पशुओं की तस्करी चरम पर मेसकौर. प्रशासन की विफलता के कारण पशु तस्कारों की चांदी कट रही है. मेसकौर, वजीरगंज, लौंद हाट व हिसुआ प्रखंड क्षेत्रों में पशु तस्करी का धंधा काफी तेजी से फल फूल रहा है. इन प्रखंडों में पशु तस्करी के कारण बैल व दुधारू पशु की संख्या में काफी कमी हो रही है. सूत्रों के अनुसार, पुलिस की मिलीभगत होती है. लोग बताते हैं कि हरेक मंगलवार का जमुआंवा में साप्ताहिक मेला लगता है. इन मेले से मंगलवार का सैकड़ों की संख्या में पशुओं की तस्करी की जा रही है. सूत्र बताते हैं कि अधिकतर पशु तस्कर बंगाल से आते हैं. पशुओं को ग्रामीण क्षेत्र से खरीद कर कोलकाता पहुंचाया जाता है. जहां से देशी तस्कर पशुओं का बांग्लादेश आदि जगहों पर ले जाते हैं. इन पशुओं का विदेशों में काफी कीमत मिलती है. तस्करी के कारण दूधारू पशुओं की कमी साफ झलकती है. कमी के कारण बाजारों से खोवा, छेना आदि से बनी मिठाइयां गायब होने लगी है. समाजसेवी नरौली निवासी सर्वेश कुमार व रौशन कुमार का कहना है कि रविवार को लौंद हाट से साप्ताहिकी मेला लगता है. वहां से सबसे ज्यादा पशुओं की तस्कारी होती है.
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पशुओं की तस्करी चरम पर
पशुओं की तस्करी चरम पर मेसकौर. प्रशासन की विफलता के कारण पशु तस्कारों की चांदी कट रही है. मेसकौर, वजीरगंज, लौंद हाट व हिसुआ प्रखंड क्षेत्रों में पशु तस्करी का धंधा काफी तेजी से फल फूल रहा है. इन प्रखंडों में पशु तस्करी के कारण बैल व दुधारू पशु की संख्या में काफी कमी हो […]
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