मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में पीजी हॉस्टल के छात्रों के बीच विवाद अब गुटबाजी का रंग ले चुका है. छात्र दो गुटों में बंट गये हैं. एक गुट में पीजी वन, थ्री व डय़ूक हॉस्टल के छात्र शामिल है, तो दूसरे में पीजी टू व सिक्स के छात्र. इस गुटबाजी का फायदा अब नक्सली संगठन उठाने के फिराक में हैं.
खुफिया सूत्रों की मानें तो गत पांच मार्च को दोनों गुटों के बीच हुई मारपीट की घटना के बाद संगठन से जुड़े कुछ लोग एक गुट के छात्रों से संपर्क साधने का प्रयास भी कर रहे हैं. ऐसे में खुफिया विभाग पीजी हॉस्टलों पर नक्सली हमले से इनकार नहीं कर रही है. सोमवार को पीजी वन, थ्री व डय़ूक हॉस्टल के छात्रों को जनसंहार की चेतावनी से संबंधित नक्सली परचे मिलने के बाद खुफिया विभाग के कान खड़े हो गये हैं. उसकी नजर ठक्करबप्पा हॉस्टल पर भी टिकी है, जहां गत तेरह फरवरी को नक्सलियों के छुपे होने की सूचना पर एसटीएफ की टीम ने छापेमारी भी की थी. हालांकि जिस विकास नाम के युवक को पकड़ने टीम पहुंची, पर वह भागने में सफल रहा था. वह हार्डकोर नक्सली व थ्री यू (उत्तराखंड-उत्तरप्रदेश व उत्तर बिहार) के प्रभारी रामप्रवेश बैठा का साला है. पुलिस ने उसके खिलाफ विभिन्न थाने में प्राथमिकी भी दर्ज की थी.
हॉस्टल में पुलिस, फिर कैसे चिपके परचे? : पांच मार्च को पीजी टू हॉस्टल में छात्रों के बीच हुई मारपीट के बाद कैंपस की सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी. कुलपति कार्यालय व आवास के साथ-साथ पीजी वन, टू, थ्री व डय़ूक हॉस्टल में पुलिस बल तैनात कर दिये गये थे. सोमवार को भी पुलिस बल तैनात थे. ऐसे में सवाल उठता है, आखिर उनकी मौजूदगी के बावजूद हॉस्टल के गेट पर नक्सली परचा कैसे चिपक गया. पीजी थ्री हॉस्टल के छात्रों की मानें तो वहां तैनात पुलिस कर्मी रात्रि करीब दस बजे खाना खाने के बाद कॉमन रूम में सो जाते हैं, फिर सुबह छह बजे जगते हैं. ऐसे में इनसे उम्मीद करना बेमानी है. हद तो यह है कि सुबह में भी नक्सली परचा हॉस्टल की दीवार पर चिपके होने की बात छात्रों ने ही पुलिस कर्मियों को बतायी व उन्होंने ही नगर डीएसपी को भी इसकी सूचना दी. फिलहाल पुलिस परचा चिपकाये जाने की घटना को शरारती तत्व के कारामात होने से भी इनकार नहीं कर रही है.
मौके पर पहुंचे विवि अधिकारी : पीजी वन व थ्री में नक्सली परचा चिपके होने की सूचना के बाद कुलानुशासक डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव व हॉस्टल अधीक्षक मौके पर पहुंचे. मौके पर विवि थाना पुलिस भी मौजूद थी. कुलानुशासक ने छात्रों को संयम बरतने की सलाह दी. साथ ही जिला व पुलिस प्रशासन से सुरक्षा दिलवाने का भरोसा दिया. उनके लौटने के बाद विकास अधिकारी डॉ कल्याण कुमार झा भी मौके पर पहुंचे व छात्रों से बातचीत की.
राजभवन को भी कराया अवगत : पहले पीजी हॉस्टल के छात्रों के बीच मारपीट की घटना और अब हॉस्टल में नक्सली परचा चिपकाया जाना. इन घटनाओं ने विवि कैंपस की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिये हैं. विवि प्रशासन ने सोमवार को इस संबंध में जिला प्रशासन को पत्र लिखा है. उसमें गत पांच मार्च से लेकर सोमवार तक प्रत्येक दिन के घटनाक्रम का जिक्र किया है. साथ ही जिला प्रशासन से सुरक्षा की गुहार भी लगायी गयी है. इधर, कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने राजभवन को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते हुए दिशा-निर्देश मांगा है.
प्रशासन में भी दिखी बेचैनी : नक्सली परचा चिपके होने की सूचना मिलते ही जिला व पुलिस प्रशासन एक्शन में आ गयी. सबसे पहले नगर डीएसपी अनिल कुमार सिंह मौके पर पहुंचे. उन्होंने तीनों हॉस्टल का जायजा लिया. उनकी मौजूदगी में ही एलएस कॉलेज परिसर से नक्सली परचे को पुलिस ने अपने कब्जे में लिया. इसके बाद वे घंटों तक विवि थाने में मौजूद रहे व सुरक्षा उपायों की जानकारी ली. बाद में एसडीओ पूर्वी सुनील कुमार भी थाने पहुंचे व मामले की जानकारी ली.
पुलिस को नहीं मिली छात्रों की सूची: गत पांच मार्च को पीजी टू हॉस्टल में छात्रों के बीच हुई मारपीट की घटना के बाद पुलिस ने विवि प्रशासन से हॉस्टलों में रह रहे वैध छात्रों की सूची उपलब्ध कराने को कहा था. इसके बाद विवि की ओर से उपलब्ध भी करायी गयी थी, पर उसमें छात्रों की तसवीर नहीं थी. इसके बाद विवि थाना ने छात्रों की तसवीर सहित सूची मांगा. पर विवि की ओर से अब तक सूची उपलब्ध नहीं करायी गयी है. जानकारी के अनुसार फिलहाल अधिकांश हॉस्टलों में छात्रों को एक साल के लिए कमरा उपलब्ध कराया गया था, जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी है. विवि की ओर से उनके पंजीयन के नवीनीकरण की प्रक्रिया फिलहाल शुरू नहीं की गयी है.
इधर, प्रशासन की ओर से हॉस्टल से अवैध कब्जा हटाये जाने की पहल की आशंका से छात्र सशंकित हैं. ऐसे में वे अपना नवीनीकरण कराने के लिए इन दिनों विवि की दौड़ लगा रहे हैं, पर विवि अधिकारी फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं.