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लालू पर सीबीआइ छापा : 94 करोड़ की जमीन का सौदा हुआ था महज 64 लाख में

कैसे हुआ घोटाला : सीबीआइ ने एफआइआर में बतायी पूरी कहानी सीबीआइ ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज कर ली है. लालू पर रेलमंत्री रहते वित्तीय गड़बड़ियों के गंभीर आरोप लगे हैं. सीबीआइ ने अपनी एफआइआर में घोटाले की पूरी कहानी बतायी है कि किस तरह से करीब 94 करोड़ […]

कैसे हुआ घोटाला : सीबीआइ ने एफआइआर में बतायी पूरी कहानी
सीबीआइ ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज कर
ली है. लालू पर रेलमंत्री रहते वित्तीय गड़बड़ियों के गंभीर आरोप लगे हैं. सीबीआइ ने अपनी एफआइआर में घोटाले की पूरी कहानी बतायी है कि किस तरह से करीब 94 करोड़ की जमीन का सौदा महज 64 लाख में कर दिया गया.
कहानी 2004 से होती है शुरू
आइआरसीटीसी के गठन के बाद सन 2004 में यह तय किया गया कि रांची और पुरी स्थित रेलवे के होटल बीएनआर का संचालन भारतीय रेलवे से लेकर आइआरसीटीसी को दे दिया जाएगा. इसके ठीक बाद लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री के तौर पर पदभार संभाला. सीबीआई के अनुसार उनकी नजर इस फैसले पर पड़ी और वे ‘साजिश’ में लग गये.
आरोपित साजिश में शुरू से थे शामिल
सीबीआइ के अनुसार इस साजिश में सभी आरोपी शुरू से ही शामिल थे. इसमें सुजाता होटल्स के मलिक हर्ष कोचर व विनय कोचर, लालू के करीबी पीसी गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता और आइआरसीटीसी के अधिकारी की मुख्य भूमिका रही. साजिश के तहत होटलों पर अधिकार पाने के लिए पूरी योजना बनायी गयी और एक साथ ही कई काम हुये.
डेढ़ करोड़ रुपये के सौदे से हुई थी शुरुआत
साजिश के तहत कोचर बंधुओं ने फरवरी, 2005 में पटना में तीन एकड़ की प्राइम लैंड का सौदा एक करोड़ 47 लाख में तय किया. जमीन को डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को बेच दिया गया. इसका मालिकाना हक प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के पास था. दावा है कि यह लालू की ही बेनामी कंपनी थी.
मौजूदा रेट से कम लगायी कीमत
बेनामी कंपनी ही नहीं जो जमीन कोचर बंधुओं ने बेची, उसकी कीमत मौजूद सर्किल रेट और मार्केट रेट से काफी कम लगायी गयी थी. यही नहीं जमीन तो व्यावसायिक इस्तेमाल की थी, लेकिन उसे कृषि की जमीन दिखाया गया. इसके जरिये स्टैम्प ड्यूटी से भी सौदे में आरोपित बच गये. यही नहीं, सौदे की रकम के लेन-देन में भी गड़बड़ी हुई.
जमीन सौदे के दिन ही हुआ बड़ा फैसला
सीबीआइ का आरोप है कि जिस दिन यह सौदा हुआ, उसी दिन रेलवे बोर्ड ने आइआरसीटीसी को बीएनआर होटलों की कमान सौंपने का एलान किया. इसी के बाद दोनों होटलों का प्रबंधन ‘रहस्यमयी’ तरीके से कोचर बंधुओं की कंपनी को सौंप दिया गया. इसके लिए जो टेंडर निकाला गया, वह भी गलत था और उसमें साजिश की गयी. इसमें तत्कालीन आइआरसीटीसी के निदेशक पीके गोयल का भी नाम था.
होटल चलाने के लायक नहीं थे कोचर बंधु
सीबीआइ की जांच में यह पता चला है कि जो टेंडर इसके लिए निकाले गये थे, उसकी शर्तों को कोचर बंधु की कंपनी पूरा नहीं करती थी. इसके बावजूद उन्हें काम सौंप दिया गया. यही नहीं, टेंडर प्रोसेस में जिन ‘प्रतिद्वंद्वी’ कंपनियों ने दावा पेश किया था, उनका भी कोई रिकार्ड आइआरसीटीसी के पास नहीं है, जो शक पैदा करता है.
