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एटीएम से निकाली गयी राशि लौटायी

बिहारशरीफ : मोबाइल पर धोखे से एटीएम का कोड हासिल कर राशि निकालने का धंधा इन दिनों काफी जोर पकड़ने लगा है. नादानी में अपने एटीएम का कोड बता कर मोटी राशि गंवाने वालों के पास सिर पीटने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है. पुलिस में मामला दर्ज किये जाने के बाद भी ज्यादातर […]

बिहारशरीफ : मोबाइल पर धोखे से एटीएम का कोड हासिल कर राशि निकालने का धंधा इन दिनों काफी जोर पकड़ने लगा है. नादानी में अपने एटीएम का कोड बता कर मोटी राशि गंवाने वालों के पास सिर पीटने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है. पुलिस में मामला दर्ज किये जाने के बाद भी ज्यादातर पीड़ितों को निराशा ही हाथ लगती है.

फूल प्रूफ योजना के साथ साइबर क्राइम करने वाले अपराधी शायद ही पुलिस के हत्थे चढ़ता है. ऐसे में फर्जीवाड़ा की भेंट चढ़ी राशि को वापस पाने की गुंजाइश शायद ही बचती है. हालांकि ऐसे ही फर्जीवाड़े के शिकार एक अधिवक्ता ने अपने मेहनत व इंटरनेट के सहयोग से एटीएम से निकाली गयी सारी राशि वापस हासिल कर न केवल एटीएम धारकों बल्कि पुलिस को भी रास्ता दिखाया है.

क्या था मामला : स्थानीय व्यवहार न्यायालय में विधि व्यवसाय से जुड़े सरमेरा थाना के चेरों गांव निवासी अनंत कुमार के मोबाइल पर दिनांक 06-05-2015 को एक अनजान कॉल आता है, जिस पर सत्यापन के नाम पर उनसे उनके एटीएम का कोड पूछा जाता है. अधिवक्ता श्री कुंमार कॉल करने वाले बदमाश की बातों में आकर कोड बता देते हैं.
इसके कुछ ही देर बाद उनके सरमेरा स्थित पीएनबी के खाता संख्या 3108000100043839 से दो बार में 9999 रुपये तथा 5000 रुपये की निकासी कर ली गयी. इस संबंध में संबंधित बैंक के शाखा प्रबंधक से संपर्क करने पर उनके द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. इस पर पीड़ित अधिवक्ता द्वारा बिहार थाने में कांड संख्या 199/15 दर्ज करायी गयी. हालांकि पुलिस भी इस मामले की तह तक पहुंचने में विफल रही.
इंटरनेट पर सर्च करने से हुआ खुलासा : पीड़ित अधिवक्ता श्री कुमार ने बताया कि इस फर्जीवाड़ा के उद्भेदन में प्रयास किया तथा इस बात पर विचार किया कि आखिर एटीएम से 9999 रुपये कोई कैसे निकाल सकता है, तब उन्होंने अनुमान किया कि निश्चित रूप0 से मोबाइल एटीएम बैंकिंग के माध्यम से उनके खाते से राशि की निकासी मार्केटिंग के लिए की गयी है.
इसके बाद इंटरनेट पर सर्च करने पर पता चला कि यह मार्केटिंग मुवीकॉम प्राइवेट लिमिटेड,गुड़गांव, हरियाणा से की गयी है. इंटरनेट से ही उक्त कंपनी का मोबाइल नंबर पता कर जब बात किया तो पहले कंपनी के प्रतिनिधि ने अनभिज्ञता जाहिर की, फिर एफआइआर में अभियुक्त बनाने की धमकी देने पर उन्होंने स्वीकार किया कि उक्त राशि से किसी के द्वारा उनके दुकान से सामान की बुकिंग करायी गयी है.
पीड़ित ने बताया कि काफी प्रयास के बाद भी बुकिंग करने वाले व्यक्ति का नाम व पता नहीं बताया गया तब उन्होंने बुकिंग कैंसिल कर पैसा लौटाने का आग्रह किया. इस पर कंपनी के प्रतिनिधि ने पहचान पत्र, एटीएम कार्ड से संबंधित खाता संख्या मेल से भेजने को कहा. दिनांक 14-06-2015 को मांगी गयी जानकारी मेल से भेजने के डेढ़ माह बाद तक जब पैसा वापस नहीं लौटाया गया तब पीडि़त अधिवक्ता द्वारा कोर्ट में कंपनी से संबंधित जुटायी गयी
सारी जानकारी के साथ विरोध पत्र दाखिल किया तथा उसकी एक प्रति उक्त कंपनी को भेज दी गयी तथा मोबाइल पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गयी़ तब जेल जाने के भय से कंपनी द्वारा निकाली गयी सारी राशि को उसी खाते में वापस लौटा दिया गया. फर्जीवाड़ा के मास्टर माइंड का खुलासा करने में सफलता नहीं मिल सकी, लेकिन खाते से गायब हुए 15 हजार में से 10 हजार रुपये उन्हें वापस मिल गये.

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