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बकाया 50 करोड़, रिकवरी हुआ महज छह करोड़

बिहारशरीफ : डिफॉल्टर मिलरों से रुपये वसूल करना आसान नहीं है. एफआइआर से लेकर सर्टिफिकेट केस तक करने के बाद भी प्रशासन द्वारा अब तक महज छह करोड़ रुपये की ही रिकवरी की जा सकी है जबकि बकायेदार मिलरों पर वर्ष 2012-13, 14 से ही बकाया है. डिफॉल्टर 69 मिलरों के पास 50 करोड़ रुपये […]

बिहारशरीफ : डिफॉल्टर मिलरों से रुपये वसूल करना आसान नहीं है. एफआइआर से लेकर सर्टिफिकेट केस तक करने के बाद भी प्रशासन द्वारा अब तक महज छह करोड़ रुपये की ही रिकवरी की जा सकी है जबकि बकायेदार मिलरों पर वर्ष 2012-13, 14 से ही बकाया है. डिफॉल्टर 69 मिलरों के पास 50 करोड़ रुपये का बकाया है.

जिन मिलरों पर लाख रुपये भी बकाया उन पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश विभाग से लेकर डीएम तक का है. डीएम डॉ. त्याग राजन ने तो बकायेदारों को पकड़कर जेल भेजने की भी चेतावनी दी है. प्रशासन के अथक दवाब में 30 मिलरों ने रुपये वापस करने का शपथ पत्र भी भरा है. मिलरों से किस्तों में रुपये जमा कराने में विभाग लगा है लेकिन कई ऐसे मिलर भी हैं जो रुपये नहीं लौट रहे हैं.

नाम बदलकर डिफॉल्टर चला रहे मिल : करोड़ रुपये गटकने वाले मिलर विभाग के अधिकारी से ज्यादा चतुर हैं. जिले के दर्जनों ऐसे मिलर हैं जिन पर करोड़ों बकाया है. इसके बाद भी नाम बदलकर मिल चला रहे हैं. कई मिलर पत्नी या परिवार के अन्य सदस्यों के नाम और स्थान बदलकर राइस मिल चला रहे हैं लेकिन विभाग का पैसा वापस नहीं कर रहे हैं. किसानों से धान क्रय करने के बाद वर्ष 2012-13,14 में धान से चावल कूटने के लिए जिले के राइस मिलरों को धान दिया गया था. इसके लिए राज्य खाद्य निगम नालंदा इकाई ने मिलरों से अनुबंध भी किया था. अनुबंध के अनुसार मिलरों को धान दिया जाता है. धान को कूटकर चावल लौटाने का प्रावधान है. नीयत में खोट आने के बाद मिलरों ने विभाग को चावल देने की बजाय खुद हड़प लिया.
आसान नहीं चावल माफिया से रिकवरी करना
एफआइआर से लेकर सर्टिफिकेट केस तक
हो चुका है

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