शराबबंदी से बदलाव, अब सुधार पर जोर
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चंपारण सत्याग्रह के सौ साल
शराबबंदी से बदलाव, अब सुधार पर जोर तय किया लक्ष्य. ऐतिहासिक मंच से सीएम ने बाल विवाह व दहेज प्रथा पर की चोट मुजफ्फरपुर : बापू की यात्रा को सौवें साल में जीवंत किये जाने का गवाह बनने मुजफ्फरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने 30 मिनट का भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने शराबबंदी की चर्चा की. साथ […]
तय किया लक्ष्य. ऐतिहासिक मंच से सीएम ने बाल विवाह व दहेज प्रथा पर की चोट
मुजफ्फरपुर : बापू की यात्रा को सौवें साल में जीवंत किये जाने का गवाह बनने मुजफ्फरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने 30 मिनट का भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने शराबबंदी की चर्चा की. साथ ही सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाने का संकल्प भी दोहराया. मुख्यमंत्री ने बाल विवाह व दहेज प्रथा पर चोट की. उन्होंने कहा कि हम लोगों को तय करना चाहिये कि किसी भी बेटी का बाल विवाह नहीं हो और उस शादी का सामाजिक तौर पर बहिष्कार होना चाहिये, जिसमें दहेज लिया व दिया जाता है.
जब मुख्यमंत्री इसकी बात कर रहे थे, तो पंडाल में तालियां गूंज रही थीं. मुख्यमंत्री ने सौ साल पहले चंपारण पहुंचे गांधी को किस तरह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उन्होंने विपरीत स्थितियों को अवसर में बदल लिया. इसके बारे में बताया. इसके बाद उन्होंने शताब्दी वर्ष पर होनेवाले आयोजनों और उनके उद्देश्य के बारे में विस्तार से चर्चा की.
इसके बाद मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में किस तरह से साइकिल, पोशाक व महादलित परिवारों के लिए योजनाएं चलायी गयीं. इनसे क्या सामाजिक बदलाव आये. मुख्यमंत्री ने इसकी चर्चा की. साथ ही महिलाओं के स्थानीय निकायों में 50 फीसदी आरक्षण दिये जाने की चर्चा भी की और कहा कि इससे महिला सशक्तिकरण को बल मिला है.
मुख्यमंत्री ने इसके बाद शराबबंदी की बात की और कहा कि किस तरह से शराबबंदी के समय उनके बारे में कहा जाता था, लेकिन जब हमने काम किया और सफल रहे, तो अब सब लोग तारीफ कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने सराहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद हम लोग सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलायेंगे. इसके लिए हमने लक्ष्य तय कर लिया है. बाल विवाह व दहेज प्रथा को खत्म करना होगा. सरकार इसको लेकर अभियान चलायेगी. हम लोग इस पर काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सब लोगों को बाल विवाह व दहेज प्रथा खत्म करने की दिशा में पहल करनी चाहिये.
दिखी अव्यवस्था, निराश लौटे लोग. एलएस कॉलेज का आयोजन बड़ा था, लेकिन इसमें अव्यवस्था भी दिखी. मंच के सामने बड़ा पंडाल बना हुआ था, जिसमें लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां लगायी गयी थीं. बैरिकेटिंग कर पंडाल में कई खंड बनाये गये थे. पहले खंड में राजनीतिक दलों के नेता व शहर के गणमान्य व्यक्ति बैठे थे. इनके साथ कुछ स्कूलों व विवि अधिकारी और छात्र भी वहां पर थे. इसके बाद के खंड में कुछ युवा कुर्सियों पर खड़े हो गये थे, जिससे लोगों को मंच दिखना बंद हो गया. इससे अन्य खंडों में मौजूद लोगों को मंच दिखना बंद हो गया. इसकी वजह से लोग वापस लौटने लगे.
काम नहीं कर रहे थे दोनों स्क्रीन!
पंडाल में दो बड़ी स्क्रीन लगी थी, लेकिन उनमें ये नहीं दिखाया जा रहा था कि मंच पर क्या हो रहा है. बीच में कुछ देर के लिए मंच का दृश्य आता और फिर गायब हो जा रहा था. इससे भी लोगों को असुविधा हुई. पीछे के खंडों में जिन अधिकारियों को ड्युटी पर लगाया गया था. वो कहीं नहीं दिख रहे थे. लोग मुख्यमंत्री व पूरे कार्यक्रम को देखना चाह रहे थे. सुरक्षा जांच के बाद जब वह मैदान में घुस रहे थे, तो अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा था.
बिना कार्यक्रम देखे लौटे सैकड़ों
शाम पांच बजे जब समारोह शुरू हुआ, तो पूरे मैदान में धूल उड़ रही थी. इससे परेशान होकर कई लोग घरों को लौट गये. कुछ लोग जिन्होंने पंडाल के अंदर जाने की हिम्मत जुटायी. वो अंदर की अव्यवस्था देख कर लौटने लगे. इनमें विभिन्न स्कूलों के बच्चे, बुजुर्ग व छात्राएं बड़ी संख्या में थीं.
पानी की थी नहीं थी व्यवस्था!
पंडाल में मौजूद लोगों के लिए पानी की भी व्यवस्था नहीं थी. गरमी का मौसम होने की वजह से लोग पानी के लिए भी परेशान दिख रहे थे. एक-दूसरे पूछ रहे थे. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को देखते हुये सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे.
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