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एलएस कॉलेज : अंधेरे से फूटी रोशनी

मुजफ्फरपुर : सोमवार रात दस बजे. एलएस कॉलेज गेट के अंदर निगाह पड़ी, तो चारों ओर जगमग रोशनी ने स्वागत किया. रात के समय कॉलेज में इतनी चहल-पहल पहले कभी नहीं देखी. अंदर गया, तो बापू की चंपारण यात्रा से जुड़े बैनर-पोस्टर और होर्डिंग ने स्वागत किया. इससे पहले जब भी रात के समय एलएस […]

मुजफ्फरपुर : सोमवार रात दस बजे. एलएस कॉलेज गेट के अंदर निगाह पड़ी, तो चारों ओर जगमग रोशनी ने स्वागत किया. रात के समय कॉलेज में इतनी चहल-पहल पहले कभी नहीं देखी. अंदर गया, तो बापू की चंपारण यात्रा से जुड़े बैनर-पोस्टर और होर्डिंग ने स्वागत किया. इससे पहले जब भी रात के समय एलएस कॉलेज के रास्ते से गुजरना हुआ, अंधेरे के बीच ही रास्ता तय किया. घुप्प अंधेरे के बीच सुनसान या इक्का-दुक्का गुजरते लोग शंका पैदा करते थे, लेकिन सोमवार की रात इससे अलग था.

मुझे नहीं मालूम 10 अप्रैल, 1917 को ऐसी सजावट हुई होगी, लेकिन एक बात तय है कि वो रात इससे भारी जरूर रही होगी, क्योंकि सरकारी कॉलेज में उसी की नीतियों से लड़ने की रणनीति तय हो रही थी. इसकी भनक कहीं न कहीं उस समय के अधिकारियों को भी थी और उन लोगों को भी जो बापू के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेनेवाले थे. यही वजह है कि तब बापू को कॉलेज से इतर रहने की सलाह दी गयी, जिसका उन्होंने पालन किया था.
अब एक सौ साल पुरानी बात हो चुकी है ये. अंगरेजों की सत्ता खत्म हुए भी 70 साल हो गये हैं. किसी तरह का भय नहीं है. इतिहास अपने को दोहराने में इतरा रहा है. इसमें नये पन्ने भी लिखे जा रहे हैं. अबकि शासन-सत्ता अलग है. वह बापू की यात्रा के विरोध में नहीं है. उसी ने बापू की यात्रा को निकालने की तैयारी करायी है. तमाम संगठनों से समन्वय कराया है और उसी की देखरेख में सौ साल पहले के दिनों को जिया जा रहा है.
एलएस कॉलेज का ग्राउंड जिसमें अक्सर बच्चे क्रिकेट और अन्य खेल खेलते दिखते हैं. वहां बांस-बल्लियों के सहारे बड़ा घेरा बनाया गया है. मंगलवार की शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां होनेवाले समारोह में शामिल होंगे. उस समय ये रोशनी शायद और बढ़ जायेगी, क्योंकि तब एक नया इतिहास लिखा जायेगा और उसका गवाह भी एलएस कॉलेज ही बनेगा.
रात के अंधेरे में रोशनी से नहाया एलएस कॉलेज परिसर का ये बदला माहौल है. एक पोल पर दो स्ट्रीट लाइट लगी है. रात के उजाले में यहां से गुजरनेवालों के मन में इस रोशनी को लेकर उत्सुकता है, तो एक सवाल भी है, क्या समारोह के बाद भी ये स्ट्रीट लाइट ऐसे ही जलती और रोशनी बिखेरती रहेंगी, ताकि यहां से गुजरनेवालों को भय नहीं लगे.

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