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20% वार्डों में सिर्फ कमेटी गठित योजनाओं का चयन अभी बाकी

पटना : राज्य के 26 हजार 126 वार्डों में ही अभी तक वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन किया गया है. इस प्रबंधन समिति का गठन राज्य के सभी एक लाख 14 हजार वार्डों में किया जाना है. राज्य सरकार का निर्णय है कि वार्ड प्रबंधन समिति ही मुख्यमंत्री के दो निश्चय योजनाओं को […]

पटना : राज्य के 26 हजार 126 वार्डों में ही अभी तक वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन किया गया है. इस प्रबंधन समिति का गठन राज्य के सभी एक लाख 14 हजार वार्डों में किया जाना है.
राज्य सरकार का निर्णय है कि वार्ड प्रबंधन समिति ही मुख्यमंत्री के दो निश्चय योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में आम जनता तक पहुंचायेगी. इस वित्तीय वर्ष में राज्य के हर ग्राम पंचायत के 20 फीसदी वार्डों में मुख्यमंत्री पेयजल योजना और मुख्यमंत्री नाली-गली योजना को पूरा करना है. स्थिति यह है कि अभी तक तो राज्यभर में महज 20 फीसदी प्रबंधन समितियों का ही गठन किया गया है. योजनाओं का तो चयन नाममात्र का हुआ है. दोनों योजनाओं को वित्तीय वर्ष 2019-20 तक पूरा किया जाना है. पंचायती राज विभाग द्वारा गुरुवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंचायती राजमंत्री कपिलदेव कामत की उपस्थिति में सचिव अरविंद चौधरी ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों की नियुक्ति के लिए राज्य कर्मचारी चयन आयोग रिक्तियां भेजी गयी हैं.
इसके पहले पंचायती राजमंत्री कपिलदेव कामत ने बताया कि ग्राम पंचायतों को सशक्त करने के लिए बिहार पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2017 लाया गया. इसमें धारा 25 व 26 को संशोधित किया गया और धारा 170(क) के बाद धारा 170 (ख) और धारा 170(ग) को जोड़ा गया. इसमें बिहार वार्ड सभा तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति कार्य संचालन नियमावली 2017 को अधिसूचित किया गया. यह भी व्यवस्था की गयी है कि वार्ड में क्रियान्वित सभी विकास कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कराना वार्ड सभा की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है.
विभाग ने वर्ष 2016-17 में ओडीएफ हुए ग्राम पंचायतों को मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत पूर्णत: अच्छादित करने के लिए राज्य योजना मद से 620 करोड़ की विशेष सहायता उपलब्ध करायी जा रही है. उन्होंने बताया कि राज्य के पहले चरण में 1435 पंचायत सरकार भवनों की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी है. इसमें 1176 में कार्य प्रारंभ हो चुका है.
968 पंचायत सरकार भवनों का कार्य पूर्ण हो गया है और 208 इकाइयां निर्माणाधीन हैं. पिछले साल 807 पंचायत सरकार भवनों को क्रियाशील बनाने के लिए प्रति पंचायत सरकार भवन पांच लाख राशि का आवंटन पंचायतों को दिया गया है. पंचायतों को भेजी गयी राशि के ऑडिट के लिए राज्य को 85 कलस्टरों में बांटा गया है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में ग्राम पंचायतों को 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर 2269.18 करोड़ की राशि उपलब्ध करायी गयी है.
इसी तरह से वित्तीय वर्ष 2016-17 में बुनियादी अनुदान के रूप में 3142.08 करोड़ ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराये गये हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रथम किस्त के रूप में 1815.195 करोड़ प्राप्त हो चुकी है. पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के अालोक में वित्तीय वर्ष 2016-17 में 3162.30 करोड़ त्रिस्तरीय ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराया गया है. इस राशि का 70 फीसदी राशि ग्राम पंचायत, 10 फीसदी राशि पंचायत समिति और 20 फीसदी राशि जिला परिषदों के बीच वितरित की गयी है.
सचिव अरविंद चौधरी ने कहा कि मंत्री ने उम्मीद जतायी कि दो माह में इतने वार्डों में मुख्यमंत्री के दो निश्चय योजनाओं का चयन कर उस पर काम आरंभ किया जायेगा. लेकिन राज्य के आठ हजार 391 पंचायतों में महज 4500 पंचायतों में ही पंचायत सचिव काम कर रहे हैं.
औसतन दो पंचायत पर एक पंचायत सचिव हैं. इनकी नियुक्ति के लिये बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग को अधियाचना भेजी गयी है. उन्होंने बताया कि ग्राम कचहरियों की कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए चाणक्या विधि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कराया गया है.
साथ ही उनसे केस स्टडी कराया जायेगा. चाणक्या विधि विवि से अनुरोध किया गया है कि वह ग्राम कचहरियों के फंक्शन को ठीक करने के लिए मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण कराएं. मास्टर ट्रेनरों द्वारा जिलों में सरपंच, उपसरपंच और न्यायमित्रों का प्रशिक्षण दिया जायेगा. साथ ही विवि से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह अपने यहां अलग से एक सेल गठित करे जो ग्राम कचहरियों में सुधार की पहल करें.

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