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विल्सन ने कहा, मदद नहीं करूंगा, गांधी बोले, चंपारण जाऊंगा

मुजफ्फरपुर : शहर मंगलवार को एक सौ साल पहले घटित घटना का गवाह बना. चंपारण सत्याग्रह से पूर्व महात्मा गांधी ने प्लांटर्स एसोसिएशन के सचिव विल्सन से बात की थी. गांधी ने विल्सन से चंपारण के रैयतों व जमींदारों के बीच खाई को पाटने के लिए मदद मांगी थी. 11अप्रैल 1917 को मुजफ्फरपुर में गांधी […]

मुजफ्फरपुर : शहर मंगलवार को एक सौ साल पहले घटित घटना का गवाह बना. चंपारण सत्याग्रह से पूर्व महात्मा गांधी ने प्लांटर्स एसोसिएशन के सचिव विल्सन से बात की थी. गांधी ने विल्सन से चंपारण के रैयतों व जमींदारों के बीच खाई को पाटने के लिए मदद मांगी थी.

11अप्रैल 1917 को मुजफ्फरपुर में गांधी के साथ हुई बातचीत चंपारण सत्याग्रह के लिए गांधी की शुरुआत मानी जाती है. उस वक्त दोनों के बीच बातचीत भले ही बंद कमरे में हुई हो, लेेकिन एक सौ वर्ष बाद मंगलवार को यह बातचीत हजारों लोगों के सामने हुई. लोगों ने देखा कि गांधी अपनी बातों में विनम्र जरूर हैं, लेकिन इरादों के पक्के. उन्होंने जब निश्चय कर लिया कि चंपारण के किसानों की दशा बदल कर रहेंगे तो उनके इस इरादे को विल्सन भी नहीं बदल पाया. चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के मौके पर एलएस कॉलेज मैदान में आयोजित विशाल समारोह में गांधी व विल्सन के संवाद का नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया गया.
गांधी की भूमिका निभा रहे डॉ भोजनंदन प्रसाद व विल्सन की भूमिका में डॉ सीपीएन सिन्हा ने बातचीत को उसी अंदाज में प्रस्तुत किया. इस दुर्लभ दृश्य को देखने के लिए हजारों लोग मौजूद थे. गांधी जी ने जब-जब अपने विचारों में अडिगता दिखायी लोगों ने जोरदार तालियों से स्वागत किया. कार्यक्रम की शुरुआत के पूर्व नाट्य निर्देशक संजीत किशोर ने इस दृश्य के बारे में लोगों को बताया. हम यहां नाट्य रूपांतरण को उसी रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं.
गांधी : सुना है चंपारण में रैयत खेती कर रहे हैं. उसकी वास्तविक स्थिति क्या है ?
विल्सन : किस तरह की जानकारी आपके पास है और आप क्या जानना चाहते हैं ?
गांधी : मुझे जानकारी मिली है कि चंपारण में नील की खेती हो रही है और उस प्रथा की आड़ में तरह-तरह का टैक्स लगाया जा रहा है. इतना ही नहीं किसानों पर कई तरह का टैक्स लगाने के अलावा जोर-जबरदस्ती भी की जा रही है ?
विल्सन : आपको यह जानकारी कहां से मिली ?
गांधी : लखनऊ कांफ्रेंस में यह प्रस्ताव रखा गया था, उसी प्रस्ताव में इन सभी बातों की चर्चा हुई थी.
विल्सन : क्या चंपारण का कोई रैयत वहां था ?
गांधी : लखनऊ कांफ्रेंस में बिहार से लगभग 80 प्रतिनिधि थे. उनमें किसान, वकील व प्रोफेसर भी थे.
विल्सन : क्या किसी एक का नाम बता सकता है ?
गांधी : उसमें एक किसान राजकुमार शुक्ल ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था. प्रस्ताव भानू ब्रजकिशोर ने रखा था
