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जांच की व्यवस्था नहीं, कर्मचारी पकड़कर छोड़ रहे मच्छर

मुजफ्फरपुर : जिले में मच्छर जनित रोग कम नहीं हो रहे हैं, तो इसके लिए स्वास्थ्य प्रबंधन जवाबदेह नहीं है. विभाग बीमारी का पता लगाने के लिए मच्छरों को पकड़ रहा है. यह अलग बात है कि विशेषज्ञ नहीं होने के कारण बाद में उन्हें छोड़ दिया जाता है. इसे आप जो भी कह लें, […]

मुजफ्फरपुर : जिले में मच्छर जनित रोग कम नहीं हो रहे हैं, तो इसके लिए स्वास्थ्य प्रबंधन जवाबदेह नहीं है. विभाग बीमारी का पता लगाने के लिए मच्छरों को पकड़ रहा है. यह अलग बात है कि विशेषज्ञ नहीं होने के कारण बाद में उन्हें छोड़ दिया जाता है. इसे आप जो भी कह लें, लेकिन यह

जांच की व्यवस्था
सरकारी व्यवस्था है. मच्छर पकड़नेवाले कर्मी अपना काम कर रहे हैं. मुख्यालय के निर्देश के अनुसार वर्ष में 1800 मच्छर पकड़ कर उसके अंदर जीवाणु की जांच करनी है. इस लिहाज से प्रति महीने 150 मच्छर पकड़े जाते हैं, लेकिन इसकी जांच नहीं होती. पिछले दो महीनों में 286 मच्छर पकड़े गये हैं, लेकिन इनकी जांच की व्यवस्था नहीं हो पायी. फाइलेरिया विभाग की ओर से सीएस को भेजी रिपोर्ट में बताया गया है कि जांच नहीं होने के कारण मच्छरों में पाये जानेवाले जीवाणु की जानकारी नहीं है.
मलेरिया व फाइलेरिया का पता लगाने के लिए मुख्यालय ने दिया था निर्देश
नहीं हो रही फाइलेरिया व मलेरिया की जांच
मुख्यालय ने फाइलेरिया व मलेरिया की पहचान के लिए प्रत्येक क्षेत्र से मच्छरों व उसके लार्वा की जांच का निर्देश दिया है. इसका उद्देश्य बीमारी वाली जगहों पर टेमीफोस दवा का छिड़काव करना है, जिससे बीमारी नहीं फैले. फाइलेरिया क्यूलैक्स व मलेरिया मादा एनोफिलेज मच्छरों के काटने से होता है, लेकिन फाइलेरिया विभाग में जांच की सुविधा नहीं होने से महज मच्छरों को पकड़ने का कोरम पूरा किया जा रहा है.
जिले को मिला वर्ष में 1800 मच्छर पकड़ने का लक्ष्य, हर महीने होनी है जांच
सीएस को भेजी गयी रिपोर्ट में बतायी गयी जांच नहीं होने की बात
तीन वर्षों से नहीं हुई रिक्त पदों पर बहाली
मच्छरों की जांच के लिए फाइलेरिया विभाग में तीन पद कई वर्षों से खाली हैं. यहां फाइलेरिया इंस्पेक्टर, लैब तकनीशियन व विशेषज्ञ डॉक्टर के तीन वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त होने के बाद से बहाली नहीं हुई. नतीजा मच्छरों की जांच कर बीमारी के घटने-बढ़ने की जानकारी विभाग को नहीं हो पा रही. कभी पटना या दिल्ली से कोई टीम आती है, तो यहां से उन्हें मच्छर पकड़ कर दे दिया जाता है.
विभाग में क्लीनिकल विशेषज्ञ का पद खाली होने के कारण जांच नहीं हो पा रही है. मच्छरों को पकड़ा तो जाता है, लेकिन जांच की सुविधा यहां नहीं है. सीएस को भेजी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गयी है.
डॉ हरेंद्र आलोक, जिला फाइलेरिया पदाधिकारी

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