होटल सौदे के बाद ही जमीन का गोलमाल
सीबीआइ को पता चला कि होटलों का काम मिलने के बाद ही डिलाइट मार्केटिंग कंपनी की डायरेक्टर सरला गुप्ता ने कंपनी के शेयर लालू के परिजनों को सौंप दिये. यही नहीं बाद में डिलाइट कंपनी का नाम भी बदल दिया गया और लारा प्रोडेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड हो गया.
चार साल तक चला जमीनों के सौदे का खेल
सीबीआइ के अनुसार जमीनों का सौदा 2005 में हुआ था, लेकिन उसका शेयर 2010 से 2014 के बीच लालू परिवार को सौंपा गया. इसके साथ ही जमीन की जो कीमत 2014 में थी, वह काफी ज्यादा थी. जिसमें सर्किल रेट के अनुसार तीन एकड़ की कीमत 32 करोड़ रुपये और मार्केट रेट के अनुसार करीब 94 करोड़ रुपये आंकी गयी है. लेकिन, सरला गुप्ता की ओर से महज 64 लाख रुपये में लालू परिवार को सौंप दी गयी.
लालू और उनके परिवार पर सीधा आरोप
सीबीआइ का कहना है कि रेल मंत्री होने के नाते बीएनआर होटलों के ‘खेल’ की पूरी जानकारी लालू प्रसाद को थी. इस दौरान चल रहे जमीन के सौदों में भी उनकी भूमिका थी. सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि जमीन के लालच में ही लालू प्रसाद द्वारा कोचर बंधुओं को सहायता पहुंचायी गयी. बीएनआर होटलों की लीज के बदले लालू प्रसाद के परिवार ने जमीन का लाभ लिया है.
भाड़े की गाड़ी और जींस कारोबारी बता पहुंचे अफसर
पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद का 10 सर्कुलर रोड के आवास का गेट शुक्रवार को खुला, तो वहां सीबीआइ की टीम थी. हर दिन की तरह राजद प्रमुख से मिलने पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और फरियादी पहुंचते थे. शुक्रवार की सुबह का नजारा इससे बदला हुआ था. सुबह पौ फटते ही सीबीआइ की टीम छह बजे 10 सर्कुलर रोड पहुंच कर दरवाजे पर दस्तक दी. सीबीआइ के 10 सर्कुलर रोड पहुंचते ही सुरक्षा कारणों से एक अणे मार्ग के दक्षिणी छोर और मुख्यमंत्री के आवास सात सर्कुलर रोड के उत्तरी छोर को सील कर दिया गया.
हालांकि राजद प्रमुख लालू प्रसाद पटना में नहीं बल्कि रांची की अदालत में पेशी के लिए गुरुवार से ही रांची में हैं. आठ बजे करीब लालू प्रसाद के वकील चितरंजन सिन्हा 10, सर्कुलर रोड आवास पहुंचे.
सुबह छह बजे सीबीआइ की टीम जींस व्यापारी के रूप में सात कारों पर दल बल के साथ 10 सर्कुलर रोड पहुंची. पटना के विभिन्न होटलों में ठहरे सीबीआइ के पदाधिकारी निजी एजेंसी के वाहनों को भाड़े पर लेकर लालू आवास पहुंचे. सीबीआइ पदाधिकारियों के बारे में ड्राइवरों ने बताया कि आगंतुक अपने को जींस का कारोबारी बता रहे थे. जब लालू प्रसाद के आवास पर पहुंचे तो पता चला कि वे सभी सीबीआइ के पदाधिकारी हैं.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद की गैर मौजूदगी में सीबीआइ की टीम द्वारा छापेमारी शुरू की गयी. जब टीम पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के अंदर प्रवेश की तो अंदर में बेटी मीसा भारती और दामाद शैलेश कुमार के अंदर होने की बात बतायी जा रही थी.
