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गुड न्यूज : एमए, एमएससी व पीएचडी डिग्रीधारियों को दी जायेगी वरीयता, ट्रेनिंग कॉलेजों में पढ़ायेंगे प्राइमरी टीचर

मुजफ्फरपुर : टीचर ट्रेनिंग कॉलेजों में अब प्राइमरी के टीचर भी पढ़ाते नजर आयेंगे. राज्य के विभिन्न कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को योग्यता के आधार पर गेस्ट फैकल्टी के रूप में रखने का निर्णय लिया है. एमए, एमएससी […]

मुजफ्फरपुर : टीचर ट्रेनिंग कॉलेजों में अब प्राइमरी के टीचर भी पढ़ाते नजर आयेंगे. राज्य के विभिन्न कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को योग्यता के आधार पर गेस्ट फैकल्टी के रूप में रखने का निर्णय लिया है.
एमए, एमएससी व पीएचडी डिग्रीधारी शिक्षकों को वरीयता दी जायेगी. राज्य के टीचर ट्रेनिंग कॉलेजों में करीब 600 लेक्चरर की जरूरत है. इसको देखते हुए विभाग ने गेस्ट फैकल्टी रखने का निर्णय लिया है. निदेशक शोध एवं प्रशिक्षण संजय सिंह की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि रेगुलर मोड में संचालित एमएड, बीएड व डीएलएड
कोर्स में अध्यापन के लिए गेस्ट फैकल्टी रखा जायेगा.
प्रतिनियुक्ति या पदस्थापन का नहीं करेंगे दावा : राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से योग्य शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिया जायेगा. इसके बाद जिलावार शिक्षकों का पैनल बना कर वेबसाइट पर प्रकाशित किया जायेगा. चयनित शिक्षकों से इस बात का इकरारनामा लिया जायेगा कि वे भविष्य में
उक्त कार्य के बदले किसी तरह की नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति या पदस्थापन का दावा नहीं करेंगे.
स्कूल से रिलीव होकर पढ़ायेंगे संस्थान में
गेस्ट फैकल्टी के रूप में चयनित शिक्षकों को सप्ताह में दो दिन अध्यापक शिक्षा संस्थान में पढ़ाना है. इसके लिए उन्हें संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक विरमित होकर जाना होगा. इसका रिकॉर्ड स्कूल व संस्थान दोनों जगह रखा जायेगा. स्कूल से रिलीव करते समय प्रधानाध्यापक को इस बात का ध्यान रखना होगा कि शिक्षक के जाने से पढ़ाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़े.
अध्यापक शिक्षा परियोजना तक जिम्मेदारी : विश्व बैंक संपोषित अध्यापक शिक्षा परियोजना तक ही गेस्ट फैकल्टी की भूमिका रहेगी. निदेशक शोध एवं प्रशिक्षण ने कहा है कि शिक्षकों की कमी के कारण यह निर्णय लिया गया है, लेकिन बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य के सरकारी अध्यापक शिक्षा संस्थानों में व्याख्याता की नियुक्ति होने के बाद यह व्यवस्था खुद ही समाप्त हो जायेगी. साथ ही इसे अध्यापक शिक्षा परियोजना तक ही सीमित रखा जायेगा.

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