23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तब पहचान की परेशानी थी, अब उमड़ा जनसैलाब

मुजफ्फरपुर : देर रात मोहनदास करमचंद गांधी राजकुमार शुक्ल के साथ ट्रेन से मुजफ्फरपुर आते हैं. स्टेशन पर उतरने के बाद गांधी जेबी कृपलानी को ढूंढ़ रहे थे. उन्हें वहां पहचाने वाला कोई नहीं था. कुछ दूरी पर छात्रों की टोली दिखायी पड़ती है. गांधी राजकुमार शुक्ल से कहते हैं, जाकर देखो, कहीं कृपलानी वहां […]

मुजफ्फरपुर : देर रात मोहनदास करमचंद गांधी राजकुमार शुक्ल के साथ ट्रेन से मुजफ्फरपुर आते हैं. स्टेशन पर उतरने के बाद गांधी जेबी कृपलानी को ढूंढ़ रहे थे. उन्हें वहां पहचाने वाला कोई नहीं था. कुछ दूरी पर छात्रों की टोली दिखायी पड़ती है. गांधी राजकुमार शुक्ल से कहते हैं, जाकर देखो, कहीं कृपलानी वहां तो नहीं! राजकुमार शुक्ल की कृपलानी से यह पहली मुलाकात है. जैसे-तैसे उनकी पहचान होती है. फिर, कृपलानी छात्रों के साथ उनकी परंपरागत तरीके से स्वागत करते हैं. फिर उन्हें एक बग्घी पर बैठा कर तब के ग्रियर भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज ले जाया जाता है.

10 अप्रैल, 2017
‘मोहनदास करमचंद गांधी’ ‘राजकुमार शुक्ल’ के साथ एक बोगी वाले स्पेशल ट्रेन से स्टेशन पहुंचते हैं. अभी उन दोनों के पांव प्लेटफॉर्म पर पड़ते भी नहीं हैं कि ‘गांधी की जय’, ‘मोहनदास कमरचंद गांधी की जय’ जैसे नारे लगने शुरू हो जाते हैं. भीड़ बढ़ती जाती है, जो ‘गांधी’ की एक झलक पाने के लिए उनके काफी करीब पहुंच जाती है. जल्दी ही वहां अफरा-तफरी का माहौल हो जाता है. हालत बिगड़ती देख, मौके पर मौजूद पुलिस कर्मी व वोलेंटियर आगे आते हैं ‘गांधी’ को अपनी सुरक्षा में जैसे-तैसे प्लेटफॉर्म से बाहर निकालते हैं. करीब आधे घंटे बाद डीएम,
एसएसपी स्टेशन पर पहुंचते हैं. एक बार फिर ‘गांधी’, ‘राजकुमार शुक्ल’ व ‘जेबी कृपलानी’ को प्लेटफॉर्म पर ले जाया जाता है, ताकि परंपरागत तरीके से ‘गांधी’ का स्वागत किया जा सके. लेकिन, इस बार भी लोगों की उत्सुकता के कारण आरती अधूरी रह जाती है. इसके बाद प्रशासनिक व पुलिस महकमा जैसे-तैसे ऐतिहासिक किरदारों को बग्घी पर बैठा कर अब के एलएस कॉलेज की ओर रवाना हो जाता है.
इन दो दृश्यों के बीच सौ साल का लंबा गैप है. पहला दृश्य 1917 में गांधी के चंपारण सत्याग्रह के लिए मुजफ्फरपुर आने की वास्तविक घटना का ऐतिहासिक किताबों में दर्ज जिक्र से लिया गया है. वहीं, दूसरा दृश्य प्रशासन की ओर से चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पुरानी यादों को फिर से जीवंत करने की कोशिश का हिस्सा भर है. दूसरे दृश्य के लिए काफी तैयारी भी की गयी थी. पूरे स्टेशन परिसर को गांधीमय बनाया गया था. गांधी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ की स्वर लहरियां फिजाओं में तैर रही थी. मुजफ्फरपुर में गांधी से जुड़ी तमाम यादों को बैनर-पोस्टर में समेट कर स्टेशन के ‘महावीर द्वार’ से ‘खुदीराम बोस द्वार तक पाटा गया था. प्लेटफॉर्म से ‘गांधी’ को बाहर निकालने के लिए विशेष तौर पर ‘बाबू गया प्रसाद सिंह द्वार’ भी बनाये गये थे. सौ साल पुरानी घटनाओं के नाट्य रूपांतरण को संजोने के लिए विशेष तौर पर ड्रोन कैमरे की भी व्यवस्था की गयी थी.
सिर पर गांधी टोपी, फिजा में गांधी गीत. ‘गांधी’ व ‘राजकुमार शुक्ल’ का शाम साढ़े छह बजे स्टेशन पर आने का समय निर्धारित था. पर, इससे करीब एक-डेढ़ घंटे पहले ही प्रशासन के कई आला अधिकारी स्टेशन पर आकर जमे हुए थे. परिसर में मौजूद अधिकांश लोगों के सिर पर ‘गांधी’ टोपी थी. जिनके सिर पर टोपी नहीं थी, खुद जिला भू-अर्जन पदाधिकारी बच्चानंद सिंह उन्हें टोपी पहना रहे थे. ‘गांधी के स्वागत के लिए रेडक्रॉस सोसाइटी की ओर से ‘सिंघा’ वादकों की टोली की भी व्यवस्था की गयी थी.
तब थी शंका, आज सामने इतिहास है. ऊपर के दोनों दृश्यों में एक अंतर माहौल का भी है. पहला दृश्य तब का है, जब देश गुलाम था. गांधी दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ सफल आंदोलन कर दो वर्ष पूर्व ही भारत लौटे थे. यहां के अधिकांश लोगों को गांधी के बारे में जानकारी भी नहीं थी. जो गांधी को जानते भी थे, उन्हें यह विश्वास नहीं था कि उनका ‘अहिंसा’ व ‘सत्याग्रह’ का प्रयोग भारत में भी सफल होगा. फिर वह जमाना गुलामी का था. अंग्रेजों के भय से जो लोग गांधी के शहर आने से खुश थे,
वे भी उनके स्वागत के लिए स्टेशन नहीं आ सके थे. लेकिन, वर्तमान में देश आजाद है. और इसे आजाद करने वालों में जिन लोगों को योगदान अहम माना जाता है, उसमें गांधी अग्रणी थे. तो, जाहिर तौर पर स्वागत का अंदाज भी थोड़ा अलग था. स्टेशन परिसर में एक बुढ़े का दो बच्चों के साथ हाथों में तिरंगा लिये ‘वंदे मातरम्’ का नारा लगाते हुए दिखना इसका अहसास भी करा रहा था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें