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बिहार की इन 17 फर्जी कंपनियों ने नोटबंदी में काले धन को किया था सफेद, ये है कंपनी के मालिकों के नाम

इन पर जल्द ही ईडी करने जा रहा व्यापक कार्रवाई पटना : नोटबंदी की घोषणा हुए एक साल पूरे हो गये हैं. इसमें ब्लैक मनी को व्हाइट करने वालों की फेहरिस्त अब भी सामने आ ही रही है. इसमें सबसे ज्यादा फर्जी या शेल कंपनी बनाकर इस काले कारोबार को अंजाम दिया गया है. ईडी […]

इन पर जल्द ही ईडी करने जा रहा व्यापक कार्रवाई
पटना : नोटबंदी की घोषणा हुए एक साल पूरे हो गये हैं. इसमें ब्लैक मनी को व्हाइट करने वालों की फेहरिस्त अब भी सामने आ ही रही है. इसमें सबसे ज्यादा फर्जी या शेल कंपनी बनाकर इस काले कारोबार को अंजाम दिया गया है. ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में पूरे देश में इस तरह के बड़े फर्जीवाड़ा को अंजाम देने वाली 300 से ज्यादा ऐसी कंपनियां सामने आयी हैं, जिसमें 17 फर्जी कंपनी बिहार की हैं. इसमें अधिकतर कंपनियों का पता और मालिक गया से ही ताल्लुक रखने वाले हैं.
इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि इन कंपनियों में राज्य के अलावा दूसरे राज्यों के भी काफी संख्या में धन कुबेरों की ब्लैक मनी को व्हाइट किया गया है. ब्लैक से व्हाइट करने के इस पूरे गेम में जिन्होंने कंपनी खोलकर या बिचौलियों की भूमिका अदा करके पूरे गेम को अंजाम दिया है, उन्हें इसके बदले में अच्छा खासा शेयर या प्रतिशत भी दिया गया है.
कोलकाता के सीए चलाते थे इन कंपनियों को : जांच में यह बात भी सामने आयी है कि तकरीबन सभी फर्जी कंपनियों को कोलकाता में रहने वाले दो-तीन सीए ही चलाते थे. इसमें एक की गिरफ्तारी हो चुकी है. शेष लोगों की तलाश जारी है. बिहार में मौजूद इन शेल कंपनियों को कोलकाता से ही संचालित किया जाता था.
कुछ कंपनियों पर हो चुकी है कार्रवाई
नोटबंदी के बाद दिसंबर 2016 को गया में मोतीलाल पटवा उर्फ मोती बाबू का मामला सबसे पहले सामने आया था. मोती बाबू ने बैंक ऑफ इंडिया की स्थानीय शाखा के साथ मिलीभगत करके 50 करोड़ से ज्यादा ब्लैक मनी को व्हाइट कर दिया था. इसमें करीब तीन दर्जन फर्जी या बेनामी बैंक खातों का उपयोग किया गया था. मोती के खिलाफ ईडी ने सबसे पहले पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया था और मोती समेत अन्य की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.
मोती के अलावा कुछ कंपनियों और इनके मालिकों पर कार्रवाई हो चुकी है, जबकि कई अन्य पर अभी कार्रवाई होनी बाकी है. मोती से पूछताछ के आधार पर इस पूरे रैकेट का खुलासा हुआ, जिसका लिंक दिल्ली, मुंबई से लेकर कई शहरों तक जुड़ा हुआ था. जांच में यह बात सामने आयी कि मोती के अलावा इसका काफी बड़ा लिंक है, जिसमें बड़े-बड़े राजनेता से लेकर व्यवसायी तक जुड़े हुए हैं.
इन सूचनाओं के आधार पर ही ईडी को काले से सफेद करने के इस गेम से जुड़े बड़े नेटवर्क का खुलासा करने में काफी मदद मिली. इसके आधार पर ही बिहार से जुड़ी अन्य कंपनियों और इसके पूरे नेशनल लेवल के नेटवर्क का खुलासा हो पाया है. इस पूरे खेल में एक दूसरा बेहद अहम शख्स है मुजफ्फरपुर का व्यवसायी राजेश कुमार अग्रवाल. इसने ही दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, अहमदाबाद समेत अन्य शहरों के दूसरे व्यवसायियों की ब्लैक मनी को व्हाइट करने में प्रमुख लिंक का काम किया था.
कंपनियों के ये हैं मालिक
इंद्रदेव प्रसाद, मेसर्स इंद्रदेव पॉवरलूम (मानपुर, गया), राजेश शाह, वीएस हेल्थकेयर (इसकी एक शाखा गया में है, मूल रूप से मुंबई आधारित), विजय कुमार, विजय टेक्सटाइल (बुनियादगंज, गया), विमल कुमार, दुर्गा स्थान के पास, पटवा टोली, गया, भोला प्रसाद, मेसर्स भोला टेक्सटाइल, पटवा टोली, गया, धनेश्वरी देवी, मेसर्स धनेश्वरी वस्त्रालय, पटवा टोली, गया, प्रेम नारायण, मेसर्स बसंत डाइंग, बुनियादगंज, गया, भागीरथी देवी, पटवा टोली, गया, फुलेश्वरी देवी, पत्नी- मोतीलाल पटवा, मेसर्स फुलेश्वरी वस्त्र उद्योग, पटवाटोली, गया, शिवा कुमारी, पत्नी- मोतीलाल पटवा, मेसर्स शिवा टेक्सटाइल, पटवा टोली, गया,स्नेहा कुमारी, पत्नी- पुरुषोत्तम कुमार, मेसर्स पीके इंडस्ट्री, पटवा टोली, गया, कुमुद कुमार गोयल (निदेशक), संयोग स्टील प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर (बिहार में भी फर्जी कंपनी), लालचंद लक्ष्मी नारायण एंड कंपनी, स्टैंड रोड, कोलकाता (मुजफ्फरपुर और भागलपुर में शाखाएं), शैलेश कुमार, सुरीसारी, बुद्ध विहार, गया, राजेश कुमार, बुद्ध विहार, खरपुरा, गया, रूबी कुमारी, पति- राजेश कुमार, बुद्ध विहार, खरपुरा, गया, ब्रम्हदेव प्रसाद, पटवा टोली, गया, सूर्यदेव राम, मेसर्स सूर्यदेव हस्तकरघा उद्योग, मानपुर, गया, राजेश कुमार अग्रवाल, मेसर्स मां तारा एजेंसी, बेला (मुजफ्फरपुर).

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