बिहारशरीफ : जिले के सदर अस्पताल.जहां रोगियों को मर्ज की कमोवेश जीवनरक्षक दवा तो मिल जा रही है,लेकिन प्यास बुझाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. शुद्ध पेयजल के लिए रोगियों को ठंड के इस मौसम में भी पसीने बहाने पड़ रहे हैं. पीने का पानी अस्पताल परिसर के बाहर से लाना पड़ रहा है. जब सर्द के मौसम में यह हाल है तो तपिश भरी गर्मी में हाल क्या होगा,
जिसे लोग अंदाजा ही लगा सकते हैं. यह समस्या उस समय उजागर हुई जब मंगलवार की रात प्रभात खबर की टीम सदर अस्पताल पहुंची.सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड. रात में इस वार्ड में एक डॉक्टर ड्यूटी पर तैनात दिखे. वार्ड में भर्ती मरीजों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में स्वास्थ्य कर्मी भी तत्पर दिखे. वार्ड में लगे बेडों में पांच बेड पर मरीज भर्ती पाये गये. दो रोगियों का स्लाइन किया जा रहा था. इलाजरत रोगियों ने कहा कि अस्पताल की ओर से दवा व स्लाइन उपलब्ध करायी गयी है.
सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष के सामने देर रात एक निजी वैन रूकी, वाहन के ठहरते ही दो स्वास्थ्य कर्मी स्ट्रेचर लेकर दौड़ पड़े. वाहन पर से रोगी को उतारकर स्ट्रेचर पर लादकर इलाज के लिए आकस्मिक कक्ष में ले जाते देखे गये. इस तरह रात्रि में भी कर्मी अपने कर्तव्य के प्रति सजग दिखे और रोगियों को चिकित्सा सेवा में तत्पर.आकस्मिक निबंधन कक्ष में एक कर्मी भी ड्यूटी में तैनात दिखे.
आने वाले मरीजों का कंप्यूटर से पंजीयन करने में लगे हुए थे.सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में राउंड लगाते दिखे चिकित्सा पदाधिकारी. बेडों पर भर्ती मरीजों से स्वास्थ्य के बारे में हालचाल पूछते नजर आये डॉक्टर. इमरजेंसी वार्ड के बाद उक्त चिकित्सक जेनरल वार्ड की ओर रुख कर गये. वहां पर जाकर भी डॉक्टर रोगियों से पूछताछ करते देखे गये.मरीज अपनी सेहत के बारे में डॉक्टर को जानकारी दे रहे थे.साथ ही कई रोगियों ने चिकित्सक मर्ज के बारे में भी बात बतायी.जब टीम अस्पताल के पेडियाट्रिक इमरजेंसी कक्ष में पहुंची तो वहां पर भर्ती बच्चे के अभिभावकों ने कहा कि दवा तो अस्पताल की ओर से मिल जा रही है. पर विडंबना है कि बाथरूम में पानी की व्यवस्था नहीं है.
पिछले तीन-चार दिनों से बच्चे के इलाज के लिए यहां पर हूं, लेकिन बाथरूम में पानी नहीं होने से नित्यक्रिया कर्म में भी फजीहत उठानी पड़ती है. साथ ही इस ठंड के मौसम में भी अपने हलक को तर करने के लिए पसीने बहाने पड़ रहे हैं. बाहर से जाकर पीने का पानी लाना पड़ रहा है. इस कक्ष में कुल दस बेड लगे हुए पाये गये. जिसमें से चार पर बच्चे भर्ती पाये गये. एक ए ग्रेड की नर्स तैनात दिखी. इस पेडियाट्रिक इमरजेंसी में रोगियों के इलाज के लिए ऑनकॉल डॉक्टर उपलब्ध होते हैं.इसी तरह जिले के बिंद प्रखंड के राजोपुर निवासी उपेंद्र पासवान रात्रि में अपने हाथ की हथेली पर तसले में पानी लेकर वार्ड की ओर जाते देखे गये.
जब टीम उनके पास पहुंची तो उन्होंने कहा कि पिछले चार-पांच दिनों से यहां पर हूं.बहू का प्रसव हुआ है. दवा तो कमोवेश मिल गयी है पर पीने का पानी की व्यवस्था नहीं है.प्यास बुझाने के लिए हर वक्त बाहर से पानी इसी तरह लाना पड़ता है. वे एक हाथ में तसला व दूसरे हाथ में बोतल में पानी लिये हुए अपनी व्यथा सुनायी.मुश्किल है ठंड में भी प्यास बुझानी.अस्पताल में लगे चापाकल खराब पड़े हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
उपलब्ध संसाधनों से मरीजों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध करायी जा रही है.रोगियों को चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार जीवनरक्षक दवा उपलब्ध करायी जा रही है.शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पीएचइडी को लिखा गया है.अस्पताल में पर्याप्त रूप से जीवनरक्षक दवा उपलब्ध हैं.
डॉ रामकुमार प्रसाद,प्रभारी उपाधीक्षक
एक्सरे की मिल रही सुविधा,अल्ट्रासाउंड को लगानी पड़ रही दौड़
सदर अस्पताल का एक्सरे कक्ष में रात्रि में भी मरीजों को इसकी सुविधा सहज रूप से मिल रही थी.परंतु अल्ट्रासाउंड की सेवा रोगियों को नहीं मिल पा रही है.इसके लिए जरूरतमंद लोगों को शहर की निजी क्लीनिकों का सहारा लेना पड़ रहा है.लिहाजा गरीब रोगियों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.एक्सरे कक्ष में तैनात कर्मी एक मरीज के एक्सरे करने में तत्पर दिखे.