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रोहिंग्या मामले में कानूनी दायरे का भी रहे ध्यान

पटना: रिफ्यूजी को लेकर शुरू से ही हमारे देश में अलग धारणा रही है. ऐसी बात कई बार सामने आती है जिसमें रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की आशंका होती है लेकिन उनके साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए जिससे उनके मानवीय अधिकारों का उल्लंघन न हो. यह बात रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी के […]

पटना: रिफ्यूजी को लेकर शुरू से ही हमारे देश में अलग धारणा रही है. ऐसी बात कई बार सामने आती है जिसमें रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की आशंका होती है लेकिन उनके साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए जिससे उनके मानवीय अधिकारों का उल्लंघन न हो.


यह बात रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर सब्यसाची बसु रायचौधरी ने शनिवार को चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में शनिवार को आयोजित एक विशेष लेक्चर के दौरान चीफ गेस्ट के रूप में हिस्सा लेते हुए अपने संबोधन में कही. इस कार्यक्रम का आयोजन सीएनएलयू व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था. इस मौके पर सीएनएलयू के वीसी प्रो ए लक्ष्मीनाथ, रजिस्ट्रार प्रो एसपी सिंह के अलावा कई अन्य फैकल्टी व छात्र उपस्थित थे.
सबके साथ फ्रेंडली रिश्ता निभाता है भारत
प्रो लक्ष्मीनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा देश शुरू से ही अन्य रिफ्यूजी के साथ शुरू से ही फ्रेंडली रहा है. इस बारे में उन्होंने कई उदाहरण भी दिये और सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस बारे में दिये गये निर्देश पर भी प्रकाश डाला. जबकि प्रो एसपी सिंह ने कहा कि हमारा देश 1951 के यूएनओ कन्वेंशन ऑन रिफ्यूजी तथा 1967 के यूएन प्रोटोकॉल दोनों का ही हिस्सा नहीं है. हमारे यहां सिटीजन व विदेशी नागरिकता का प्रावधान है और रिफ्यूजी विदेशी के रूप में ट्रीट होते रहे हैं.

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