मुजफ्फरपुर : सदर थाना अंतर्गत खबड़ा गांव के प्रॉपर्टी डीलर संजय उर्फ दिलीप ओझा हत्याकांड की जांच की जिम्मेवारी नगर थाना के दारोगा मनोज राम निराला को दी गयी है. केस में अनुसंधानक बदले जाने का आग्रह दिलीप के परिजनों ने एसएसपी विवेक कुमार से की थी. आवेदन में सदर थानाध्यक्ष पर कांड के साजिशकर्ताओं से मिलीभगत का आरोप लगाया था.
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प्रॉपर्टी डीलर हत्याकांड का अनुसंधानक बदला
मुजफ्फरपुर : सदर थाना अंतर्गत खबड़ा गांव के प्रॉपर्टी डीलर संजय उर्फ दिलीप ओझा हत्याकांड की जांच की जिम्मेवारी नगर थाना के दारोगा मनोज राम निराला को दी गयी है. केस में अनुसंधानक बदले जाने का आग्रह दिलीप के परिजनों ने एसएसपी विवेक कुमार से की थी. आवेदन में सदर थानाध्यक्ष पर कांड के साजिशकर्ताओं […]
प्रॉपर्टी डीलर दिलीप हत्याकांड में सदर पुलिस पर शिथिलता, लापरवाही व साजिशकर्ताओं से मिलीभगत का आरोप शुरुआती दौर से लगता रहा है. 25 मार्च को अचानक गायब दिलीप दस दिनों बाद तीन अप्रैल की रात करीब साढ़े दस बजे खखरा पुल के समीप अचेतावस्था में मिला था. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी. उसके गायब होने के तीन दिनों बाद 29 अप्रैल को परिजनों ने उसकी गुमशुदगी का लिखित आवेदन सदर थाना में दिया था.
आवेदन देने के बाद पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेने की बात तो दूर, मामला तक दर्ज नहीं किया. बाद में नवीन ओझा और आयुक्त कार्यालय के पदाधिकारियों के दबाव पर पुलिस ने सनहा दर्ज कर मामले की छानबीन करने का आश्वासन दिया. पुलिस जांच के नाम पर परिजनों को टहलाती रही. शव की बरामदगी के बाद मृतक के भाई नवीन ओझा के बयान पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की गयी थी. दारोगा प्रमोद कुमार सिंह को इस मामले का जांच पदाधिकारी बनाया गया था.
पुलिस की लापरवाही से दिलीप की हत्या होने का आरोप लगाते हुए उसके परिजनों ने मुआवजे की मांग की थी. मानवाधिकार आयोग से लेकर पुलिस महानिदेशक को भेजे गये पत्र में उनकी विधवा गुड्डी देवी ने कहा था कि सदर थानाध्यक्ष की शिथिलता व लापरवाही से उसके गायब पति दिलीप की हत्या अपराधियों ने की है. इसलिए उनके वेतन से मुआवजे की राशि वसूल की जाये. दिलीप के गायब होने के बाद परिजनों की शिकायत पर थानाध्यक्ष मंजू सिंह इस मामले के जांच की जिम्मेवारी दारोगा राजेश कुमार को दी थी. दारोगा राजेश की शिथिलता के कारण साजिशकर्ता उसकी हत्या करने में सफल हो गये थे.
दिलीप की हत्या के बाद इस मामले का अनुसंधानक प्रमोद कुमार सिंह को बनाया गया. दस दिन पूर्व उनका स्थानांतरण कथैया थाना में हो गया. इसके बाद मृतक के परिजनों ने एसएसपी से मिल कर सदर थाना के अलावा किसी अन्य थाना में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारी को इस मामले का अनुसंधानक बनाने का आग्रह किया था.
एसएसपी को दिये आवेदन में सदर थानाध्यक्ष पर साजिशकर्ता से मिले होने का भी आरोप लगाया था.
एसएसपी के आदेश पर बदले गये अनुसंधानक
परिजनों के इस आरोप को एसएसपी विवेक कुमार गंभीरता से लेते हुए नगर डीएसपी आशीष आनंद को जांच का निर्देश दिया था. जांच के बाद दिये गये रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी इस मामले के अनुसंधानक नगर थाना के दारोगा मनोज राम निराला को बनाने का आदेश दिया है. सदर थानाध्यक्ष मंजू सिंह को अविलंब इस हत्याकांड का अभिलेख नये अनुसंधानक मनोज राम निराला को सौंपने का निर्देश दिया है.
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