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कहीं गड्ढा कर ही छोड़ा, कहीं बना आधा-अधूरा शौचालय

पटना : फुलवारीशरीफ का सकरैंचा पंचायत जिला प्रशासन के लिए अब गले की फांस बन गया है. सकरैंचा पंचायत को ओडीएफ घोषित करने के लिए प्रशासन को तीसरी बार तारीख आगे बढ़ानी पड़ी है. गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने जब सकरैंचा पंचायत के हालात का दोबारा जायजा लिया, तो फिर से कई गड़बड़ियां […]

पटना : फुलवारीशरीफ का सकरैंचा पंचायत जिला प्रशासन के लिए अब गले की फांस बन गया है. सकरैंचा पंचायत को ओडीएफ घोषित करने के लिए प्रशासन को तीसरी बार तारीख आगे बढ़ानी पड़ी है. गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने जब सकरैंचा पंचायत के हालात का दोबारा जायजा लिया, तो फिर से कई गड़बड़ियां दिखीं. इसके बाद ओडीएफ घोषणा की तारीख अब दस अगस्त तक बढ़ा दी गयी है. इससे पहले 25 जुलाई को भी प्रभात खबर की टीम ने सकरैंचा पंचायत की हकीकत बतायी थी.
दलित टोला के महिला-पुरुष अब भी खुले में शौच को विवश: गुरुवार को जब दोबारा इसी पंचायत में प्रभात खबर की टीम ने जायजा लिया, तो वार्ड पांच में कुछ जगहों पर ही शौचालय का निर्माण पाया गया. दलित टोला के महिला व पुरुष अब भी शौच के लिए बाहर ही जाते हैं.
क्योंकि, उनके यहां शौचालय नहीं है. सकरैंचा में ही एक दलित टोला है, जो फाटक पर स्थित है. यहां 60 परिवार में मुश्किल से 10 घरों में ही शौचालय हैं. यहां के ज्यादातर लोग खुले में ही शौच जाते हैं. पूरी पंचायत की बात करें, तो 60 प्रतिशत लोग खुले में ही शौच जाते हैं.
इसमें काफी संख्या महिलाओं की है. आंगनबाड़ी केंद्र में 40 से अधिक बच्चे हैं, जो हर दिन आते हैं, लेकिन यहां भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है. सेविका मुन्नी देवी कहती है कि यहां शौचालय का निर्माण मुख्यमंत्री जब आये थे, उस वक्त कराया गया था. लेकिन, अब वह भर गया है. इसलिए बच्चे बाहर ही शौच के लिए जाते हैं.
शौचालय के नाम पर सिर्फ गड्ढा कर के छोड़ दिया गया : दलित टोला में शौचालय निर्माण के लिए गड्ढे खोदे गये, लेकिन इसे अधूरा ही छोड़ दिया गया. इसलिए लोग बाहर शौच के लिए मजबूर हैं. जिस घरों के आगे गड्ढा खोद कर अस्थायी शौचालय का लुक दिया गया, वह अब भर गया है, जहां जाना मुश्किल है. इसे कैसे भर कर दूसरा गड्ढा खोदा जाये, इसे बतानेवाला कोई नहीं है.
मेरे यहां ही नहीं, बल्कि हमारे टोले में ही शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. हमलोगों को पैसा नहीं मिला था. अब कहां से पैसे लायेंगे. गड्ढा खोद कर एक शौचालय जैसा बनाये थे, लेकिन वह भर गया. इसलिए बाहर ही शौच जाते हैं.
उमेंद्र पासवान
शौचालय बनवाये हैं, लेेकिन पानी निकासी की कोई जगह नहीं है. शौचालय में गेट भी नहीं है. हमको पैसा भी नहीं मिला है. यह शौचालय बस दिखावे के लिए है. हमलोग बाहर ही शौच जाते हैं.
जनटू
पंचायत में शौचालय काम लगभग पूरा हो गया है. जिन घरों में शौचालय है, वो भी खुले में शौच जाते हैं. कहने के बाद भी बात नहीं मानते हैं. एक सप्ताह में दोबारा सर्वे किया जायेगा, जहां शौचालय नहीं होगा, वहां बनवाया जायेगा.
शमशीर मल्लिक, बीडीओ, फुलवारीशरीफ

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