17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जिंदगी को देखने का प्रखर व लोकप्रिय विधा है नाटक

विश्व रंगमंच दिवस पर संरचना ने किया परिचर्चा का आयोजन मुजफ्फरपुर : रंगमंच समाज का आईना होता है. किसी भी कला विधा के दो मुख्य प्रयोजन हाे सकते हैं. एक विशुद्ध मनोरंजन और दूसरा वैचारिक जागरूकता. कहा जाता है कि कहानी जीवन को अभिव्यक्त तो करती है, लेकिन वह जीवन नहीं हो सकती. लेकिन नाटक […]

विश्व रंगमंच दिवस पर संरचना ने किया परिचर्चा का आयोजन

मुजफ्फरपुर : रंगमंच समाज का आईना होता है. किसी भी कला विधा के दो मुख्य प्रयोजन हाे सकते हैं. एक विशुद्ध मनोरंजन और दूसरा वैचारिक जागरूकता. कहा जाता है कि कहानी जीवन को अभिव्यक्त तो करती है, लेकिन वह जीवन नहीं हो सकती. लेकिन नाटक उसे एक मंच, एक जीवन देता है. नाटक अभिव्यक्त घटनाओं के समानांतर एक प्रश्न, एक विचार प्रत्यक्ष प्रस्तुत करता है. नाटक जिदंगी को समूह के नजरिये से देखने, उसे आत्मसात करने व फिर सामाजिकों के समक्ष प्रस्तुत करने की सर्वाधिक प्रखर और लोकप्रिय विधा है.
उक्त बातें संरचना आर्ट थियेटर की ओर से सोमवार को विश्व रंगमंच दिवस व संस्था के 30वें स्थापना दिवस पर आयोजित परिचर्चा में नाट्य समीक्षक डॉ शेखर शंकर ने कहीं. वे गोला रोड स्थित संस्था परिसर में वर्तमान रंगमंच की चुनौतियां विषय पर बोल रहे थे.
विशिष्ट वक्ता चित्रकार डाॅ विमल विश्वास ने कहा कि मुजफ्फरपुर के रंगमंच का इतिहास गौरवशाली रहा है, लेकिन फिलहाल
यह चुनौतियों से भरा है. अध्यक्षता एस प्रकाश ने की व स्वागत भाषण अजीत कुमार अग्रवाल ने किया. संचालन सचिव व रंगकर्मी सुधीर कुमार कर रहे थे. इस मौके पर डॉ ललित किशोर, नवसंचेतन के प्रमोद आजाद, कायाकल्प के संजीत कुमार, सौरभ कौशिक, चित्रकार गोपाल फलक, आरके उप्पल, डॉ संजय कुमार, डॉ सुबोध कुमार, राकेश कुमार, निशी वर्मा, वीर प्रकाश ठाकुर सहित अन्य लोग मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें