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रमजान: सेहरी, इफ्तार व तरावीह पढ़ना लाेगों की रूटीन में शामिल, लोग कर रहे रोजा के नियमों का पालन

मुजफ्फरपुर: रमजान का पाक महीना जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, लोग अल्लाह की इबादत में डूबते जा रहे हैं. सुबह सेहरी से लेकर शाम में इफ्तार व तरावीह की नमाज लोगों के नियम में शामिल हो गये हैं. लोग सुबह से शाम तक बस अल्लाह की इबादत में डूबे हुए हैं. मौलाना एहतेशाम बताते […]

मुजफ्फरपुर: रमजान का पाक महीना जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, लोग अल्लाह की इबादत में डूबते जा रहे हैं. सुबह सेहरी से लेकर शाम में इफ्तार व तरावीह की नमाज लोगों के नियम में शामिल हो गये हैं.

लोग सुबह से शाम तक बस अल्लाह की इबादत में डूबे हुए हैं. मौलाना एहतेशाम बताते हैं कि रोजा जिन लोगों पर फर्ज किया गया है, उन्हें अल्लाह के बनाये गये नियमों के अनुसार रोजा का पालन करना चाहिए. ईमान व सच्चाई के साथ रोजा रखना चाहिए. बुरा काम नहीं करना चाहिए. दूसरों को भी ईमानदारी के लिए प्रेरित करना चाहिए.

रोजा सिर्फ एक महीने तक पालन करने का नाम नहीं है. अल्लाह इन एक महीने में हमे रमजान के अनुसार खुद को ढालने की ट्रेनिंग देते हैं. रमजान के बाद पूरे 11 महीने तक हमें इस नियम का पालन करना है. रमजान इस्लामी महीने का नौवां महीना है. यह महीना इस्लाम के सबसे पाक महीनों में शुमार किया जाता है. रमजान के महीने को और तीन हिस्सों में बांटा गया है. हर हिस्से में दस- दस दिन आते हैं. हर दस दिन के हिस्से को अशरा कहते हैं जिसका मतलब अरबी मैं 10 है. कुरान के दूसरे पारे के आयत नंबर 183 में रोजा रखना हर मुसलमान के लिए जरूरी बताया गया है.

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