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चिलचिलाती धूप व उमस में भटकते रहे नेता, एसी व कूलर की हवा में बैठ कर जायजा ले रहे थे आका

मुजफ्फरपुर : निगम चुनाव के लिए रविवार को हुए मतदान में मतदाताओं के मन की बात जानने की सबने कोशिश की. इसमें चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों व उनके आकाओं की उत्सुकता व बेचैनी कुछ अधिक ही थी. नगर निगम क्षेत्र के 49 वार्डों के 244 मतदान केंद्रों पर अपने संजोये सपने को साकार होते अथवा […]

मुजफ्फरपुर : निगम चुनाव के लिए रविवार को हुए मतदान में मतदाताओं के मन की बात जानने की सबने कोशिश की. इसमें चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों व उनके आकाओं की उत्सुकता व बेचैनी कुछ अधिक ही थी. नगर निगम क्षेत्र के 49 वार्डों के 244 मतदान केंद्रों पर अपने संजोये सपने को साकार होते अथवा नहीं होते जानने के लिए चिलचिलाती धूप और उमस भरी गरमी में नेता इधर-उधर भटकते रहे और उनके आका एसी व कूलर में जायजा लेते रहे. किंग मेकरों की भूमिका निभाने वाले नेता मतदान शुरू होने से संपन्न होने तक इस कोशिश में लगे थे कि उनके समर्थक किसी तरह चुनाव जीत जाये.

खासकर नगर निगम में शुरू से ही किंग मेकर की भूमिका निभाते आ रहे पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी, विधायक सुरेश शर्मा, पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, पूर्व मेयर समीर कुमार व पूर्व उप मेयर विवेक कुमार काफी सक्रिय होकर पल-पल का जायजा ले रहे थे. इसके साथ ही पूर्व मंत्री रमई राम भी इस बार अंदर ही अंदर इस चुनाव में रूचि ले रहे हैं.

इधर, बोचहां विधायक बेबी कुमारी भी अपने आवास पर बैठकर मतदान की जानकारी ले रहीं थी. वे भी मेयर पद के चुनाव में किसी न किसी रूप में अपनी भूमिका निभाने को तत्पर हैं.
एकाधिकार समाप्त हो. पूर्व मंत्री रमई राम वार्ड 42 के बूथ संख्या 325 पर अपना वोट डालने के बाद मालीघाट स्थित अपने घर के बरामदे पर बैठे हैं. उनके साथ परवेज अहमद खान भी बैठे हुए हैं. मतदान पर चर्चा कर रहे हैं. निगम की स्थिति पर चर्चा करते हुए गुस्से में आ गये और अचानक उनके मुंह से यह शब्द निकला कि निगम की स्थिति बहुत ही खराब है. निगम पर जो किसी बाहरी का एकाधिकार है वह समाप्त होना चाहिए.
क्या हाल है वार्ड 26 का. पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी अपने घर पर कुछ समर्थकों के साथ बैठे मतदान की पल-पल की जानकारी ले रहे थे, इसी बीच उनके मोबाइल फोन पर कॉल आया. सहसा वे पूछ बैठे वार्ड 26 का क्या हाल है. फिर कुछ बातें हुई और तब पूछे की वार्ड 28 का क्या हाल है. फिर किसी को फोन लगाकर बोले, जरा वार्ड 17 को दिखवा लीजिए. इस तरह वे लगातार फोन पर व्यस्त रहे और लगातार मतदान का जायजा लेते रहे. 27 भाजपा समर्थित लोग जीत रहे है
नगर विधायक सुरेश शर्मा स्पीकर चौक स्थित अपने कार्यालय पर कुछ समर्थकों के साथ बैठकर मतदान की जानकारी ले रहे थे. बातचीत के क्रम में वे बता रहे थे कि रंजू, पप्पू व पंकू भी जीत रहे हैं. भाजपा समर्थित 27 उम्मीदवार जीत रहे हैं. इस बार कोई दिक्कत नहीं है. नंदू जी भी निकल रहे हैं. इस बार उनके भाग्य में लिखा हुआ है निगम का ताज. विधायक बताते हैं कि इसबार सब लोग साथ है.
पूरा शहर चाह रहा बदलाव. पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला नया टोला स्थित अपने आवास पर बैठे हैं. मतदान की हर गतिविधि पर नजर बनाये रखे हुए हैं. कैंपस का दरवाजा बंद है. अंदर दरवाजे पर एक कमरे में अकेले बैठे हुए हैं. उनका दावा है कि उनका भाई मानमर्दन शुक्ला निश्चित रूप से जीतेंगे और वह उप मेयर के सशक्त दावेदार के रूप में सामने आयेंगे. पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला बताते हैं कि नंदू बाबू के बारे में चर्चा है कि वह चुनाव जीतेंगे. यदि वे चुनाव जीतते हैं तो वे उनके साथ रहेंगे. दोनों मिलकर मेयर व उप मेयर के चुनाव को लेकर संयुक्त रूप से मुहिम में शामिल हो सकते हैं.
अच्छे लोगों के चुनाव में निभाएंगे भूमिका. बोचहां विधायक बेबी कुमारी वोट डालने के बाद अपने आवास पर मतदान की हर गतिविधि की नजर रख रही हैु. बेबी बताती है कि उनका भी घर नगर निगम क्षेत्र में है. शहर की स्थिति बहुत खराब है. यदि नंदू बाबू जैसे लोग चुनाव जीतकर आते हैं तो उन्हें मेयर बनाने को लेकर वे भी पहल कर सकती हैु. शहर का विकास जरूरी है.
पहली बार बनेगा स्वतंत्र मेयर
पूर्व उपमेयर विवेक कुमार वार्ड 46 में पूरे मुस्तैदी से नंदकुमार साह उर्फ नंदू बाबू के चुनाव की कमान संभाले हुए थे. चिलचिलाती धूप में कभी बाहर सड़क पर घूमते नजर आते थे, तो कभी झोपड़ीनुमा दुकानों में बैठकर मतदान की जानकारी ले रहे थे. उनके साथ प्रत्याशी नंदकुमार साह व प्रोफेसर कुमार गणेश भी थे. विवेक कुमार बता रहे थे कि नंदू बाबू की जीत तय है. इस बार निगम के गठन के बाद से पहली बार स्वतंत्र रूप से मेयर अपना काम करेंगे.
बदलाव भी होगा, अच्छे लोग भी जीतेंगे
पूर्व मेयर समीर कुमार मिठनपुरा नंद बिहार कॉलोनी स्थित अपने आवास पर बैठकर मतदान की पल-पल की जानकारी ले रहे थे. कुछ बूथों के आसपास जाकर स्थिति की जानकारी भी ली. उनका कहना है कि इस बार बदलाव भी होगा और अच्छे पार्षद भी जीतकर आएंगे. मेयर का पद अत्यंत पिछड़ा के लिए सुरक्षित किया गया है, तो कोई गरीब अतिपिछड़ा ही मेयर बनेगा न कि कोई पूंजीपति अतिपिछड़ा वर्ग से आने वाले इस पद पर काबिज होंगे. इस बार पैसे वालों के साथ जाने से पार्षद भी डरेंगे क्योंकि मतदान के क्रम में जनता ने पूरा बदलाव का रुख अख्तियार किया था.

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