बीएनअार मामला
2008 में ललन सिंह और शिवानंद तिवारी ने किया था खुलासा
पटना : आइआरटीसी के जिस होटल को नीलाम कर उसके बदले निजी लाभ लेने का आरोप राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर लगा है, वह मामला वर्तमान में महागठबंधन सरकार में जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने ही उजागर किया था. 12 अगस्त, 2008 में इसका दोनों नेताओं ने इसका खुलासा किया.
ललन सिंह व पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने 600 पन्ने का एक दस्तावेज तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जांच के लिए सौंपा था. लेकिन, सरकार ने इसे जांच के लायक नहीं माना. मामला ठंडे बस्ते में चला गया. उस समय ललन सिंह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष थे, जबकि शिवानंद तिवारी जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे. अब केंद्र में बनी नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल बाद पुन: जांच शुरू हुई है. राजद नेताओं व लालू समर्थकों काे इसी पर एतराज है.
उनका दावा है कि भाजपा लालू प्रसाद को डरा रही है. लालू प्रसाद 2004 से 2009 तक यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे. 2009 में यूपीए 2 सरकार बनी. इसमें लालू और उनकी पार्टी को जगह नहीं मिली. इसके बावजूद मनमोहन सरकार ने जदयू के इस आरोप को तवज्जो नहीं दी. उस समय भी रेलवे के रांची और पुरी स्थित होटल को प्राइवेट हाथों को सौंप देने का मामला सामने आया था. हाल में इसी मामले को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि रांची और पुरी के बीएनआर होटल को जिन हाथों को सौंपा गया उसके मालिकों की पटना के सगुना मोड़ स्थित जमीन लालू परिवार के पास पहुंच गयी.
मीडिया का हुजूम
इधर, सीबीआइ की छापेमारी की सूचना मिलते ही इलेक्ट्राॅनिक व प्रिंट मीडिया के पत्रकारों का हुजूम जमा होने लगा. दर्जनों ओबी वैन खड़े कर दिये गये. लालू आवास पर पार्टी नेताओं में मीडिया प्रभारी प्रगति मेहता ,पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी, विधायक व मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव, अबु दोजाना, विधायक मुंद्रिका सिंह यादव, प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे, विधायक एज्या यादव, पूर्व सांसद राजनीति प्रसाद, विधायक ललित यादव, पार्टी नेताओं में, रणविजय साहू, प्रमोद सिन्हा सहित दर्जनों की संख्या में नेता व कार्यकर्ता पहुंचने लगे. हालांकि आवास के अंदर किसी को जाने की अनुमति नहीं मिली.
आठ बजे आये वकील चितरंजन प्रसाद
करीब आठ बजे लालू प्रसाद के वकील चितरंजन प्रसाद वहां पहुंचे जिसे सीबीआइ की टीम ने आधिकारिक तौर पर हस्ताक्षर कराने के बाद प्रवेश दिया. आवास के अंदर बस स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव को चहलकदमी करते हुए देखा गया. टीम द्वारा अंदर पहुंचने के बाद जांच शुरू कर दी गयी. बीच में एक अधिकारी बाहर निकला और बिना कुछ बोले फिर अंदर चला गया.
दोपहर तक वहां पर नेताओं की हुजूम पहुंचने लगी थी. अधिसंख्य नेताओं को बैरियर के अंदर नहीं घुसने दिया जा रहा था. चंद विधायक व पार्टी के नेताओं को आवास बाहर तक जाने का मौका मिला. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और अन्य वरीय नेता अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को आवास के गेट पर जाने से रोक रहे थे. वह अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन बरतने की नसीहत दे रहे थे. इसके साथ ही दिन ढलने लगा और पार्टी के नेता लालू प्रसाद के पटना वापस लौटने का इंतजार कर रहे थे.
लालू व परिवार पर घोटालों से जुड़े कई मामले
900 करोड़ रुपये का चारा घोटाला 1990 के दशक में सामने आया था. उस वक्त लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. चारा घोटाले में लालू के खिलाफ कुल पांच केस चल रहे हैं, जिसमें करीब दो सौ करोड़ के घोटाले का आरोप लालू पर है. एक मामले में लालू यादव को जेल की सजा भी हो चुकी है. यह घोटाला सन 1990 से लेकर सन 1997 के बीच हुआ था.
