मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों ने जब ओपीडी बंद कराना शुरू किया, तो इलाज कराने आये मरीज तिलमिला गये. ओपीडी बंद करा रहे डॉक्टरों से मरीजों ने पूछा, आखिर हमारा क्या गुनाह है जो हमारी जान से खेल रहे हैं. हालांकि, मरीजों की बातों पर ध्यान दिये बगैर जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी बंद करा दिया. मरीज इलाज के इंतजार में घंटों एसकेएमसीएस के बरामदे में बैठे रहे. जिन मरीजों के परिजन प्राइवेट अस्पताल ले जाने में सक्षम थे, वे चले गये. लेकिन जो असमर्थ थे, वे घंटों इंतजार के बाद वापस घर लौट गये.
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मरीजों ने कहा, हमारा क्या गुनाह, जो हमारी जान से खेल
मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों ने जब ओपीडी बंद कराना शुरू किया, तो इलाज कराने आये मरीज तिलमिला गये. ओपीडी बंद करा रहे डॉक्टरों से मरीजों ने पूछा, आखिर हमारा क्या गुनाह है जो हमारी जान से खेल रहे हैं. हालांकि, मरीजों की बातों पर ध्यान दिये बगैर जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी बंद करा […]
बेटी को दौरा पड़ा, तो अस्पताल लेकर आये
एसकेएमसीएच में कोई अपनी बेटी के दिल का दौरा पड़ने के बाद इलाज कराने पहुंचा था, तो कोई हाॅर्ट की शिकायत लेकर पहुंचा था. लेकिन उनकी सुननेवाला कोई नहीं था. कांटी से आये मो इरफान बेटी को दिल का दौरा पड़ने के बाद उसे लेकर एसकेएमसीएच पहुंचे थे. लेकिन डॉक्टर जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे, जूनियर डॉक्टरों ने इलाज बंद करा दिया. पूछने पर पता चला कि हड़ताल हो गयी है.
बोचहां के श्याम बिहारी ने कहा कि शुगर बढ़ गया था. इलाज कराने आये थे. परची नहीं बनी. बताया गया कि हड़ताल है. विरोध जताने के दूसरे भी तरीके हैं. गरीब आदमी के लिए तो बस यही सरकारी अस्पताल है. अंगूरी देवी को हाॅर्ट की शिकायत है. डॉक्टर को दिखाना था, पर यहां तो कोई है ही नहीं. कोई किसी की परेशानी नहीं समझता, हमारी क्या गलती है. दिनेश सिंह अपनी गरीबी को कोस रहे थे. उनकी पत्नी को हार्ट से संबंधित बीमारी है. डॉक्टरों को दिखाने के लिए यहां पहुंचे. पता चला कि डॉक्टरों के कमरे में ताले लगे हैं.
इलाज के
इंतजार में एसकेएमसीएस के बरामदे पर घंटों बैठे रहे परिजन
कहा, विरोध जताने के और भी तरीके हैं, गरीबों के लिए तो सरकारी अस्पताल ही है
इमरजेंसी में डॉक्टरों को तैनात किया गया है. जो मरीज आयेंगे, उन्हें इमरजेंसी में देखा जायेगा. डॉक्टरों की रोटेशन पर ड्यूटी लगा दी गयी है.
डॉ जीके ठाकुर, अधीक्षक, एसकेएमसीएच
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