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आरटीआई में खुलासा… मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ डॉक्टर ने नहीं भरा बांड, सरकार को नुकसान
पटना : पीएमसीएच कैसे राज्य सरकार व स्वास्थ्य विभाग के नियमों को ठेंगा दिखा रहा है इसका ताजा उदाहरण सूचना के अधिकार की रिपोर्ट में हुए खुलासे को देख कर लगाया जा सकता है. आयी रिपोर्ट के अनुसार पीएमसीएच के नेत्र विभाग के एक मेडिकल छात्र ने बिना बांड भरे ही बीच में पढ़ाई छोड़ […]
पटना : पीएमसीएच कैसे राज्य सरकार व स्वास्थ्य विभाग के नियमों को ठेंगा दिखा रहा है इसका ताजा उदाहरण सूचना के अधिकार की रिपोर्ट में हुए खुलासे को देख कर लगाया जा सकता है. आयी रिपोर्ट के अनुसार पीएमसीएच के नेत्र विभाग के एक मेडिकल छात्र ने बिना बांड भरे ही बीच में पढ़ाई छोड़ दी व ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पोस्ट ग्रेजुएट में दाखिला ले लिया. इस खुलासे के बाद अस्पताल प्रशासन व विभाग की पोल खुल गयी़ वहीं दूसरी ओर मिलीभगत का मामला भी सामने आ रहा है.
यह हुआ खुलासा
राजधानी के अशोक नगर रोड नंबर 10 के रहनेवाले उत्पल कुमार नाम के एक व्यक्ति ने 23 अक्तूबर, 2017 को लोक सूचना के अधिकार के तहत डॉ प्रतीक निशांत नामक मेडिकल छात्र की बीच में पढ़ाई छोड़ने व बांड के तौर पर फीस भरने के संबंध में सूचना मांगी थी. डॉ निशांत पीएमसीएच के नेत्र विभाग में पीजी का कोर्स कर रहा था. लेकिन जवाब के तौर पर बांड नहीं देने की बात सामने आयी. यह जवाब पीएमसीएच के लोक सूचना पदाधिकारी डॉ कुमार अरुण ने दी है.
क्या है सरकार का नियम
बिहार सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट में दाखिला लेने के बाद बीच में ही कोर्स छोड़ने वाले छात्रों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. सरकार ने छात्रों से बांड के साथ ही छात्रवृत्ति और स्टाइपन राशि एकमुश्त वापस लेने का फैसला लिया है. पिछले साल आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी थी. इस नियम के मुताबिक राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के दूसरे पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के उद्देश्य से मेडिकल कोर्स बीच में ही छोड़ने की स्थिति में छात्रों को 15 लाख रुपये का बांड और तब तक हासिल की गयी छात्रवृत्ति और स्टाइपन राशि एकमुश्त वापस करनी होगी.
नियम बनने के दो माह बाद छोड़ी पढ़ाई
सूचना के अधिकार के आवेदन आइपीओ संख्या 28 एफ 209926 द्वारा 23 अक्तूबर, 2017 को मांगी रिपोर्ट के बाद खुलासा हुआ है कि डॉ प्रतीक निशांत ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग में सत्र 2017-20 में बिहार कोटा के अंतर्गत 28 मई, 2017 को नामांकन लिया था. लेकिन करीब दो माह बाद 12 जून, 2017 को उसने पढ़ाई छोड़ दी.
सरकार के नियम के मुताबिक बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले सभी छात्रों को बांड भरना अनिवार्य है. लेकिन जो आप मामला बता रहे हैं, वह मेरे कार्यकाल से पहले का है. पूर्व प्राचार्य के कार्यकाल के दौरान ही छात्र ने पढ़ाई छोड़ी थी. हालांकि उसकी खाली सीट पर दूसरे छात्र का एडमिशन भी हो गया है. इस मामले की पड़ताल कर स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी जायेगी.
-डॉ विजय गुप्ता,
प्राचार्य, पीएमसीएच
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