से कोलकाता से प्रशिक्षण देने के लिए टीम आयेगी. इसी के साथ ऑटोमेशन सर्वेलांस सिस्टम का इस्तेमाल शुरू हो जायेगा.

साढ़े तीन महीना के प्रशिक्षण के पूरा होने के बाद इस सिस्टम का पूरी तरह इस्तेमाल होने लगेगा. ऑटोमेशन सर्विलांस से 250 नॉटिकल मील की दूरी से ही आने जाने वाले विमानों पर नजर रखी जा सकेगी और 46,000 फुट की ऊंचाई तक के मूवमेंट को स्क्रीन पर देखा जा सकेगा.

वीएचएफ पर होती है बातचीत : इन दिनों पटना एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल मैनुअली होता है. विमानों के मूवमेंट की जानकारी एटीसी को पायलट से बातचीत से मिलती है. पायलट से बातचीत के लिए वीएचएफ (वेरी हाइ फ्रीक्वेंसी ट्रांसमीटर) का इस्तेमाल होता है.
25000 फीट तक होगा नियंत्रण
पटना एयरपोर्ट का क्षेत्राधिकार 80 नॉटिकल मील और 25,000 फीट की ऊंचाई तक है. यह गोलाई में 30 नॉटिकल मील और अलग अलग दिशाओं में उससे आगे 50 नॉटिकल मील है. पश्चिम की तरफ उससे आगे वाराणसी एयरपोर्ट और पूर्व की तरफ कोलकाता एयरपोर्ट का क्षेत्राधिकार शुरू हो जाता है.
दो विमानों की लैंडिंग अवधि घटेगी
मैनुअल सिस्टम होने से दो विमानों के बीच 10 नॉटिकल मील की दूरी या उनके ऊंचाई में 1000 फीट का अंतर रखा जाता है. ऑटोमेशन सर्विलांस के शुरू होने के बाद यह दूरी घट कर 5 नॉटिकल मील रह जायेगी. इससे दो विमानों के उतरने के समय का अंतर भी कम होगा. अभी 10 मिनट का न्यूनतम अंतराल है. ऑटोमेशन सिस्टम शुरू होने पर यह अंतर चार मिनट हो जायेगा.
रडार से अलग है ऑटोमेशन सर्विलांस
रडार सोनोग्राफी के इस्तेमाल पर आधारित होता है. इसमें अल्ट्रा सोनिक तरंगों को हर दिशा में भेजा जाता है. अवरोधों से टकराकर उसका जो अंश लौटता है, उससे मशीन विमान की इमेज बनाती है. ऑटोमेशन सर्विलांस में लगे टूल्स कैच सिग्नल से वर्चुअल स्क्रीन पर विमानों के मूवमेंट का स्पष्ट ग्राफ बनाते हैं जिसमें विमान की गति, ऊंचाई आदि सूचनाएं एक साथ आती रहती है.
चार प्रकार के कंट्रोल सिस्टम
1. वॉयस कम्यूनिकेशन
इसमें एचएफ और वीएचएफ ट्रांसमीटर के माध्यम से एटीसी जहाज के पायलट के संपर्क में रहता है.
2. रडार
इसमें स्क्रीन पर विमानों का मूवमेंट दिखता है, हलांकि वह महज एक छोटी बिंदी के रूप में दिखता है.
3. सेकेंडरी रडार
इसमें विमानों का बड़ा और स्पष्ट मूवमेंट दिखता है. यह भी मालूम होता है कि उसकी गति क्या है.
4. ऑटोमेशन सर्विलांस
इसमें स्क्रीन पर आनेवाले विमानों का मूवमेंट लेटेस्ट डिजिटल तकनीक से साफ-साफ दिखता है.

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