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किसानों को नहीं मिल रहे आलू के खरीदार

अनदेखी. औने-पौने दाम में आलू बेच रहे किसान, लागत की 25 प्रतिशत ही निकल रही पूंजी बिहारशरीफ : आलू की कीमत धड़ाम से गिरने से आलू उत्पादक किसानों में मायूसी देखी जा रही है. मंदी की मार ने किसानों की हालत खस्ता कर दी है. जरूरतमंद किसान गली-गली घुम कर औने-पौने दाम में आलू बेचने […]

अनदेखी. औने-पौने दाम में आलू बेच रहे किसान, लागत की 25 प्रतिशत ही निकल रही पूंजी

बिहारशरीफ : आलू की कीमत धड़ाम से गिरने से आलू उत्पादक किसानों में मायूसी देखी जा रही है. मंदी की मार ने किसानों की हालत खस्ता कर दी है. जरूरतमंद किसान गली-गली घुम कर औने-पौने दाम में आलू बेचने को मजबूर हो रहे हैं.
प्रगतिशील किसान राकेश कुमार बताते हैं कि फिलहाल आलू की कीमत 400 रुपये क्विंटल है. इस रेट में किसानों का लागत नहीं निकल पा रहा है. किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. किसानों के खेत भी कई महीने आलू की फसल में फंसी रही और उसमें लगायी गयी पूंजी भी डूब रही है. ऐसे में खेत परती रह जाती तो कम से कम पूंजी बच जाती. किसानों का कहना है कि आलू को छोड़ कोई दूसरी फसल खेत में लगाते तो अच्छा रहता. जिले में करीब 20 हजार हेक्टेयर में इस बार आलू की खेती हुई है. उपज भी बंफर हुई है. किसानों को घर में आलू रखने की जगह नहीं है.
कोल्डस्टोरेज में आलू रखने का किराया 240 से 250 रुपये प्रति क्विंटल है. किसान इतना किराया देकर कोल्ड स्टोरेज में रखते भी हैं, तो आलू उन्हें सही-सलामत मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. कोल्ड स्टोरेज का आलू सही सलामत निकला तो ठीक, खराब निकला तो किसान का भाग्य. यही नहीं कोल्डस्टोरेज से आलू निकालने से पूर्व किसानों को किराया जमा कर देना पड़ता है. ऐसे में किसानों के सामने बड़ी मुसीबत आ खड़ी हुई है.
आज के दिन आलू की कीमत चार सौ रुपये क्विंटल है. आलू को न बेच कर किसान अगर कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं तो किसानों को कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा 240 से 250 रुपये क्विंटल देना पड़ेगा. कोल्डस्टोरेज से आलू निकालते वक्त कीमत अगर यही रही तब उस वक्त किसानों की स्थिति क्या होगी, यह आसानी से समझा जा सकता है. इस परेशानी से बचने के लिए किसान आलू बेचने को जो दाम मिला उसी मेें बेचने को मजबूर हैं.
”बेटी की शादी करने के लिए पांच बीघे में आलू की फसल लगायी थी. आलू के नकदी फसल होने से उम्मीद लगा रखी थी कि उपज के बाद उसे बेचकर बेटी की शादी कर लूंगी, लेकिन पूंजी भी डूब गयी.”
नीलम देवी, महिला किसान, तूफानगंज
”बड़ी हिम्मत करके इस बार हमने आठ कट्ठे में आलू की खेती की थी. आलू उखाड़ने के बाद उसके खरीदार नहीं मिल रहे हैं. बाजार में आलू 125 रुपये पैकेट में बिक रहा है. फायदा तो दूर पूंजी भी डूब गयी है.”
तुलसी रविदास, किसान, देकपुरा
”बड़ी जतन करके आलू की खेती की थी. उम्मीद थी कि अच्छी कीमत मिलने से मुनाफा होगा, लेकिन आलू की जो कीमत है, उससे पूंजी का 25 प्रतिशत ही निकल पा रहा है. रखने की जगह नहीं है, इसलिए औने-पौने दाम में बेच रहे हैं.”
राजेंद्र गोप, किसान, बबूरबन्ना
”कर्ज लेकर आलू की खेती की थी. फसल उखाड़ने के बाद आलू की कीमत काफी गिर गयी है. मजबूरीवश औने-पौने दाम में आलू बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा इतना है कि रखने की हिम्मद नहीं है.”
अर्जुन प्रसाद, किसान, मिल्कीपर
कोल्ड स्टोरेज ओनर ने बताया
”आलू की कीमत अभी 125 रुपये पैकेट है. उस पर भी खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं. जिले में जितना आलू का उत्पादन हुआ है, उतना स्टोरेज में रखने की क्षमता नहीं है. इस वर्ष जिले में करीब 20 से 22 लाख पैकेट आलू का उत्पादन हुआ है, जबकि जिले के कुल 17 कोल्ड स्टोरेज में 14 लाख पैकेट ही आलू रखने की क्षमता है. कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने का भाड़ा 240 रुपये क्विंटल है.”
हरिवंश प्रसाद, सचिव, नालंदा जिला कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन
आलू की फसल में लागत
एक हेक्टेयर = 80 कट्ठा
एक हेक्टेयर में आलू बीज – 80 पैकेट (40 क्विंटल)
आलू बीज का रेट :
सरकारी – 2600 रुपये क्विंटल
किसान से – 1000 रुपये क्विंटल
रोपाई के वक्त उर्वरक का प्रयोग – 16 बैग
रोपाई के वक्त उर्वरक की कीमत – 16Ÿx1100=17600 रुपये
कोड़ाई-भराई के दौरान उर्वरक का प्रयोग – 07 पैकेट
कोड़ाई-भराई के दौरान उर्वरक का कीमत – 7Ÿx1300=9100 रुपये
आलू रोपाई के दौरान मजदूरी – 150 रुपये कट्ठा
एक हेक्टयर की मजदूरी – 80Ÿx150- 12000 रुपये
आलू कोड़ाई के दौरान मजदूरी – 80Ÿx150- 12000 रुपये
आलू उखाड़ने के दौरान मजदूरी – 80Ÿx150- 12000 रुपये
सिंचाई पर खर्च – 50 रुपये कट्ठा
एक हेक्टेयर में खर्च – 80Ÿx50=4000 रुपये
दवा पर खर्च :
तीन बार फसल पर दवा छिड़काव का खर्च – 70 रुपये कट्ठा
एक हेक्टेयर में खर्च – 80Ÿx70=5600 रुपये

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