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बिहार : महज 4 रुपये पेंशन, फिर भी रहता है इंतजार
सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली विधवाओं, नि:शक्तों व 6- साल से ऊपर के बुजुर्गों को मिलता है कृष्ण कुमार पटना : राज्य में मनरेगा के मजदूरों को एक दिन के 168 रुपये मिलते हैं. अकुशल मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी प्रदेश सरकार ने 242 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की है. […]
सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली विधवाओं, नि:शक्तों व 6- साल से ऊपर के बुजुर्गों को मिलता है
कृष्ण कुमार
पटना : राज्य में मनरेगा के मजदूरों को एक दिन के 168 रुपये मिलते हैं. अकुशल मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी प्रदेश सरकार ने 242 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की है. ऐसे में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के नाम पर हर व्यक्ति को एक महीने में 4- – रुपये मिलते हैं. प्रभात खबर से बातचीत में सामाजिक सुरक्षा पेंशनधारियों ने इतने कम पैसे मिलने को नाकाफी बताया. साथ ही कहा कि ये पैसे हर महीने नहीं मिलते. छह महीने या सालभर में मिलते हैं. हालांकि वे इतने से भी खुश दिखे. उन्होंने कहा है कि वे इस पैसे का बेसब्री से इंतजार करते हैं.
सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन (बीपीएल) करने वाली विधवाओं, नि:शक्तों और 6- साल से ऊपर के बुजुर्गों को मिलता है. इनके बैंक अकाउंट में केंद्र और प्रदेश सरकार की सहयोग से समाज कल्याण विभाग द्वारा 4- – रुपये प्रतिमाह भेज दिया जाता है. हालांकि यह हर महीने नहीं मिलता, लेकिन विभाग का कहना है कि आने वाले समय में फिलहाल हर तीन महीने पर लाभार्थियों को पैसा मिल सकेगा.
आर्थिक हालत खराब
प्रभात खबर की टीम ने इस योजना के लाभार्थियों से बात की तो पता चला कि इनकी आर्थिक हालत बहुत खराब है. बुजुर्ग, अशिक्षित विधवा और विकलांगों को आमतौर पर कहीं काम नहीं मिलता. इस कारण इनके सामने खाने-पीने का संकट हमेशा रहता है. इसके बाद पहनने के कपड़े और बीमार होने पर दवाइयों की व्यवस्था भी समस्या है. अपने बच्चों की जरूरतें पूरी करने के लिए विधवा परेशान हो जाती है. अशिक्षित विधवा को बहुत मुश्किल से भी काम मिलता है तो अमीर घरों में झाड़ू-पोंछा का मिलता है. इनके ज्यादातर बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं.
क्या कहती हैं पेंशनधारी
इन पेंशनधारियों के घर की आर्थिक हालत खराब होने से वहां से भी इन्हें कोई सहारा नहीं मिलता. पटना के सालिमपुर अहरा की सरस्वती देवी कहती हैं कि उनकी उम्र 62 साल है. वे अक्सर बीमार रहती हैं. इसलिए कोई काम नहीं कर सकतीं. उनके पति बिजली मिस्त्री थे. एक दुकान में काम करते थे. एक साल पहले उनकी मृत्यु हो गयी. उन्हें विधवा पेंशन तो मिलता है, लेकिन यह बहुत कम है. बच्चे तो हैं लेकिन उनकी भी अपनी जिम्मेदारियां हैं. ऐसे में उन्हें घर में दो वक्त की रोटी मिल जाती है यही बहुत है.जरूरत पड़ने पर पीएमसीएच में इलाज करवा लेती हैं, लेकिन दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है.
बकाया चुकाती हैं
पेंशनधारियों ने कहा कि पैसे कभी छह महीने तो कभी सालभर में मिलते हैं. ऐसे में इकट्ठा पैसे मिलने से बुढ़ापे में यह पैसा उनके जीने का सहारा है. छह महीने या सालभर में एक बार जोड़कर मिलता है तो ज्यादा पैसे दिखते हैं. यह पैसा ज्यादातर बकाया चुकाने में खर्च हो जाता है.
वैसे इससे खाने-पीने सहित घरेलू सामान खरीदती हैं. जो पैसे बचते हैं उसे घरवालों को दे देती हैं क्योंकि वही इनका ध्यान रखते हैं. यही हाल कमोबेश सभी पेंशनधारियों का है.
बंद हो गया पेंशन का पैसा
पूर्वी चंपारण के साजन सहनी विकलांग हैं. उन्हें 1- – फीसदी विकलांगता का प्रमाणपत्र मिला है. उन्हें भी इस पेंशन से बहुत उम्मीदें जुड़ी रहती हैं, लेकिन नये नियम लागू होने के बाद पैसे मिलने बंद हो गये. उनसे बैंक अकाउंट और आधार कार्ड मांगा गया. यह बनवाकर जमा किया है.
वहीं मुंगेर जिले के कल्याणपुर प्रखंड की पेंशनधारी हमसा देवी, पुतुश कुमार, सीता देवी, पुना देवी, गोदावरी देवी, आमोद तांतो, वीणा जायसवाल ने कहा कि पेंशन का यह पैसा कम होते हुये भी बहुत काम का है. उन्हें पहले यह पैसा मिल रहा था, लेकिन अब नहीं मिल रहा. उनसे बैंक अकाउंट और आधार कार्ड मांगे गये हैं. उन्होंने जमा करवा दिया है. उन्हें सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि पैसा जल्द मिलने लगेगा.
इस समय लाभार्थियों की संख्या करीब 53 लाख है. इसपर काम हो रहा है कि हर महीने में इनके पेंशन का भुगतान हो जाये. केंद्र व राज्य की मदद से इन्हें 4- – रुपये मिलते हैं. फिलहाल इसमें बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है.
अतुल प्रसाद,
प्रधान सचिव, समाज
कल्याण विभाग
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