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10 वर्ष बाद भी नहीं बन पाया इंटरप्रेटेशन सेंटर

बिहारशरीफ/सिलाव : सुजनी साड़ी ,खतवा साड़ी व रेशम उद्योग के लिए जिले के सिलाव प्रखंड का नेपुरा गांव पूर्व से प्रसिद्ध रहा है. यहां की रेशमी साड़ी की धूम न केवल प्रदेश में है, बल्कि दूसरे प्रदेशों में भी है. यहां तक की नेपुरा की साड़ियों की मांग विदेशों में भी है. इसी बात को […]

बिहारशरीफ/सिलाव : सुजनी साड़ी ,खतवा साड़ी व रेशम उद्योग के लिए जिले के सिलाव प्रखंड का नेपुरा गांव पूर्व से प्रसिद्ध रहा है. यहां की रेशमी साड़ी की धूम न केवल प्रदेश में है, बल्कि दूसरे प्रदेशों में भी है. यहां तक की नेपुरा की साड़ियों की मांग विदेशों में भी है.
इसी बात को ध्यान में रख कर यहां के बुनकरों की स्थिति में सुधार व ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने नेपुरा गांव को अतुल्य भारत योजना में शामिल किया गया है. अतुल्य भारत योजना में देश भर के 15 गांवों को शामिल किया गया है. लेकिन नेपुरा बिहार का इकलौता गांव है जो इस योजना में शामिल हुआ है.
अतुल्य भारत योजना में शामिल होने के बाद केंद्रीय पर्यटन विभाग ने इस गांव के सर्वागीण विकास के लिए 50 लाख रुपये आवंटित किया था. इस राशि से गांव में 18 लाख रुपये की लागत से इंटरप्रेटेशन सेंटर का भी निर्माण किया जाना था. योजनाओं की शुरुआत 2004 में ही हुई थी. मगर दस वर्षो से सारे कार्य अधूरे पड़े हैं. न तो विभाग और न ही स्थानीय अधिकारी इन अधूरी पड़ी योजनाओं की सुधि लेने की जरूरत समझ रहे हैं.
क्या था योजना का उद्देश्य : केंद्रीय पर्यटन विभाग का उद्देश्य यह था कि नेपुरा की हस्तशिल्प कला को देश व दुनिया के लोग जानें व समङो. समृद्ध विरासत वाले इस गांव का चहुंमुखी विकास हो,जिससे नालंदा,पावापुरी, राजगीर,बोधगया आने वाले देशी-विदेशी सैलानी ग्रामीण पर्यटन का आनंद उठाने के साथ-साथ प्राचीन स्थानीय हस्तशिल्प कला का दर्शन कर सकें.
योजना के तहत क्या-क्या होना था :
इस योजना के तहत नेपुरा गांव में इंडोजेनिस टूरिज्म प्रोजेक्ट के तहत 18 लाख की लागत से इंटरप्रेटेशन सेंटर का निर्माण किया जाना था. गांव की गलियों में ईंट सोलिंग, नाली निर्माण, सामूहिक शौचालय का निर्माण कराया जाना था. इंटरप्रेटेशन सेंटर में पर्यटकों के ठहरने के लिए दो कमरे बनाये जाने थे. इस भवन में जर्केट रिलिंग की ट्रेनिंग होती थी.
इसके अलावा गांव के पढ़े-लिखे युवकों को गाइड की ट्रेनिंग दी जानी थी. 10 वर्षो से अधूरा पड़ा है निर्माण कार्य : 18 लाख रुपये की लागत से इंटरप्रेटेशन सेंटर का निर्माण 2004 में ही शुरू किया गया था. दस वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही छत दरकने लगा है. भवन का प्लास्टर, फ्लोरिंग सहित कई अन्य कार्य भी अधूरे पड़े हैं. अभी तक इस सेंटर का इस्तेमाल बुनकर नहीं कर सके हैं.
2007 से इस सेंटर में होना था कार्य :
इस इंटरप्रेटेशन सेंटर को 2007 में चालू हो जाना था. इसके अलावा गांव की गलियों में किये गये ईंट सोलिंग, नाली निर्माण व सामूहिक शौचालय सभी अधूरे पड़े हैं. शौचालय का भवन तो बना दिया गया है. मगर आज तक इसमें सीट नहीं बैठाया गया है. निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार द्वारा शौचालयों में ताला जड़ दिया गया है और वे वर्षो से फरार हैं. इंटरप्रेटेशन सेंटर में पर्यटकों के ठहरने के लिए दो कमरे बनाये तो गये हैं, लेकिन वे अधूरे पड़े हैं.
गाइड की ट्रेनिंग ले बेरोजगार हैं युवक : नेपुरा आने वाले पर्यटकों को नेपुरा व नालंदा की गौरवशाली परंपरा व हस्तशिल्प से अवगत कराने के लिए गांव के 24 युवकों को टूरिस्ट गाइड की ट्रेनिंग दी गयी थी. इंटरप्रेटेशन सेंटर चालू नहीं होने व यहां पर्यटकों के नहीं आने के कारण गाइड की ट्रेनिंग पाये गांव के 24 युवक बेरोजगार होकर रह गये हैं.

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