इस घोटाले में कई अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं. इसके कई आरोपी तो अब इस दुनिया में भी नहीं. हाल ही में इस मामले में लालू रांची की सीबीआई कोर्ट में पेश हुए थे. चारा घोटाले में ही लालू को 1997 में बिहार का सीएम पद छोड़ना पड़ा था.
बेनामी संपत्ति मामले में 22 ठिकानों पर हो चुकी है छापेमारी : एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति के मामले में 16 मई को आयकर विभाग ने लालू के 22 ठिकानों की छापेमारी की थी. आयकर विभाग ने दिल्ली, गुड़गांव के इलाकों में छापेमारी की थी. छापेमारी कटियार फैमिली, कोचर फैमिली और सांसद प्रेमचंद गुप्ता के बेटों के ठिकानों पर गयी थी.
राबड़ी देवी
18 फ्लैटों की मालकिन होने का आरोप
सुशील मोदी का राबड़ी देवी पर आरोप है कि वह 18 फ्लैट की मालकिन हैं. ये 18 फ्लैट कुल 18,652 स्क्वायर फीट में बने हैं और उनकी आज की कीमत 20 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप
सेवा के नाम पर तीन साल आठ माह की उम्र में दी गयी जमीन
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने खुलासा किया कि सांसद रमा देवी ने लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप को जमीन दान में दी थी. लगभग 13 एकड़ जमीन 1992 में तेज प्रताप यादव को दान में दी गयी. जिस वक्त यह दान दी गयी, तेज प्रताप की उम्र महज 3 साल 8 महीने थी.
जमीन सेवा के नाम पर दी गयी, जो बिहार के मुजफ्फरपुर के मौजा किशुनगंज, थाना कुढ़नी में पड़ती है. एक दिन बाद लालू प्रसाद ने कहा कि दान में मिली वह जमीन का निबंधन उसी साल रद्द करा दिया गया था. तेज प्रताप यादव पर मिट्टी घोटाले का आरोप लग चुका है. आरोप है कि उन्होंने अपनी ही जमीन की मिट्टी पटना चिड़िया घर को नब्बे लाख रुपये में बेच दी. पटना चिड़िया घर वन विभाग के अंदर आता है, जिसके मंत्री तेज प्रताप यादव हैं. ये आरोप बीजेपी नेता सुशील मोदी ने लगाये थे.
मीसा और दामाद शैलेश
घोटालों के पैसों से फार्म हाउस खरीदने का आरोप
मीसा भारती और उनके पति शैलेश पर आरोप है कि रेल कंपनियों के जरिये आने वाले पैसों से उन्होंने दिल्ली में फार्म हाउस खरीदे. एक अन्य कंपनी केएचके के भी शेयर खरीदे, जिससे उनके पास एक और फार्म हाउस आ गया. आयकर विभाग को शक है कि यह बेनामी संपत्तियां हैं. इस मामले में पिछले महीने आयकर विभाग मीसा भारती से पूछताछ कर चुका है.
लालू आवास पर छापेमारी
टाइम लाइन
– 6:15 बजे: सीबीआइ की पांच गाड़ियां 10, सर्कुलर रोड पर पहुंचीं.
– 6:25 बजे: सीबीआइ की टीम लालू राबड़ी आवास पर पहुंची. इस समय आवास के मुख्य दरवाजे के गार्ड ने सीबीआइ टीम के कहने पर राबड़ी देवी को इनके आने की खबर की गयी.
– 7.00 बजे: राबड़ी देवी नीचे आयीं.
– 7.05 बजे: राबड़ी देवी से सीबीआइ की टीम ने उन्हें सर्च करने की जानकारी दी. राबड़ी देवी ने कहा लालू प्रसाद घर पर नहीं हैं, आप उनसे बात कर लें.
– 7.15 बजे: सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने लालू प्रसाद से मोबाइल पर बात की सीबीआइ टीम ने कहा आपके घर पर सर्च का वारंट है. लालू प्रसाद ने कहा हम पटना में नहीं हैं आते हैं तो करियेगा. इस पर सीबीआइ के अधिकारी ने कहा, ऐसा संभव नहीं है, मुझे आज ही सर्च करने का आदेश है. इस पर लालू प्रसाद ने कहा – तो करिये.
