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निरूपा बनीं महिलाओं के लिए आइकॉन, जारी रखा संघर्ष

पति की मौत से टूट चुकी महिला ने मशरूम की खेती से बदली तकदीर बिहारशरीफ : पति के मौत से पूरी तरह टूट चुकी निरूपा देवी ने मशरूम उत्पादन अपना अपनी तकदीर को बदल लिया. दो बच्चियों व एक बेटे की मां सिलाव प्रखंड के सारिलचक की निरूपा देवी को पति की मौत के बाद […]

पति की मौत से टूट चुकी महिला ने मशरूम की खेती से बदली तकदीर
बिहारशरीफ : पति के मौत से पूरी तरह टूट चुकी निरूपा देवी ने मशरूम उत्पादन अपना अपनी तकदीर को बदल लिया. दो बच्चियों व एक बेटे की मां सिलाव प्रखंड के सारिलचक की निरूपा देवी को पति की मौत के बाद बच्चों के भविष्य संवारने की अहम जिम्मेवारी आ गयी थी.
कृषि विभाग की प्रेरणा से 2009-10 में निरूपा देवी मशरूम उत्पादन से जुड़ी. उन्होंने गांव की महिलाओं का एक समूह बना कर मशरूम की खेती शुरू की. शुरुआत में परिवार व गांव वालों को निरुपा देवी का यह कार्य अच्छा नहीं लगा.
मगर धीरे-धीरे परिवार व गांव वालों को अपनी धारणा बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. निरूपा देवी की देखादेखी गांव की अन्य महिलाएं भी मशरूम उत्पादन के व्यवसाय से जुड़ने लगी और देखते ही देखते सारिलचक गांव में महिलाओं के करीब दो दर्जन समूह बन गये. पुरुषों ने मिल कर भी तीन समूहों का गठन किया. सारिलचक के पास ही नव नालंदा महाविहार अवस्थित होने के कारण मशरूम की बिक्री स्थानीय स्तर पर ही होने लगी और अच्छा खासा मुनाफा भी मिलने लगा. आज सारिलचक गांव में करीब 250 महिलाएं मशरूम उत्पादन से जुड़ी हुई है. निरूपा आज महिलाओं के लिए प्रेरणा स्नेत बन गयी है.
दूसरी महिलाओं को दे रही ट्रेनिंग
मशरूम की खेती करने के लिए निरूपा देवी शुरुआत के दिनों में प्रशिक्षण प्राप्त करने क लिए सोलन व सोनीपत गयी थी, मगर आज वह दूसरी महिलाओं को मशरूम उत्पादन व मशरूम से जुड़े उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण दे रही है. मशरूम खीर, मशरूम पकौड़ा, अचार, मशरूम हॉर्लिक्स आदि का निर्माण कर रही है. अब तो विभिन्न महोत्सवों में नयी दिल्ली, पटना, राजगीर आदि में निरूपा का मशरूम स्टॉल जरूर देखने को मिलता है.
लोकसभा चुनाव के दौरान बनीं आइकॉन
लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को जागरूक बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा निरूपा देवी को आइकॉन बनाया गया था. चुनाव के दौरान निरुपा देवी जिले में घूम-घूम कर मतदाताओं को वोट देने के लिए जागरूक किया था.
समेकित कृषि प्रणाली अपनायी
बाद में निरूपा देवी समेकित कृषि प्रणाली से जुड़ गयी. बागवानी, श्री विधि, पशुपालन को अपनाया. करीब 200 बैग मशरूम, 15 कट्ठा में आम,अमरूद लगाया और गाय पालन कर रही है. आज निरूपा देवी आर्थिक परेशानियों से उबर चुकी है. दो बच्चियों में से एक की शादी हो चुकी है जबकि बेटा एमए की पढ़ाई कर रहा है. बेटी आकांक्षा अपनी पढ़ाई व ट्यूशन का खर्च मशरूम उत्पादन कर निकाल रही है.

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