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त्वचा के कालाजार को कैसे पहचानें

पांच जिलों से आये चिकित्सकों व कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण पटना सिटी : अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान में त्वचा के कालाजार के रोगियों की पहचान कैसे करेंगे, इसकी जांच किस तरह से होगी. इसको लेकर शुक्रवार को डीएनडीआइ की ओर से आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में पांच जिलों से […]

पांच जिलों से आये चिकित्सकों व कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
पटना सिटी : अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान में त्वचा के कालाजार के रोगियों की पहचान कैसे करेंगे, इसकी जांच किस तरह से होगी.
इसको लेकर शुक्रवार को डीएनडीआइ की ओर से आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में पांच जिलों से आये चिकित्सकों, मेडिकल अफसरों, लैब टेक्निशियनों व पैथलॉजिस्टों को प्रशिक्षण दिया गया. शिविर का उद्घाटन निदेशक डॉ प्रदीप दास ने किया, जबकि प्रशिक्षक डॉ कृष्णा पांडे, डॉ वीएनआर दास, डॉ नीना वर्मा व डॉ आरके टोप्पो ने प्रशिक्षण दिया. प्रशिक्षण के दौरान आधुनिक लैब में जांच की प्रक्रिया, रोगियों की पहचान, उपचार में सावधानी व जांच उपकरण के बारे में बताया गया. प्रशिक्षण शिविर में मलेरिया व वेक्टर जनित बीमारी के बारे में उपनिदेशक एनपी शर्मा ने कहा कि प्रथम चरण में पांच जिलों सहरसा, मुजफ्फरपुर,पूर्णिया, वैशाली व सारण के चिकित्सकों व टेक्निशियनों को प्रशिक्षण दिया गया. उपनिदेशक के अनुसार जिला के सदर अस्पताल में जांच की यह सुविधा उपलब्ध होगी. इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया है. शरीर के चमड़े पर होता है धब्बा : संस्थान के निदेशक डॉ प्रदीप दास व प्रशिक्षक डॉ कृष्णा पांडे ने बताया कि बीमारी से पीड़ित मरीज के शरीर के त्वचा पर धब्बा हो जाता है. प्रशिक्षण में मूल रूप से चमड़े को कैसे निकाल कर जांच की जाये, इसी पर बल दिया गया.
ताकि जांच में यह पता चल सके की मरीज कालाजार से पीड़ित तो नहीं है. चिकित्सकों ने बताया कि कालाजार रोगियों की संख्या अब घटी है.

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