– 7.30 बजे: सीबीआइ की टीम ने राबड़ी देवी से कहा कि घर की महिला सदस्यों को बाहर बुला लें, हम लोगों को अंदर के कमरे भी तलाशने हैं. राबड़ी देवी ने महिला कर्मियों को घर के बाहर बुलाया.
– 8.00 बजे: सीबीआइ ने राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को ड्राइंग रूम में बैठने को कहा
– 8.00 से 10:00 बजे तक: सभी कमरों को खंगाला गया, इस दौरान घर के सदस्य बाहर इंतजार करते रहे.
– 9.00 बजे: राबड़ी देवी से सीबीआइ की महिला अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की, तकरीबन सात घंटे तक पूछताछ चली. पूछताछ का सिलसिला बीच-बीच में रुक कर चलता रहा.
– 11.30 बजे: बजे सीबीआइ अधिकारियों ने चाय ब्रेक ली. कुछ इधर-उधर की बात की.
– 12.00 बजे: उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछताछ शुरू, करीब पांच घंटे तक पूछताछ हुई. बीच-बीच में ब्रेक लेकर.
– 3.00 बजे: इसके बाद सीबीआइ की टीम ने बंगले के अंदर रखे कंप्यूटर को खंगाला.
– 5.45 बजे: टीम लालू-राबड़ी आवास से बाहर निकल गयी.
सीबीआइ छापे के बाद संकट में राजद
लालू प्रसाद व तेजस्वी प्रसाद के बाद इस विरासत को कौन संभालेगा?
पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर दूसरी बार इस प्रकार का संकट आया है, जब उनके बाद पार्टी को संभालने वाले उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को भी रेलवे होटल की नीलामी मामले में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी के साथ अभियुक्त बनाया गया है. सीबीआइ की ओर से लालू प्रसाद के बड़े पुत्र व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव को आरोपित नहीं बनाया गया है. लालू प्रसाद व तेजस्वी प्रसाद के बाद इस विरासत को कौन संभालेगा. यह बड़ा संकट है.
लालू प्रसाद ने एक प्रकार से उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद की पार्टी में भूमिका बढ़ा दी है. इसी के तहत उनको सरकार में उपमुख्यमंत्री के पद के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गये हैं.
साथ ही पार्टी की ओर से राजगीर में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन और पार्टी की स्थापना दिवस समारोह में उनकी भूमिका दूसरे नंबर पर दिख रही है. सवाल यही उठता है कि पार्टी की कमान आखिर किसको सौंपा जायेगा. उनके बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव को जिम्मेवारी सौंपी जाती है, तो वह पार्टी को कितना संभाल पायेंगे. क्या पार्टी चलाने की जिम्मेवारी उनकी बेटी मीसा भारती को मिल सकती है. हालांकि, मीसा भारती पर भी आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है.
मालूम हो कि पहली बार जब सीबीआइ की ओर से लालू प्रसाद को अभियुक्त बनाया गया था, तो उस समय लालू प्रसाद ने पार्टी और सरकार की कमान अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी थी. तब लालू प्रसाद मुख्यमंत्री थे. अभी राजद की बहुमत की सरकार नहीं है.
लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव उपमुख्यमंत्री है. सीबीआइ रेड के बाद क्या तेजस्वी प्रसाद यादव महागठबंधन सरकार में बने रहेंगे. इस तरह के कई सवाल है जिसका उत्तर अभी भविष्य के गर्त में छिपा है.
1995 में भी सीबीआइ पहुंची थी लालू आवास
पटना. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के आवास पर इसके पहले नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाला के मामले में सीबीआइ ने दस्तक दी थी. 1995 के आरंभिक दिनों मे सीबीआइ ने लालू प्रसाद पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. इन दिनों में सीबीआइ के संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास काफी चर्चा में रहे थे. लालू प्रसाद उन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री थे. लालू प्रसाद के अलावा इस मामले में पूर्व मंत्री मुख्यमंत्री डा जगन्नाथ मिश्र, पूर्व मंत्री आरके राणा, लोक लेखा समिति के तत्कालीन सभापति राजो सिंह, जगदीश शर्मा समेत कई राजनेता और अधिकारी आरोपी बनाये गये.

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