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किसान हैरान हो रहे परेशान

नोटबंदी . 500 के नोट 400 रुपये में बदलने को हैं मजबूर व्यापारी कह रहे 1000 व 500 के नोट लोगे तभी खरीदेंगे सब्जी बिहारशरीफ : नोटबंदी के कारण परेशानी तो हर तबके केे लोगों को हो रही है, मगर इसका सबसे ज्यादा खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. इस समय किसान को गेहूं, […]

नोटबंदी . 500 के नोट 400 रुपये में बदलने को हैं मजबूर

व्यापारी कह रहे 1000 व 500 के नोट लोगे तभी खरीदेंगे सब्जी
बिहारशरीफ : नोटबंदी के कारण परेशानी तो हर तबके केे लोगों को हो रही है, मगर इसका सबसे ज्यादा खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. इस समय किसान को गेहूं, सरसों, मसूर, आलू की खेती करने का समय है, मगर उन्हें खाद-बीज नहीं मिल पा रही है. हरी सब्जियों की कीमत काफी कम हो गयी है. किसान कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू को नहीं निकाल पा रहे हैं. जो फूलगोभी नोटबंदी से पहले 12 से 14 रुपये पीस बिक रही थी, नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन से ही तीन रुपये पीस बिक रही है.
आलू का जो रेट 1200 रुपये प्रति क्विंटल था वह नोटबंदी की घोषणा होने से किसानों को कोल्ड स्टोरेज में रखे अपने आलू को निकालने की हिम्मत नहीं हो पा रही है. कोल्ड स्टोरेज के अंदर किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल आलू के दाम मिल रहे हैं. कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने का भाड़ा ही किसानों को 240 रुपये प्रति क्विंटल देना है. ऐसे में किसान आलू को कोल्ड स्टोरेज में ही छोड़ने को मजबूर हैं.
खाद-बीज लेने में हो रही परेशानी : किसानों को फसल लगाने के लिए खाद-बीज खरीदने में परेशानी हो रही है. दुकानदार 500 व 1000 के नोट नहीं ले रहे हैं. किसानों का पैसा बैंकों में है, मगर बैंकों में पैसा नहीं होने के कारण उन्हें नहीं मिल पा रहा है. 10 हजार रुपये निकालने वाले किसानों को बैंकों द्वारा दो हजार रुपये ही दिये जा रहे हैं. मध्य बिहार ग्रामीण बैंक बबूरबन्ना में 10 हजार निकालने के लिए इब्राहिमपुर की महिला किसान कलावती देवी गयी थी. कलावती देवी बताती है कि बैंक वालों ने उसमें पैन नंबर की मांग की. इस बात को लेकर बैंक वालों से महिला की नोकझोंक भी हुई, मगर पैसा नहीं दिया. गुरुवार को कलावती फिर बैंक गयी तब उसे छह हजार रुपये दिये गये.
दुकानदारों की बिक्री घटी : नोटबंदी का असर किसानों को विभिन्न प्रकार की सामग्री जैसे उर्वरक, बीज, कीटनाशक बेचने वाले व्यापारियों पर काफी असर हुआ है. कई उर्वरक विक्रेताओं व बीज-कीटनाशक विक्रेताओं ने बताया कि यह हमलोगों की सामग्री बिक्री का सीजन था. नोटबंदी के कारण हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस सीजन में केवल 20 प्रतिशत कारोबार हुआ है. यही हाल कृषि यंत्र के विक्रेताओं का भी है. किसानों के पास पैसा नहीं होने के कारण वे यंत्र खरीदना ही नहीं चाह रहे हैं. इसके कारण जहां उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ना लाजिमी है.
औने-पौने दाम पर बिक रही हरी सब्जियां
खाद-बीज के दाम बढ़े
नोटबंदी की घोषणा के बाद 500 व 1000 के नोटों पर बैन लगाये जाने के बाद खाद-बीज के दाम बढ़ गये. कई किसानों ने बताया कि नोटबंदी के पूर्व इफ्को का जो उर्वरक 1050 रुपये बैग मिल रहा था, नोटबंदी की घोषणा के बाद 1180 रुपये बैग हो गया है. आलू की खेती में किसान करेली लगाते हैं. किसानों ने बताया कि नोटबंदी के पूर्व करेली का बीज 900 रुपये में एक सौ ग्राम मिल रहा था, वही बीज नोटबंदी के बाद 980 रुपये में 100 ग्राम मिलने लगा.
मजबूरी में सब्जी बेच रहे किसान
किसानों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि यहां की सब्जियां बड़ी मात्रा में बाहर भेजी जाती है. बाहर के व्यापारी यहां सब्जियां खरीदने आते हैं, जो खेतों में जाकर किसानों से सब्जी की खरीदारी करते हैं. बाहर से आने वाले व्यापारी किसानों को इस बात की ताकीद पहले कर देते हैं कि 500-1000 के नोट लेना होगा. खराब होने के डर से किसान व्यापारियों से 500 व 1000 के नोट लेकर सब्जी बेच रहे हैं.
क्या कहते हैं किसान :
नोटबंदी से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है. मजबूरीवश किसान सब्जी के व्यापारियों से 500 व 1000 के नोट ले रहे हैं और बाजार में उसे 400 रुपये में कैश करा रहे हैं. बैंक में पैसा है, मगर वह विकास नहीं पा रहा है.
राकेश कुमार, किसान, सोहडीह
किसान खेती के लिए खाद बीज कैसे खरीदे. उनके पास जो 500-1000 के नोट हैं, उसे दुकानदार नहीं ले रहे हैं. बैंक द्वारा पैसा नहीं होने की बात कह कर खाते से पैसे नहीं दिये जा रहे हैं.
कुंदन कुमार, किसान, थरथरी
किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ उठाये तो कैसे उठाये. पैसा नहीं होने का बहाना बना कर बैंक अधिकारियों द्वारा पैसा नहीं दिये जा रहे हैं. किसानों का उत्पाद कोई खरीदने वाला नहीं है. ऐसे स्थिति में किसान हैरान-परेशान है.
कुणाल कुमार, किसान, थरथरी
रबी फसल की बोआई का मौसम है. गेहूं, आलू, सरसों, मसूर व सब्जी की फसल बोयी जानी है. किसानों के पास पैसे नहीं हैं. इस स्थिति में किसान खाद-बीज आदि जरूरत की चीजें खरीदे तो कैसे.
मिथलेश कुमार, किसान
किसानों का 500 व 1000 रुपये का नोट न तो खाद-बीज वाले रहे हैं और न ही कृषि यंत्र वाले. बैंकों के पास भीड़ लगी रहती है. किसानों को सारा कार्य छोड़ दिनभर बैंकों के पास पहरेदारी करनी पड़ रही है.
शैलेंद्र यादव, किसान
किसानों के लिए सरकार ने नोटबंदी में थोड़ी छूट दी है, मगर वह धरातल पर नहीं दिख रहा है. किसान क्रेडिट कार्ड से क्या अपने खाते से भी रुपये नहीं निकाल पा रहे हैं.
विंदेश्वर केवट, किसान
क्या कहते हैं अधिकारी :
नोटबंदी के कारण किसानों के पास कैश की कमी हो गयी है, यह बात आसानी से समझा जा सकता है. किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रुपये निकाल कर अपनी जरूरत की चीजें खरीद सकते हैं.
अशोक कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, नालंदा

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