मुजफ्फरपुर : महात्मा गांधी से जुड़ी बातों व उनके विचारों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की इकाई बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड गांधी पैनोरमा फिल्म फेस्टिवल का आयोजन कर रहा है. पटना में इसका आयोजन हो चुका है. मुजफ्फरपुर में इसका आगाज शनिवार को हुआ. […]
मुजफ्फरपुर : महात्मा गांधी से जुड़ी बातों व उनके विचारों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की इकाई बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड गांधी पैनोरमा फिल्म फेस्टिवल का आयोजन कर रहा है. पटना में इसका आयोजन हो चुका है. मुजफ्फरपुर में इसका आगाज शनिवार को हुआ. उद्घाटन प्रमंडलीय आयुक्त अतुल प्रसाद व डीएम धर्मेंद्र सिंह ने संयुक्त रूप से की. इसे देखने के लिए खासतौर पर स्कूली बच्चों को बुलाया गया था.
प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि यह चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष है. ऐसे में न सिर्फ गांधीजी को, बल्कि उनके आदर्शों को याद करने की जरूरत है. पहले दिन मिठनपुरा स्थित आम्रपाली ऑडिटोरियम में गांधीजी पर आधारित दो फिल्में, ‘क्षमा’ व ‘द मेकिंग ऑफ द महात्मा’ का प्रदर्शन हुआ. इस दौरान डीडीसी अरविंद कुमार वर्मा, जिला परिषद अध्यक्ष इंद्रा देवी, उप निदेशक प्रमंडलीय जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सहायक निदेशक मिथिलेश कुमार आदि मौजूद थे.
गांधीजी के बचपन की घटनाओं पर आधारित है ‘क्षमा’
11 मिनट की लघु फिल्म ‘क्षमा’ महात्मा गांधी के बचपन में घटी कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे अपने भाई को कर्ज से बचाने के लिए वे चोरी करते हैं, फिर अपने पिता के सामने अपनी उस भूल को स्वीकार करते हैं. इसमें कुछ अन्य घटनाएं भी दिखायी गयी हैं, जिससे मोहन को सच्चाई की अहमियत व ईमानदारी के गुणों का आभास हुआ था. दूसरी फिल्म श्याम बेनेगल की ‘द मेकिंग ऑफ द महात्मा’ दिखायी गयी. इसमें दिखाया गया है कि कैसे युवा बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी ‘महात्मा’ बने. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद शिकार होना पड़ा. उसके खिलाफ उन्होंने कैसे साहस व अहिंसा की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया.