मुजफ्फरपुर : जिले में मिट्टी जांच के नाम पर किस तरह खानापूर्ति की जा रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मिट्टी जांच के लिए किसानों के निबंधन व प्रयोगशाला में आये नमूना में भारी अंतर है. इसका खुलासा संयुक्त निदेशक (शस्य ) के तिरहुत प्रमंडल की रिपोर्ट से हुई है. […]
मुजफ्फरपुर : जिले में मिट्टी जांच के नाम पर किस तरह खानापूर्ति की जा रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मिट्टी जांच के लिए किसानों के निबंधन व प्रयोगशाला में आये नमूना में भारी अंतर है. इसका खुलासा संयुक्त निदेशक (शस्य ) के तिरहुत प्रमंडल की रिपोर्ट से हुई है. मिट्टी जांच के लिए जिले में 24541 ऑनलाइन निबंधन हुआ,
जबकि मिट्टी जांच प्रयोगशाला में सिर्फ 12254 नमूना भेजा गया. संयुक्त निदेशक (शस्य) ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए जिला कृषि पदाधिकारी से पूछा है कि यह अंतर किस परिस्थिति में है. इसी तरह वैशाली जिला में भी मिट्टी जांच के नाम पर गोलमाल हुआ है. प्रयोगशाला में रिकार्ड के अनुसार नमूना नहीं है, लेकिन राशि की पूरी निकासी कर ली गयी है. सहायक निदेशक वैशाली को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये गये हैं.
मिट्टी जांच में सबसे निचले पायदान पर जिला
प्रमंडल जिला होने के बाद भी मिट्टी जांच में मुजफ्फरपुर सबसे नीचे वाले पायदान पर है. पूर्वी चंपारण व वैशाली जिले की स्थिति भी ठीक नहीं है. संबंधित जिला के जिला कृषि पदाधिकारी व सहायक निदेशक रसायन काे नमूना संकलन के लिए जिम्मेवार कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. खरीफ व रबी फसल के लिए मिट्टी जांच नमूना संकलन की रिपोर्ट में पश्चिमी चंपारण प्रथम स्थान पर 95.71 प्रतिशत, सीतामढ़ी दूसरे स्थान पर 88.04 प्रतिशत, तीसरे स्थान पर शिवहर 83.68 प्रतिशत, वैशाली चौथा स्थान पर 48.86, पूचं पांचवें स्थान पर 41.03 व मुजफ्फरपुर छठे स्थान पर 39.85 प्रतिशत हैे.