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बच्चों में रचनात्मकता को विकसित करना ही शक्षिा का मूल उद्देश्य

बच्चों में रचनात्मकता को विकसित करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य आनंददायी शिक्षा से बच्चे हों शिक्षितगांधी की बुनियादी तालीम ही आज की जरुरतनयी शिक्षा नीति पर सरकार पहली बार कर रही है विमर्शफोटो-1,2,3नवादा कार्यालयशिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का संस्कृतिकरण कर विकसित करना, समाज को लोकतांत्रिक बनाना, विचारों में वैज्ञानिकता को स्थान देना, गैर बराबरी […]

बच्चों में रचनात्मकता को विकसित करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य आनंददायी शिक्षा से बच्चे हों शिक्षितगांधी की बुनियादी तालीम ही आज की जरुरतनयी शिक्षा नीति पर सरकार पहली बार कर रही है विमर्शफोटो-1,2,3नवादा कार्यालयशिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का संस्कृतिकरण कर विकसित करना, समाज को लोकतांत्रिक बनाना, विचारों में वैज्ञानिकता को स्थान देना, गैर बराबरी पर आधारित समाज को बदल देना चाहिए. वैश्वीकरण के दौर में अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए दक्ष मानव का निर्माण करना भी वर्तमान शिक्षा पद्धति का लक्ष्य हाेना चाहिए़ उक्त बातें राजस्व एवं भूमि सुधार विकास विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने स्थानीय प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय में आयोजित गोष्ठी में कही़ भारत सरकार द्वारा नयी शिक्षा नीति मसौदा तैयार करने काे लेकर नागर समाज से सुसंगत और परिणामदायी विचार मांगे गये हैं. इसको लेकर एसोसिएशन फॉर स्टडी एंड एक्शन (आसा) ने प्रस्तावित नयी शिक्षा नीति मसौदा पर विमर्श विषय पर आठ वक्ताओं की पैनल के तहत शहर के बुद्धिजीवी नागरिकों से अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए रविवार को कार्यक्रम आयोजित किया़ भावी विद्यालयी शिक्षा तथा उच्च शिक्षा को लेकर वक्ताओं ने 33 सूत्री विषय पर अपने विचार व्यक्त किये़ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री व्यास जी ने कहा कि स्कूली शिक्षा के तहत 20 सूत्री विषय पर विचार करने के दौरान 21 वीं सदी में शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों का निराकरण करना शिक्षित समाज का कर्तव्य है़ नयी शिक्षा नीति के तहत बच्चों के लर्निंग आउटकम, शिक्षा की गुणवता, लड़कियों के नामांकन स्तर के साथ शिक्षा स्तर को बढ़ाने की आवश्यकता है़ निजी स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में भी तकनीकी का उपयोग कर बच्चों का ज्ञानवर्धन किया जाना चाहिए़ बिहार भूदान यज्ञ कमेटी के अध्यक्ष शुभमूर्ति ने देश में शिक्षा के औचित्य पर प्रकाश डाला़ उन्होंने गांधी की बुनियादी तालीम को आधार बनाकर बाल मनोविज्ञान को समझाते हुए शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर बल दिया है़ आचार्य विनोबा भावे की पुस्तक शिक्षण विचार सहित जॉन हुड, इवान ऐलिच, महात्मा गांधी लिखित पुस्तकों के अध्ययन कर शिक्षा नीति गढ़ने की सलाह दी़ उन्होंने कहा कि दीवार रहित विश्वविद्यालय के तहत बच्चों को प्राकृतिक संपदाओं के बीच शिक्षा देने का प्रावधान होना चाहिए़ सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार ने पंचायतवार स्कूलों की आवश्यकता व मॉनीटरिंग की वकालत की़ पहली से तीसरी कक्षा के छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा, क्षेत्रीय विविधता के