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पटना : आयोडीन के दम पर कुपोषण और बौनेपन को भगायेंगे दूर

पटना : गर्भवती महिलाओं में अगर आयोडीन की कमी रही तो गर्भपात, नवजात शिशुओं का वजन कम होना, शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि समस्याओं को झेलना पड़ सकता है. एक शिशु में आयोडीन की कमी हो जाये तो उसका बौद्धिक और मानसिक विकास तक पर […]

पटना : गर्भवती महिलाओं में अगर आयोडीन की कमी रही तो गर्भपात, नवजात शिशुओं का वजन कम होना, शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि समस्याओं को झेलना पड़ सकता है. एक शिशु में आयोडीन की कमी हो जाये तो उसका बौद्धिक और मानसिक विकास तक पर ब्रेक लग जाता है.
अगर ध्यान नहीं दिया गया तो मस्तिष्क का धीमा चलना, शरीर का विकास कम होना, बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्याएं तथा समझ में कमी आदि परेशानियों से रू-ब-रू होना पड़ता है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि अचानक आयोडीन को लेकर इतनी जानकारियां आखिर हम क्यों देने लगे. तो सुनिये… यह जरूरी है. इसकी गंभीरता सरकार समझ रही है. पहले से ही बिहार कुपोषण और बौनेपन की मार झेल रहा है. यह आयोडीन की कमी का ही परिणाम है. अब सरकार ने इसको लेकर बीड़ा उठाया है. ग्राम स्तर तक पर अभियान छेड़ा गया है.
स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग अपने-अपने स्तर से चार नवंबर तक जागरूकता कार्यक्रम चलायेंगे.
आयोडिन की कमी से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिये गये हैं. सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रभातफेरी निकाल कर जागरूक किया जायेगा.
आरएसपी दफ्तुआर
कम वजन की समस्या से जूझ रहीं बिहार की महिलाएं
कम वजन की समस्या से जूझ रही महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा झारखंड में है. झारखंड में 31.5 फीसद महिलाओं का बीएमआई सामान्य से कम है. इसके बाद बिहार का स्थान है, जहां 30.4 फीसद महिलाओं का बीएमआई सामान्य से कम है. मध्य प्रदेश(28.3%), गुजरात(27.2%) और राजस्थान (27.0%) में भी कम वजन की समस्या से जूझ रही महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है. तुलनात्मक रूप से देखें तो 2015-16 में मध्य प्रदेश में सामान्य से कम बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) वाले पुरुषों की संख्या सबसे ज्यादा (28.4%) है. यह बिहार में 25.4% है.
गुजरात (24.7%) और छतीसगढ़ (24.1%) का स्थान है. सामान्य से कम बीएमआई वाले स्त्री-पुरुषों के बीच सबसे ज्यादा अन्तर वाला राज्य झारखंड है. इसके बाद ओडिसा, असम और बिहार, हरियाणा तथा महाराष्ट्र का स्थान है.
आंकड़े दे रहे गवाही
2015-16 में झारखंड में अंडरवेट बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा (47.8%) थी. बिहार (43.9%), मध्य प्रदेश (42.8%), उत्तर प्रदेश (39.5%) और गुजरात (39.3%) में भी अंडरवेट बच्चों की संख्या तुलनात्मक रूप से ज्यादा है.
2015-16 में पांच साल तक की उम्र के वेस्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या झारखंड में सबसे ज्यादा (29%) थी. गुजरात (26.4%), कर्नाटक (26.1%), मध्य प्रदेश (25.8 %) और महाराष्ट्र (25.6 %) में भी ऐसे बच्चों की तादाद 20 प्रतिशत से ज्यादा है. एनएफएचएस (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे)-4 के नये आंकड़ों से यह भी जाहिर होता है कि वेस्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या ग्रामीण इलाकों (21.5%) में शहरों (20.0%) की तुलना में ज्यादा है. .
बौनेपन में बिहार अव्वल
2015-16 में बौनेपन के शिकार बच्चों की सबसे ज्यादा तादाद बिहार (48.3%) में पायी गयी है. उत्तर प्रदेश (46.3%), झारखंड (45.3%), मेघालय (43.8%) और मध्य प्रदेश (42.0%) में भी बौनेपन के शिकार बच्चों की संख्या राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. ये आंकड़े एनएफएचएस-4 के हैं.

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