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नक्सलियों के आगे बौनी बनी पुलिस

मुजफ्फरपुर: विधायक के पेट्रोल पंप पर हमले मामले से साफ हो गया है, माओवादियों के सामने पुलिस फिर बौनी साबित हुई है, क्योंकि हमले से पहले को जो घटनाक्रम रहा है. वह माओवादियों की कार्यशैली की ओर से ही इशारा करता है. पहले पुलिस माओवादियों को लेवी देने जाते समय पंप के मैनेजर रत्नेश व […]

मुजफ्फरपुर: विधायक के पेट्रोल पंप पर हमले मामले से साफ हो गया है, माओवादियों के सामने पुलिस फिर बौनी साबित हुई है, क्योंकि हमले से पहले को जो घटनाक्रम रहा है. वह माओवादियों की कार्यशैली की ओर से ही इशारा करता है. पहले पुलिस माओवादियों को लेवी देने जाते समय पंप के मैनेजर रत्नेश व एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार करती है.

उन दोनों को जेल भेज दिया जाता है. जिस समय पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया था. वह रुपये लेकर माओवादियों के पास जा रहे थे. पुलिस ने कई किलोमीटर तक दोनों का पीछा किया था. उस समय ये बात सामने आयी थी. दोनों को माओवादी भी लगातार ट्रैक कर रहे थे. वह दोनों कर्मचारियों से बार-बार बात करके और आगे आने की बात कह रहे थे. साथ ही कर्मचारियों को ये भी जानकारी दे रहे थे. आप लोगों का कोई पीछा कर रहा है. अंत में पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया था.

इस घटना के बाद माओवादियों ने विधायक व बोचहां प्रमुख उनकी पत्नी के फोन पर बात करनी शुरू की. इस दौरान माओवादी ये कह रहे थे, आप लोगों के पास आमदनी है, आप दोनों जनप्रतिनिधि हैं. इस वजह से आप लोग हमे लेवी दीजिये, अन्यथा अंजाम बुरा होगा. इस बात की जानकारी विधायक की ओर से बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों को दी जाती रही है.

प्रशासन की ओर से भी कार्रवाई व सुरक्षा का आश्वासन दिया जाता रहा है, लेकिन जिस तरह से माओवादियों ने 13 मार्च की रात पेट्रोल पंप पर हमला किया और फरार होने में सफल रहे. उससे साफ लगता है, माओवादियों के सामने पुलिस की ओर से सुरक्षा का आश्वासन मायने नहीं रखता है, क्योंकि पुलिस लगातार सुरक्षा देने की बात कह रही थी. इसके बावजूद हमला हो गया. माओवादियों ने पंप को आग लगा दी, जिस समय पंप पर हमला हो रहा था. वहां मौजूद कर्मचारी माओवादियों के रहमो करम पर थे, क्योंकि माओवादी हथियारों से लैस थे. उनके पास बम थे, जिन्हें फोड़ने की कोशिश उन्होंने पंप पर की थी. पुलिस ने तीन बम बरामद भी किये. उन्होंने कर्मचारियों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन अपने इरादों का एहसास तो करा ही दिया. वह चाहे तो हमला कर सकते हैं.

इस घटना को इसलिए भी सामान्य नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि ये लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करनेवाले विधायक से साथ घटी है. अगर विधायक के साथ ऐसा हो सकता है, जिसकी पहुंच सरकार से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक आसानी से होती है, तब आम लोगों के साथ अगर घटना हो तो उसे न्याय मिलने की क्या उम्मीद की जा सकती है.

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