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पहले सत्र में लगभग 150 स्टूडेंट ने कराया था नामांकन

पटना सिटी: नालंदा मेडिकल कॉलेज मंगलवार को 44 वर्ष का हो जायेगा. इतिहास के पन्नों में इसकी स्थापना का स्थान कोल्ड स्टोर व स्थापना काल दो अप्रैल 1970 है. बुधवार को आयोजित स्थापना दिवस को लेकर नये छात्रों के अलावा पूर्ववर्ती छात्रों में खासा उत्साह है. एक बार फिर कॉलेज कैंपस में पुराने मित्रों के […]

पटना सिटी: नालंदा मेडिकल कॉलेज मंगलवार को 44 वर्ष का हो जायेगा. इतिहास के पन्नों में इसकी स्थापना का स्थान कोल्ड स्टोर व स्थापना काल दो अप्रैल 1970 है. बुधवार को आयोजित स्थापना दिवस को लेकर नये छात्रों के अलावा पूर्ववर्ती छात्रों में खासा उत्साह है. एक बार फिर कॉलेज कैंपस में पुराने मित्रों के मिलने व अतीत से जुड़ी चीजों को निहारने का मौका मिलेगा. इस कॉलेज ने अपने 44 वर्ष के सफर में देश व दुनिया को विख्यात डॉक्टर दिया है.

कंकड़बाग स्थित तिवारी बेचर के समीप एक पुराने कोल्ड स्टोर को मेडिकल कॉलेज का रूप दिया गया. प्रबंधन का कार्य निजी हाथों में था, कॉलेज की नींव रखने में डॉ विजय नारायण सिंह, डॉ मधुसुदन दास व डॉ शैलेंद्र कुमार सिन्हा व तत्कालीन शिक्षा मंत्री कृष्ण कांत सिंह सरीखे लोगों की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता. उस वक्त पहले सत्र में लगभग 150 स्टूडेंट ने नामांकन कराया था. पूर्व में मेडिकल कॉलेज में मरीजों के उपचार की सुविधा थी. साथ ही दवा भी मिलती थी.

पूववर्ती छात्रों की मानें तो वर्ष 1975 में कालेज के अंदर बिहार के अलावा पंजाब, केरल, आंध्र प्रदेश, कश्मीर समेत अन्य प्रांतों के छात्र यहां शिक्षा हासिल कर रहे थे. उस समय साथ शिक्षा ग्रहण किये साथी अमेरिका, इंग्लैंड सहित दूसरे देशों में चिकित्सा सेवा से जुड़े है.

1978 में सरकार ने किया अधिग्रहण : राज्य सरकार ने 1978 में इस चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहीत किया. अधिग्रहण के उपरांत महाविद्यालय को नये भवन में शिफ्ट किया गया. साथ ही 50 विद्यार्थियों का नामांकन होता था, लेकिन, बाद में एक सौ विद्यार्थियों के नामांकन की अनुमति मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मिली. साथ ही पीजी की पढ़ाई भी महाविद्यालय में आरंभ हुई. पूर्ववर्ती छात्र मिलन कमेटी के डॉ विमल कारक, डॉ दिवाकर तेजस्वी व प्रथम बैच के डॉ उमाकांत प्रसाद का कहना है कि स्थापना दिवस के बहाने ही पुराने यादें ताजा होती है. हालांकि 44 वर्ष बाद भी ऑडिटोरियम वछात्रओं के लिए छात्रवास की व्यवस्था नहीं हो पायी है.

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