विल्सन : गांधी आप इसमें क्यों पड़ना चाहता है ?
गांधी : वो ऐसा है कि रैयतों ने मुझको प्रस्ताव रखने को कहा था, लेकिन मैँ उस समय रैयतों की वास्तविक स्थिति से परिचित नहीं था
विल्सन : अब आप क्या चाहता है ?
गांधी : वहां के लोगों ने मुझसे आग्रह किया था कि एक बार यहां आकर अपनी आंखों से यहां की स्थिति देख ले. यही देखने मैं यहां आया हूं
विल्सन : इस काम के लिए आपको चंपारण जाने की जरूरत नहीं, मुजफ्फरपुर में भी देख सकता है
गांधी : बिना चंपारण गये कैसे देख पाऊंगा कि वहां की क्या स्थिति है. मुझे आपकी मदद चाहिए
विल्सन : मैं मदद करना चाहता है, व्यक्तिगत स्तर पर मदद कर सकता है पर प्लांटर्स एसोसिएान की ओर से मैँ कुछ भी नहीं कर सकता
गांधी : आपके व्यक्तिगत सहायता के प्रस्ताव का आदर करता हूं. चंपारण के नीलहे जमींदारों की बड़ी संख्या है. मैं दोनों पक्षों का समाधान करना चाहता हूं.
विल्सन : चंपारण जाने की जरूरत नहीं, आप जानता है कि सरकार बहादुर ने इस मामले में बहुत काम किया है. सरकार बहादुर ने तिरहुत प्रमंडल में सर्वे का काम पूरा करने के लिए मजबूत रिपोर्ट बनाया है. मेरा कहना है कि आप इस रिपोर्ट को देख ले
गांधी : क्या वह रिपोर्ट उपलब्ध है ?
विल्सन : मुजफ्फरपुर वाला है, चंपारण वाला नहीं है
गांधी : मैं वह रिपोर्ट देख लूंगा, लेकिन रैयतों की जो समस्या है, उनकी कठिनाई को उनके बीच जाकर देखना चाहता हूं.
विल्सन : आप जब चाहें, रिपेार्ट काे देख सकता है, अननेससरी इनक्वायरी स्वीकार के लायक नहीं है
गांधी : सरकार को इस समय पूरे देश में सहायता की जरूरत है. जब तक रैयतों के बीच सुलह-सफाई नहीं होती, सरकार को भी चैन नहीं मिलेगी.
विल्सन : सरकार ने चंपारण में डिटेल सर्वे के लिए मिस्टर शिर्डी को बहाल कर रखा है. मेरा अनुरोध है कि रिपोर्ट का इंतजार करें
गांधी : वो तो अच्छी बात है. आपको मैं बताऊं, मेरे काम में व सरकार के काम में कोई विरोध नहीं है.
विल्सन : अापको पता है कि इस तरह के किसी काम से रिवोल्ट हो सकता है. मेरा रिक्वेस्ट है कि आप इस मामले में फिर वि सोचो
गांधी : मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूं. आपको आश्वस्त करता हूं कि ऐसा कुछ नहीं होगा. मैं खुद युवाओं से सेना में भरती होने का अनुरोध कर चुका हूं.
विल्सन : आपकी जिद के कारण बेवहज समस्या आ सकता है. आप चंपारण यात्रा के बारे में सोचे
गांधी : मेरे अपने ही देश में मुझे आऊटसाइडर करार दे रहे हैं. मैं अपनी अंतरात्मा की आवाज से काम करता हूं. मेरी आत्मा भूल नहीं कर रही है. मि. विल्सन इस काम का मुझे लंबा तजुर्बा है.
विल्सन : मैं सरकार बहादुर के किसी काम को प्रभावित नहीं कर सकता. मेरा विचार है कि आप चंपारण जाने का विचार छोड़ दो
गांधी : देखिये मि. विल्सन यह अच्छी बात होती कि रैयतों व नीलहे साहब के बीच समस्या सुलझाने में मदद करते. लेकिन आप खुद को मजबूर बता रहे हैं. मेरा काम समझौता कराने का है. आइ हैव टू गो टू चंपारण.

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