कहानी बिहारशरीफ से
बिहारशरीफ . रीता देवी को आज खुशी का ठिकाना नहीं है. उनके पति के हुनर की कद्र फिर से होने लगी है. शराब जब से बंद हुई, मानो भगवान ने रीता की मुरादें पूरी कर दीं. घर में खुशहाली लौट आयी. पति अर्जुन कुमार का डेकोरेशन का व्यवसाय फिर से चल पड़ा है.
राजगीर के बंगाली टोला के अर्जुन कुमार का चंदन डेकोरेशन के नाम से नामी-गिरामी व्यवसाय था. हुनर और मेहनत के कारण उनका डेकोरेशन जिले में फेमस था. शादी-विवाह या अन्य समारोहों में उनके बेजोड़ डेकोरेशन के कारण डिमांड बढ़ी रहती थी, लेकिन जब शराब की लत लगी, तो अर्जुन का व्यवसाय चौपट हो गया. घर भी बरबादी के कगार पर जा पहुंचा. चार छोटे-छोटे बच्चों की पढ़ाई बाधित होने लगी. पत्नी रीता मानसिक तनाव में रहने लगी.
पति-पत्नी में तंगी हालत को लेकर कलह होने लगी. घर में राशन-सब्जी का टोटा हो गया. शराब की लत में डेकोरेशन का सामान बिक गया. व्यवसाय चौपट हो गया. अर्जुन शराब के नशे में रात-दिन धुत रहने लगा. इसका असर मासूम बच्चों पर पड़ने लगा. बच्चे अपने पापा से डरने लगे. घर को देखनेवाला कोई नहीं रहा.
यह सिलसिला दो साल तक ऐसे ही चलता रहा, लेकिन जब शराबबंदी बिहार में लागू हुई, तो रीता देवी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. धीरे-धीरे शराब की लत छूटने के बाद अर्जुन कुमार फिर से खड़ा होने लगे और अपने पुराने व्यवसाय को जिंदा किया. आज फिर से उनके हुनर को लोग पसंद करने लगे. घर में वही रौनक लौट आयी. उनके चारों बच्चेे अभिनव राज, कृष्ण राज, हर्ष राज व मानवी स्कूल जाने लगे. पत्नी सरकार को धन्यवाद देते हुए कहती हैं कि भगवान ने मेरी विनती सुनी ली. आज अर्जुन अपने व्यवसाय से बचत कर बच्चों के पढ़ाई पर खर्च कर रहे हैं. उनका सपना है कि उनके बच्चे बड़े ऑफिसर बनें.