आवेदनों की जांच के बाद हो रहे खुलासे
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संपत्ति के लिए बनाये जा रहे फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र !
आवेदनों की जांच के बाद हो रहे खुलासे गड़बड़ी की आशंका से भयभीत हैं कर्मी बिहारशरीफ : खासकर संपत्ति के मामले में तरह-तरह की घटनाएं होती रहती है. यहां तक की संपत्ति हड़पने के लिए फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र तक बनाये जा रहे हैं. जांच-पड़ताल किये जान के बाद इस तरह के मामलों का खुलासा हो […]
गड़बड़ी की आशंका से भयभीत हैं कर्मी
बिहारशरीफ : खासकर संपत्ति के मामले में तरह-तरह की घटनाएं होती रहती है. यहां तक की संपत्ति हड़पने के लिए फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र तक बनाये जा रहे हैं. जांच-पड़ताल किये जान के बाद इस तरह के मामलों का खुलासा हो रहा है. मामला नगर निगम क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. नगर निगम कार्यालय के द्वारा जन्म-मृत्यु दोनों तरह के प्रमाणपत्र बनाये जाते हैं. फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाये जाने के लिए आवेदन करने वालों की लंबी फेहरिस्त है. हाल में ही शहर में ऐसे कई मामले आये हैं. जिसे देखकर कर्मी भी सकते में हैं. नगर निगम के सिटी मैनेजर संतोष कुमार सिन्हा बताते हैं कि रामचंद्रपुर मोहल्ले के एक व्यक्ति ने अपने भतीजे के मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए आवेदन दिया था. प्रमाणपत्र बनाने के लिए दिये गये आवेदन पर मां का नाम नहीं था.
पिता के बारे में पूछताछ की गयी तो बताया गया कि वह बाहर भाग गया है. मौत का कारण भी स्पष्ट दर्ज नहीं था. जांच के क्रम में यह पता चला कि चाचा के द्वारा संपत्ति के लिए फर्जी तरीके से प्रमाणपत्र बनाये के लिए आवेदन किया गया था. इसी प्रकार के और भी कई मामलों की जानकारी होने पर प्रमाणपत्र निर्गत किये जाने पर रोक लगा दी गयी. सिटी मैनेजर ने बताया कि हाल में एक और एक मामला आया था 13 साल की अनाथ बच्ची के नाम पर मृत्यु प्रमाणपत्र बनाये जाने का आया था. गोद लिये जाने के बाद बच्ची की मौत होने की बारे में आवेदन में जिक्र किया गया था. जांच के क्रम में गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद प्रमाणपत्र नहीं निर्गत किये जाने पर रोक लगा दिया गया. गलत लोग पैरवी का सहारा भी लेने से नहीं हिचकते हैं. तरह-तरह के दलील देकर प्रमाणपत्र बनाये जाने के लिये दबाव बनाया जाता है.
हर महीने बनाये जाते हैं दो-तीन सौ प्रमाणपत्र
जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए 21 दिनों के अंदर आवेदन दिये जाने का नियम है. आवेदन करने वाले लोगों को संबंधित वार्ड के जमादार,पार्षद का अनुशंसा रहना अनिवार्य है. इसके बाद नगर निगम कार्यालय में आवेदन जमा करना होता है. इस सीमा के बाद आवेदन आने के बाद उसकी जांच के लिए प्रखंड कार्यालय में भेज दिये जाने का प्रावधान है. प्रखंड कार्यालय से आवेदन अनुशंसित होकर आने के बाद प्रमाणपत्र निर्गत किये जाते हैं. नगर निगम के द्वारा प्रति माह दो से तीन सौ लोगों का जन्म प्रमाणपत्र निर्गत किये जाते हैं. करीब दो से तीन सौ लोगों का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाये जाने के लिये आवेदन भी आते हैं.
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