आधार पर बच्चों के स्वास्थ्य का संरक्षण नयी शिक्षा नीति का मुख्य मुद्दा हो़ अरवल की शिक्षिका सुनीता कुमारी ने बालक व शिक्षकों के अनुपात पर उंगली उठाते हुए कहा कि बिहार में लगभग 100 बच्चों पर एक शिक्षक की उपलब्धता चिंता का विषय है़ नि:शक्त, कमजोर बच्चे, शौचालय, क्रीड़ा स्थल की कमी हमारे स्कूलों की मुख्य समस्या है़ पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने उच्च शिक्षा में नयी नीति के निर्माण पर विचार रखते हुए कहा कि 90 के दशक में वैश्वीकरण, उदारीकरण व निजीकरण के प्रभाव से शिक्षा भी अछूती नहीं रही़ नयी शिक्षा नीति को संविधान के मौलिक सिद्धांत पंथनिरपेक्षता, समाजवाद, राज्य के नीति निदेशक तत्वों के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए़ उन्होंने शिक्षा के पंथ निरपेक्ष तत्व को बदलने की आशंका जतायी. उन्होंने सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में सरकार की भूमिका का न्यूनीकरण करते हुए विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों की स्वतंत्रता को बरकरार रखने की पहल बेबाकी से रखी़ हालांकि कार्यक्रम के वक्ता डा़ अनील राय, मो अहमद अजीम अनुपस्थिति रहे, इससे श्रोताओं को निराशा हुई़ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी मनोज कुमार ने शिक्षा के वर्तमान और भावी प्रभावों पर अपने विचार व्यक्त किये.कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता गालिब ने समयबद्ध होकर किया़ बुद्धिजीवी विचार मंच व ज्ञान विज्ञान समिति ने भी कार्यक्रम में सहभागिता निभायी. इस अवसर पर डाॅ नरेश चंद्र शर्मा, अवधेश कुमार, राजकुमारी देवी, डॉ सुनीती कुमार, यशवंत कुमार, चंद्रमौली शर्मा, तुलसी दयाल, सुनील भारती, रामविलास प्रसाद, सुबोध कुमार, शंभु विश्वकर्मा सहित प्राइवेट स्कूल, शिक्षण संस्थान के शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षा मित्र मौजूद थे़ प्रश्नोत्तरी सहित कविता प्रदर्शनी का हुआ आयोजननयी शिक्षा नीति के मसौदे पर विचार-विमर्श के तहत नागरिक समाज से समकालीन शैक्षिक मुद्दों पर प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन हुआ़ सामाजिक महिला कार्यकर्ता राजकुमारी देवी ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली पर मुखिया की भूमिका पर प्रश्न उठाया़ साथ ही स्कूलों में बच्चों को दिये जानेवाले मध्याह्न भोजन के औचित्य पर भी सवाल खड़ा किया़ राजकुमार प्रसाद, अजय कुमार के मौखिक प्रश्नों पर पैनल के वक्ताओं ने अपने विचार रखे़ उपस्थित लोगों से लिखित प्रश्न भी मांगे गये. इसे विचारोंपरांत सरकार के पास भेजा जायेगा़ मंच द्वारा पटचित्र के माध्यम से शैक्षिक मुद्दों पर कविता प्रदर्शनी भी लगाई गयी. लोक गीतों के माध्यम से शिक्षकों ने पढ़ाई-लिखाई के महत्व को उजागर किया़ शिक्षा पर आधारित कमीशन के मुद्दों पर हुई चर्चाकार्यक्रम में आजादी के बाद शिक्षा पर बने कई कमीशन की चर्चा भी खास रही़ कोठारी कमीशन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, आचार्य राममूर्ति समिति की विभिन्न पहलुओं पर वक्ताओं ने समीक्षा की. प्रोफेसर एनके चौधरी ने कहा कि अर्जुन सेनगुप्त कमीशन के अनुसार 20 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी कमाने वाला व्यक्ति अपने बच्चों को किस प्रकार उच्च शिक्षा देगा़ स्वतंत्र भारत में गरीब के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करना एक दिवास्वप्न जैसा है़

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