राज्य सरकार के मांगने पर भी
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प्राक्कलन मांगा, प्रशासन को अधियाचना का इंतजार
राज्य सरकार के मांगने पर भी नहीं भेजी प्रगति रिपोर्ट 11 मई को मुख्यमंत्री सचिवालय में होनी थी समीक्षा मुजफ्फरपुर : पताही हवाई अड्डे से विमानों को उड़ान भरते देखने की उम्मीद, एक बार फिर टूटती दिख रही है. मामला 475 एकड़ जमीन के अधिग्रहण को लेकर फंस गया है. बीते तीन सालों से जमीन […]
नहीं भेजी प्रगति रिपोर्ट
11 मई को मुख्यमंत्री सचिवालय
में होनी थी समीक्षा
मुजफ्फरपुर : पताही हवाई अड्डे से विमानों को उड़ान भरते देखने की उम्मीद, एक बार फिर टूटती दिख रही है. मामला 475 एकड़ जमीन के अधिग्रहण को लेकर फंस गया है. बीते तीन सालों से जमीन अधिग्रहण की योजना तैयार है, पर जिला प्रशासन इसमें खास रुचि नहीं दिखा रहा है. मुख्यमंत्री सचिवालय में बीते 11 मई को राज्य की सात परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए बैठक बुलायी थी. इसमें हवाई अड्डा के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला भी शामिल था.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जिला प्रशासन से समीक्षा के लिए वर्तमान स्थिति से संबंधित रिपोर्ट मांगी गयी थी, लेकिन यहां से कोई रिपोर्ट तक नहीं भेजी गयी. अधिकारी बस यह कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं कि अभी तक जमीन अधिग्रहण से संबंधित अधियाचना अभी तक उससे नहीं की गयी है. मामला प्रधानमंत्री तक पहुंच चुका है. उत्तर बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के यातायात समिति के उप सभापति श्रीराम बंका ने उन्हें पत्र लिख कर इस मामले में हस्तक्षेप करने व भारतीय विमानन प्राधिकरण को इस मामले में पहल करने का निर्देश देने की मांग की है.
पहले एटी-72/क्यू-400 टाइप एयरक्राफ्ट को भरना था उड़ान :
भारतीय विमानन प्राधिकरण ने वर्ष 2013 में पताही हवाई अड्डा को दुबारा चालू करने के लिए पहल शुरू की थी. तब तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम ने हवाई अड्डा का निरीक्षण किया था. फिलहाल वहां का रनवे पूरब-पश्चिम दिशा में है. पूरब में एनएच है, वहीं पश्चिम दिशा में एक गांव बसा है. टीम ने अपनी रिपोर्ट में रनवे की दिशा उत्तर-पूर्व दिशा में करने की अनुशंसा की है. रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में इस हवाई अड्डे से एटी-72/क्यू-400 टाइप एयरक्राफ्ट उड़ाने के लिए 443 एकड़ जमीन और चाहिए. वहीं, 320 टाइप एयरक्राफ्ट उड़ाने के लिए अतिरिक्त 32 एकड़ जमीन की जरूरत होगी. कुल मिला कर हवाई अड्डा को दुबारा चालू करने के लिए 475 एकड़ जमीन की जरूरत है.
कौन सी जमीन चाहिए नहीं है जिक्र : भारतीय विमानन प्राधिकरण ने वर्ष 2013 में ही पहली बार राज्य सरकार को पत्र लिख कर 475 एकड़ जमीन के अधिग्रहण में होने वाले संभावित खर्च का ब्योरा मांगा था. जिला प्रशासन से रिपोर्ट नहीं मिलने पर, वर्ष 2016 में दुबारा इसके लिए पत्र लिखा गया. लेकिन, दोनों पत्र में एक समानता थी. इसमें जरूरी जमीन का रकबा का तो जिक्र था, लेकिन वह कौन सी जमीन होगी, इसके बारे में कोई जिक्र उसमें नहीं था.
60 करोड़ रुपये मिलने की थी चर्चा : वर्ष 2016 में आम बजट से ठीक पहले पताही हवाई अड्डे के फिर से चालू होने की उम्मीद जगी. इस उम्मीद को तब और बल मिला, जब चर्चा शुरू हुई कि केंद्र सरकार इसके जीर्णोद्धार के लिए करीब 60 करोड़ रुपये देने को तैयार है. इतना ही नहीं, खुद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हवाई अड्डा के विस्तार के लिए जमीन देने पर सहमति जता दी.
कवायद भी शुरू हुई. सरकार के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन की एक टीम ने यह पता लगाने के लिए कि हवाई अड्डा के जमीन पर अतिक्रमण तो नहीं, पताही जाकर स्थल निरीक्षण भी किया. उसकी रिपोर्ट भी सरकार को भेजी गयी. उसमें बताया गया कि हवाई अड्डा का कोई भी हिस्सा अतिक्रमित नहीं है. पताही हवाई अड्डा के चालू होने से वैशाली में देश-विदेश के पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जो स्थानीय व आस-पास के लोगों के लिए रोजगार के नये अवसर खोल सकता है.
वहीं, जिले के लहठी व सूती कपड़ा के व्यवसाय को भी नया जीवन मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा उत्तर बिहार के बांकी जिलों व नेपाल से भी जिले की हवाई कनेक्टिविटी हो जायेगी.
क्षेत्रीय बैठक में आये कार्यकर्ताओं को दिये टिप्स
पताही हवाई अड्डा
99 एकड़ 44 डिसमिल जमीन में फैला
है पताही हवाई अड्डा
443 एकड़ जमीन और चाहिए, एटी-72/क्यू-400 टाइप एयरक्राफ्ट के उड़ान भरने को
475 एकड़ जमीन मिलने पर 320 टाइप एयरक्राफ्ट भर सकेंगे उड़ान
2013 में पहली बार एएआइ ने अधिग्रहण में संभावित खर्च का मांगा था ब्योरा
2016 में दूसरी बार भेजा गया पत्र
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